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दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने की ओर गेवरा, 70 मिलियन टन उत्पादन के साथ बनेगा नया रिकॉर्ड - GEVRA COAL MINE

गेवरा खदान को 70 मिलियन टन सालाना उत्पादन की पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है.

Gevra Coal Mine
गेवरा कोल माइन (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : March 1, 2025 at 1:23 PM IST

Updated : March 1, 2025 at 7:06 PM IST

7 Min Read

कोरबा: भारत सरकार के कोल इंडिया लिमिटेड(CIL) की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोल इंडिया लिमिटेड(SECL) की मेगा परियोजना गेवरा खदान जल्द ही दुनिया के सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस बनने जा रही है. जिसे सालाना 70 मिलियन टन कोयला उत्पादन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी मिल चुकी है. इसके बाद एसईसीएल प्रबंधन ने तेज गति से खदान के विस्तार की दिशा में काम शुरू कर दिया है.

70 मिलियन टन उत्पादन के साथ बनेगा नया रिकॉर्ड: आसपास के 10 से ज्यादा गांव की जमीन अधिग्रहण कर अन्य प्रक्रियाओं को रिकॉर्ड समय में पूरा करना होगा. फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस संयुक्त राज्य अमेरिका के ब्लैक थंडर माइंड को माना जाता है. लेकिन अब जल्द ही इस खदान से दुनिया के सबसे बड़े कोयला खदान होने का तमगा छिन जाएगा और यह रिकॉर्ड कोरबा जिले में स्थापित गेवरा कोल माइंस के नाम पर दर्ज हो जाएगा.

गेवरा कोल माइन (ETV Bharat Chhattisgarh)

1981 में शुरू हुआ था गेवरा खदान से कोयले का उत्खनन, अब आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल: गेवरा खदान से पहली बार वर्ष 1981 में कोयला खनन शुरू हुआ था. जी बीते 43 वर्ष से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर रही है. गेवरा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 50 मिलियन टन से ज्यादा कोयला खनन कर देश की सबसे बड़ी कोयला खदान बन चुकी है. बीते वर्ष 2023-24 में 59 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन के साथ अब विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदानों की सूची में शामिल है. गेवरा में विश्व की अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग कर कोयला खनन किया जा रहा है.

Gevra Coal Mine
गेवरा कोयला खदान (ETV Bharat Chhattisgarh)

माइनर कटर मशीन का इस्तेमाल: जिसके लिए प्रदूषण मुक्त सरफेस माइनर कटर मशीन से उत्पादन व डिस्पैच किया जा रहा है. इस मशीन की वजह से अब खदान में बारूद लगाकर ब्लास्टिंग करने की जरूरत नहीं पड़ती. जबकि कुछ वक्त पहले तक ब्लास्टिंग के दौरान धूल उड़ने और पत्थर छिटकने की वजह से नुकसान होने का खतरा बना रहता था. जमीन में वाइब्रेशन से आसपास के भवनों में दरार व अन्य समस्या बनी रहती थी.

एसईसीएल बनेगी सीआईएल की नंबर 1 कंपनी, फिलहाल 8 राज्यों को कोयला सप्लाई: भारत सरकार की कोल इंडिया के देश भर में आठ सहायक कंपनी है. इनमें से फिलहाल महानदी कोलफिल्डस लिमिटेड (एमसीएल) पिछले तीन साल से सर्वाधिक कोयला खनन कर नंबर वन कंपनी है. एसईसीएल ने वर्ष 2023-24 में 240 लाख टन की वृद्धि के साथ 1670 लाख टन कोयला खनन किया. इससे पहले इस कंपनी में इतना कोयला का उत्पादन कभी नहीं हुआ था. जिसमें कोरबा जिले का काफी प्रमुख योगदान है.

देश की जरुरत करेगा पूरी: वर्तमान में अकेले कोरबा जिले के अलग अलग खदानों से देश के कुल 18 प्रतिशत खनन होता है. इतना ही नहीं कुसमुंडा व गेवरा के पूरी तरह से विस्तार हो जाने के बाद आने वाले 50 साल तक देश की कोयला जरूरतों को पूरा करने में कोरबा की खदानें सक्षम हैं. फिलहाल यहां से छत्तीसगढ़ के एक दर्जन बडे़ बिजली संयंत्रों में की जा रही है. इसके साथ ही दूसरे राज्य पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में भी कोयला कोरबा से ही भेजा जा रहा.

