इंदौर (पीयूष सिंह राजपूत) : भारत की शान रहा गोलकोंडा ब्लू पहली बार सार्वजनिक तौर पर नीलाम होने जा रहा है. नाशपाती के आकार का ये हीरा कभी भारत की शाही विरासत का हिस्सा रहा है. लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि '' गोलकोंडा ब्लू '' कभी इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय के पास हुआ करता था. वहीं अब 23.24 कैरेट का ये नीला चमकदार हीरा है, 14 मई को स्विट्जरलैंड के जिनेवा में नीलाम होने जा रहा है.

गोलकोंडा ब्लू डायमंड का सफर भी काफी अनोखा रहा है. कभी महाराजाओं के जेवरों में जड़ा ये नायाब हीरा आज पैरिस के मशहूर ज्वेलर द्वारा एक खूबसूरत अंगूठी में जड़ा गया है. इस हीरे के सफर की कहानी भी काफी रोचक है. आइए जानते हैं
महाराजा होलकर के आभूषणों का हिस्सा था गोलकोंडा ब्लू
इतिहासकार जफर अंसारी ने ईटीवी भारत को बताया, '' यह हीरा इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय रखते थे. उनके पिता तुकोजी राव तृतीय को नीले व हरे रंग के हीरे रखने का खासा शौक था और सबसे पहले उन्हीं ने इस हीरे को आभूषणों में जड़वाया था.

1920-30 के दशक में महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय ने इसे अपनी पगड़ी और अन्य आभूषणों में जड़वाकर पहना था. वे अपने आभूषणों के शौक के लिए मशहूर थे. ये हीरा उनके पास कितने वक्त तक रहा, ये कह पाना जरा मुश्किल है क्योंकि उनके पास कई बड़े-बड़े हीरों का खजाना था और उस खजाने को जवार खाना कहते थे.''
कई विदेशियों ने डिजाइन किए थे महाराज के आभूषण
इतिहासकार जफर अंसारी आगे बताते हैं, '' 23 कैरेट का नाशपाती के आकार का ये हीरा रियासती दौर में महाराजा यशवंत राव द्वितीय के पिता तुकोजी राव तृतीय के पास था. बाद में ये हीरा उनके पास आया और इसे उन्होंने अपने आभूषणों में लगाया. जवार खाने में उनके ये आभूषण होते थे, जिससे बाद में उन्होंने कई तरह की मॉर्डन ज्वेलरी अपने लिए बनवाई और इस हीरे को कई बार पहना.

1933 में महाराजा ने मॉबूसेन को अपना जौहरी नियुक्त किया, जिन्होंने उनके कई गहने डिजाइन किए. इस दौरान एक लंबा हार भी बनाया गया, जिसमें गोलकोंडा ब्लू और इंदौर पियर्स डायमंड शामिल थे.''
फिर हैरी विंस्टन के पास पहुंचा गोलकोंडा ब्लू
जिनेवा में इसे 14 मई को नीलाम करने वाली क्रिस्टीज नाम की कंपनी के मुताबिक, '' अमेरिका के मशहूर ज्वेलरी आर्टिस्ट हैरी विंस्टन ने 1946 में इंदौर पियर्स और 1947 में ब्लू डायमंड गोलकोंडा को खरीदा. इसके बाद में इसे एक ब्रोच (एक तरह का सजावटी आभूषण) में सेट किया. बाद में इस ब्रोच को बड़ौदा के महाराजा ने खरीद लिया था. हालांकि, ये सिलसिला थमा नहीं और हैरी विंस्टन ने इसे फिर से खरीदकर नया डिजाइन दिया और फिर इसे बेच दिया था.

लगभग 80 सालों के सफर के बाद गोलकोंडा ब्लू डायमंड सार्वजनिक तौर पर नीलाम होने जा रहा है.
इस बार अंगूठी में जड़ा गया गोलकोंडा ब्लू
80 साल का सफर तय करने के बाद ये हीरा पेरिस पहुंचा, जहां जेएआर नाम के मशहूर ज्वेलर ने इसे एक मनमोहक अंगूठी में जड़ा है. क्रिस्टीज कंपनी अब इसे जिनेवा में नीलाम करेगी. अनुमान लगाया जा रहा है कि कभी भारत की विरासत का हिस्सा रहे इस नायाब हीरे को 300 से 400 करोड़ रुपए के बीच खरीदा जा सकता है.
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