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सरहुल की सुरमई शाम! मांदर की थाप पर झूम उठी रांची, सड़कों पर उमड़ा परंपरा और संस्कृति का सैलाब - SARHUL 2025

रांची में सरहुल के मौके पर लोगों को सैलाब उमड़ पड़ा. आदिवासी लोग अपनी परंपरा और संस्कृति की झलक पेश करते नजर आए.

Sarhul 2025
सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 1, 2025 at 9:47 PM IST

2 Min Read

रांची: कहते हैं आदिवासी जब किसी त्योहार को सेलिब्रेट करते हैं तो प्रकृति भी झूम उठती है. जब सरहुल जैसे प्रकृति पर्व की बात हो तो सोचिए नजारा कैसा होगा. अल्बर्ट एक्का चौक के पास सरहुल की शोभा यात्रा का नजारा देखते बन रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे संस्कृति और परंपरा का सैलाब उमड़ आया हो.

ढोल, नगाड़ा और मांदर की थाप पर झूमती महिलाएं जैसे संदेश दे रही थी कि एकजुटता के बगैर असली खुशी की कल्पना ही नहीं की जा सकती.

Sarhul 2025
सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)

एक ऐसा नृत्य जिसमें अमीर-गरीब और ऊंच-नीच की कोई जगह ना हो. एक ऐसा नृत्य जो एक जगह रुककर नहीं बल्कि झूमते हुए मंजिल की तरफ बढ़ता रहता हो.

Sarhul 2025
सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)

एक वक्त ऐसा आया जब ऊंचाई से देखने पर ऐसा लग रहा था मानो अल्बर्ट एक्का चौक से करीब 4 किलोमीटर दूर सिरम टोली स्थित सरना स्थल तक की सड़क पलाश की लाली और रुई की सफेदी से ढक गई हो.

Sarhul 2025
सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)

क्योंकि आदिवासी समाज ने अपने पारंपरिक वस्त्र को कुछ बदलाव के साथ ट्रेंड का हिस्सा बनाने में सफलता हासिल कर ली है.

Sarhul 2025
सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)

कुछ वर्ष पहले तक सरहुल यात्रा के दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाने वाले पुरुष या तो धोती-कुर्ता में नजर आते थे या फिर गंजी और धोती में. लेकिन अब आकर्षक प्रिंट वाली सरना बंडी, सरना गमछा, सरना धोती और सरना कुर्ता का चलन बढ़ गया है. एक से बढ़कर एक सरना पगड़ी पहन कर लोग शोभा यात्रा में शामिल होते हैं.

Sarhul 2025
सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)

वहीं कुछ समय पहले तक महिलाओं में लाल पाड़ वाली सफेद साड़ी का चलन था. अब उसकी जगह आकर्षक प्रिंट वाली साड़ियां आ गई हैं.

यह भी पढ़ें:

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ढोल, नगाड़ा और मांदर की थाप पर झूमती महिलाएं जैसे संदेश दे रही थी कि एकजुटता के बगैर असली खुशी की कल्पना ही नहीं की जा सकती.

Sarhul 2025
सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)

एक ऐसा नृत्य जिसमें अमीर-गरीब और ऊंच-नीच की कोई जगह ना हो. एक ऐसा नृत्य जो एक जगह रुककर नहीं बल्कि झूमते हुए मंजिल की तरफ बढ़ता रहता हो.

Sarhul 2025
सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)

एक वक्त ऐसा आया जब ऊंचाई से देखने पर ऐसा लग रहा था मानो अल्बर्ट एक्का चौक से करीब 4 किलोमीटर दूर सिरम टोली स्थित सरना स्थल तक की सड़क पलाश की लाली और रुई की सफेदी से ढक गई हो.

Sarhul 2025
सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)

क्योंकि आदिवासी समाज ने अपने पारंपरिक वस्त्र को कुछ बदलाव के साथ ट्रेंड का हिस्सा बनाने में सफलता हासिल कर ली है.

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कुछ वर्ष पहले तक सरहुल यात्रा के दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाने वाले पुरुष या तो धोती-कुर्ता में नजर आते थे या फिर गंजी और धोती में. लेकिन अब आकर्षक प्रिंट वाली सरना बंडी, सरना गमछा, सरना धोती और सरना कुर्ता का चलन बढ़ गया है. एक से बढ़कर एक सरना पगड़ी पहन कर लोग शोभा यात्रा में शामिल होते हैं.

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सरहुल जुलूस (ईटीवी भारत)

वहीं कुछ समय पहले तक महिलाओं में लाल पाड़ वाली सफेद साड़ी का चलन था. अब उसकी जगह आकर्षक प्रिंट वाली साड़ियां आ गई हैं.

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