Gevra Coal Mine
दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बन रही गेवरा (ETV Bharat Chhattisgarh)

ये हैं विश्व की टॉप 5 कोयला खदान: संयुक्त राज्य अमेरिका की ब्लैक थंडर, विश्व में कोयला खदान में नंबर एक पर है. दूसरे नंबर पर भारत है. यहां के छत्तीसगढ़ की कोरबा स्थित गेवरा कोल माइन दूसरे नंबर पर है. तीसरे नंबर पर फिर संयुक्त राज्य अमेरिका की नार्थ एंटेलोप रोशेल है. चौथे नंबर पर फिर भारत है. कोरबा की एसईसीएल कुसमुंडा की खदान चार नंबर पर है. पांचवें नंबर पर चीन की शानक्सी खदान है.

10 गांव के दो हजार एकड़ जमीन की पड़ेगी जरूरत : कोरबा में संचालित मेगा परियोजना कुसमुंडा, गेवरा व दीपका के लिए करीब 10 गांव के दो हजार एकड़ भूमि अधिग्रहित किए जाने का काम पांच साल पहले पूरा कर लिया गया है. तत्कालिक तौर पर भूमि की आवश्यकता नहीं थी, इसलिए जमीन खाली नहीं कराया गया. अब विस्तार परियोजनाओं के लिए भूमि की आवश्यकता है. जटराज, नरईबोध, पाली- पड़निया, भिलाईबाजार, हरदीबाजार, आमगांव, बरकुटा, बाम्हनपाठ गांव तक खदान के मुहाने पहुंच चुके हैं. इसके बावजूद भू-विस्थापित नौकरी, पुनर्वास व विस्थापन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे और जमीन खाली नहीं हो पा रहा. यह समस्या कंपनी के समक्ष खड़ी है. जमीन के बदले ग्रामीणों की मांगों पर खरा उतरना हमेशा से कंपनी के लिए बड़ी चुनौती रहा है.

कुसमुंडा को भी 75 मिलियन टन उत्पादन की स्वीकृति : गेवरा खदान को 70 मिलियन टन सालाना उत्पादन की पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है. लेकिन इससे भी ज्यादा कोयला कुसमुंडा खदान में है. लेकिन फिलहाल कुसमुंडा को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली है. कुसमुंडा को 75 मिलियन टन सालाना उत्पादन के लिए बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की स्वीकृति मिली है. इस लिहाज से पहले गेवरा के नाम दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने का रिकॉर्ड दर्ज होगा.
इसके बाद जब पर्यावरण और अन्य स्वीकृतियों के मामलों में कुसमुंडा को सभी अनुमति मिल जाएगी. तब 75 मिलियन टन सालाना उत्पादन के साथ कुसमुंडा दुनिया की सबसे बड़ी खदान बनेगी लेकिन पहले यह रिकॉर्ड गेवरा के नाम दर्ज होगा.

कुसमुंडा टॉप फाइव में शामिल: इसके बाद जब कुसमुंडा खदान के विस्तार में आने वाली सारी अड़चन दूर होंगी. तब यह तमगा कुसमुंडा के नाम भविष्य में दर्ज हो सकता है. ऐसा हुआ तब भी दुनिया की पहली और दूसरी दोनों सबसे बड़ी खदानें कोरबा जिले में ही मौजूद होंगी. वर्तमान में भी गेवरा और कुसमुंडा दोनों दुनिया की टॉप फाइव सबसे बड़ी कोयला खदानों में शामिल हैं.

सबसे बड़ी खदान बनेगी गेवरा : एसईसीएल के पीआरओ सुनीश चंद्र ने बताया कि गेवरा कोयला खदान एसईसीएल की मेगा परियोजना है. इसके सालाना उत्पादन के लिए सारी अनुमतियां फिलहाल मिल चुकी है. जल्द ही गेवरा दुनिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस बनने जा रही है. जो न सिर्फ कोरबा और छत्तीसगढ़ के लिए बल्कि यह पूरे देश के लिए गौरव की बात है. गेवरा खदान वर्तमान में भी देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा कर रही है. जिससे कई राज्यों को कोयले की सप्लाई की जा रही है. खनन विस्तार की स्वीकृति मिलने के बाद अब हम खदान के विस्तार के दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं. सभी प्रक्रियाओं को तेज गति से पूरा किया जा रहा है.

