गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में पिछले दो माह से भेड़िए ने गदर मचा रहा है. आलम यह है कि सदर प्रखंड के बसडिला खास मुर्गियां टोला गांव के लोग खुद की सुरक्षा के लिए लाठी-डंडे लेकर गस्त कर रहे हैं. वहीं महिला और बच्चे अपने घरों में ही दुबके हुए हैं.
भेड़िए के हमले से शिक्षक की मौत: दरअसल, गांव के लोग पिछले 20 फरवरी को मुर्गियां टोला गांव निवासी जवाहर यादव के 40 वर्षीय पुत्र बलेंद्र यादव पर भेड़िए द्वारा हमला कर चेहरे को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था. उन्हें इलाज के लिए गोरखपुर में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान 20 दिन बाद उनकी मौत हो गई.
मवेशी को घर में बांध रहे: घटना के बाद लोगों के बीच भय का इस कदर माहौल बना कि हर कोई डरा और सहमा हुआ है. हालत यह है कि मवेशियों को भी घरों में ही बांधने को मजबूर हैं. क्योंकि ग्रामीणों को हमेशा यह डर सताता है कि कही भेड़िए इन लोगों पर हमला न कर दे.

गोपालगंज में भेड़िए का आतंक: भेड़िए के हमलों ने लोगों की परेशानी को बढ़ा दी. भेड़ियों के हमलों से ग्रामीणों में अपनी जान को लेकर डर बना हुआ है. स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि हर रात इलाके में रहने वाले लोगों के लिए चुनौती बनी हुई है.

40 रातों से जाग रहे ग्रामीण: भेड़िए का आतंक से गांव के लोग डरे हुए हैं. लगातार 40 रातों से जाग रहे हैं. भेड़ियों के हमलों से अपने बच्चों को बचाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं.

"ग्रामीणों के सूचना पर हम लोग मौके पर पहुंचे थे, लेकिन इस तरह का अभी कोई प्रमाण नहीं मिल पाया है. कुछ जगह पैर के निशान मिले भी थे तो वह कुत्ता का था. फिर भी लोगों से एहतियात बरतने का निर्देश दिया गया है. ऐसे कुछ प्रमाण मिलता है तो उसपर कार्रवाई की जाएगी." - अभिषेक कुमार, फॉरेस्टर

आखिर कब होगा आदमखोर भेड़िए का अंत?: ऐसे में अब लोगों के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर इन आदमखोरों का अंत कब तक होगा. भेड़ियों का खौफ इस कदर है कि स्थानीय लोग अपनी रक्षा के लिए लाठी-डंडों और घर में बने हथियारों के साथ गश्त कर रहे हैं. गांव के जंगल में भेड़िये के छिपे रहने से गांव के लोगों में दहशत का माहौल कायम है.

"भेड़ियों को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम पहुंची हुई थी और जांच पड़ताल के बाद चली गई साथ ही उसका वीडियो और फोटो मांगी है. लेकिन फोटो वीडियो बनाने के लिए किसी के पास इतनी हिम्मत नहीं है कि उसके आसपास जा सके. कथित तौर पर तीन से चार भेड़िये शाम होते ही बाहर निकलते हैं. हमेशा किसी न किसी को भेड़िए नजर आते है."-मनीष कुमार, ग्रामीण
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