सरगुजा : सिकल सेल जैसी गंभीर बीमारी जो लाइलाज होती है, इस बीमारी में मरीज को बार बार खून चढ़ाना पड़ता है. दर्द, कमजोरी और थकान से इंसान का जीवन दूभर हो जाता है.इस बीमारी का इलाज कुछ इस तरह शुरू किया गया कि 98% मरीजों को ब्लड की जरूरत खत्म हो गई. शरीरिक दुर्बलता, दर्द और थकान अब मरीजों को नहीं होती है, आलम ये है कि दूसरे राज्यों से मरीज यहां इलाज कराने आने लगे हैं. झारखण्ड, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से मरीज इलाज कराने अब अम्बिकापुर आते हैं.
क्या है सरगुजा के आंकड़े : अंबिकापुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नवापारा में सिकल सेल प्रबंधन यूनिट की शुरुआत 2022 में की गई थी. अब तक इस केन्द्र के माध्यम से 2 लाख 95 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. जिसमें सिकल सेल के एसएस कैटेगरी के 668 गंभीर मरीजों का इलाज चल रहा है. करीब 50 से अधिक मरीज यहां झारखंड से आते हैं और कुछ मरीज सोनभद्र यूपी और मध्यप्रदेश के बैढन से भी इलाज कराने रेग्युलर आते हैं.
स्क्रीनिंग और उपचार : अम्बिकापुर के शहरी पीएचसी सिकल सेल प्रबंधन इकाई के नोडल अधिकारी डॉ. श्रीकांत सिंह चौहान ने सिकल बताया कि किसी के शरीर में बहुत लंबे समय से दर्द हो रहा हो, शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा 6 से कम रहती हो, बार बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़े, माता-पिता या फैमिली हिस्ट्री में सिकलिंग हो तो जांच अवश्य करानी चाहिए. हमने 2022 में जब एक मॉडल प्रोजेक्ट अम्बिकापुर में शुरू किया तब सिकल सेल पर राष्ट्रीय योजना नही थी, बाद में केंद्र ने पूरे देश मे शुरू किया, यही कारण है कि अन्य राज्यों से लोग यहां आ रहे हैं.
सिकल सेल के इलाज के लिए पहले स्क्रीनिंग की जाती है. पॉजिटिव रिजल्ट आने पर सिकल सेल दो प्रकार की कटैगरी आती पहला जो बीमार के श्रेणी में आता है उसे एसएस बोलते हैं और दूसरी कैटेगरी वाहक की श्रेणी में आती है जिसे एएस बोला जाता है. इसमें एसएस कैटेगरी खतरनाक होती जिसमें रेगुलर मरीज को दवाईयां लेनी पड़ती हैं. नियमित फॉलोअप और बेहतर योजना से ही इस बीमारी से लड़ा जा सकता है. प्रदेश में सिकल सेल के 25 हजार 2 मरीज हैं जिनमे से 14 हजार 20 लोगों का इलाज चल रहा है- डॉ. श्रीकांत सिंह चौहान, नोडल सिकल सेल प्रबंधन

क्या है सिकल सेल : सिकल सेल एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सिकुड़कर हंसिया के आकार की हो जाती हैं. इससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध होता है, जिसके कारण मरीजों को असहनीय दर्द, एनीमिया, थैलेसीमिया और अन्य गंभीर समस्याएं होती हैं. यह बीमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी फैलती है और इसका इलाज संभव नहीं है, लेकिन सही प्रबंधन से मरीजों को बेहतर जीवन दिया जा सकता है.
पोषण पखवाड़ा में घर-घर पहुंचेगी टीम,गर्भवती महिलाओं और कुपोषितों को सरकार दे रही पोषण आहार
ओडिशा समेत देश के कई राज्यों में मिले हजारों सिकल सेल मरीज, पॉजिटिव पाए जाने पर शादी न करने की सलाह
जानें किस-किस श्रेणी के मरीजों को रेलवे में इलाज के लिए मिलती है 100 फीसदी तक की रियायत