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कोरबा: भारत सरकार के कोल इंडिया लिमिटेड(CIL) की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोल इंडिया लिमिटेड(SECL) की मेगा परियोजना गेवरा खदान जल्द ही दुनिया के सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस बनने जा रही है. जिसे सालाना 70 मिलियन टन कोयला उत्पादन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी मिल चुकी है. इसके बाद एसईसीएल प्रबंधन ने तेज गति से खदान के विस्तार की दिशा में काम शुरू कर दिया है.

70 मिलियन टन उत्पादन के साथ बनेगा नया रिकॉर्ड: आसपास के 10 से ज्यादा गांव की जमीन अधिग्रहण कर अन्य प्रक्रियाओं को रिकॉर्ड समय में पूरा करना होगा. फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस संयुक्त राज्य अमेरिका के ब्लैक थंडर माइंड को माना जाता है. लेकिन अब जल्द ही इस खदान से दुनिया के सबसे बड़े कोयला खदान होने का तमगा छिन जाएगा और यह रिकॉर्ड कोरबा जिले में स्थापित गेवरा कोल माइंस के नाम पर दर्ज हो जाएगा.

गेवरा कोल माइन (ETV Bharat Chhattisgarh)

1981 में शुरू हुआ था गेवरा खदान से कोयले का उत्खनन, अब आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल: गेवरा खदान से पहली बार वर्ष 1981 में कोयला खनन शुरू हुआ था. जी बीते 43 वर्ष से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर रही है. गेवरा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 50 मिलियन टन से ज्यादा कोयला खनन कर देश की सबसे बड़ी कोयला खदान बन चुकी है. बीते वर्ष 2023-24 में 59 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन के साथ अब विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदानों की सूची में शामिल है. गेवरा में विश्व की अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग कर कोयला खनन किया जा रहा है.

Gevra Coal Mine
गेवरा कोयला खदान (ETV Bharat Chhattisgarh)

माइनर कटर मशीन का इस्तेमाल: जिसके लिए प्रदूषण मुक्त सरफेस माइनर कटर मशीन से उत्पादन व डिस्पैच किया जा रहा है. इस मशीन की वजह से अब खदान में बारूद लगाकर ब्लास्टिंग करने की जरूरत नहीं पड़ती. जबकि कुछ वक्त पहले तक ब्लास्टिंग के दौरान धूल उड़ने और पत्थर छिटकने की वजह से नुकसान होने का खतरा बना रहता था. जमीन में वाइब्रेशन से आसपास के भवनों में दरार व अन्य समस्या बनी रहती थी.

एसईसीएल बनेगी सीआईएल की नंबर 1 कंपनी, फिलहाल 8 राज्यों को कोयला सप्लाई: भारत सरकार की कोल इंडिया के देश भर में आठ सहायक कंपनी है. इनमें से फिलहाल महानदी कोलफिल्डस लिमिटेड (एमसीएल) पिछले तीन साल से सर्वाधिक कोयला खनन कर नंबर वन कंपनी है. एसईसीएल ने वर्ष 2023-24 में 240 लाख टन की वृद्धि के साथ 1670 लाख टन कोयला खनन किया. इससे पहले इस कंपनी में इतना कोयला का उत्पादन कभी नहीं हुआ था. जिसमें कोरबा जिले का काफी प्रमुख योगदान है.

देश की जरुरत करेगा पूरी: वर्तमान में अकेले कोरबा जिले के अलग अलग खदानों से देश के कुल 18 प्रतिशत खनन होता है. इतना ही नहीं कुसमुंडा व गेवरा के पूरी तरह से विस्तार हो जाने के बाद आने वाले 50 साल तक देश की कोयला जरूरतों को पूरा करने में कोरबा की खदानें सक्षम हैं. फिलहाल यहां से छत्तीसगढ़ के एक दर्जन बडे़ बिजली संयंत्रों में की जा रही है. इसके साथ ही दूसरे राज्य पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में भी कोयला कोरबा से ही भेजा जा रहा.

Gevra Coal Mine
दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बन रही गेवरा (ETV Bharat Chhattisgarh)

ये हैं विश्व की टॉप 5 कोयला खदान: संयुक्त राज्य अमेरिका की ब्लैक थंडर, विश्व में कोयला खदान में नंबर एक पर है. दूसरे नंबर पर भारत है. यहां के छत्तीसगढ़ की कोरबा स्थित गेवरा कोल माइन दूसरे नंबर पर है. तीसरे नंबर पर फिर संयुक्त राज्य अमेरिका की नार्थ एंटेलोप रोशेल है. चौथे नंबर पर फिर भारत है. कोरबा की एसईसीएल कुसमुंडा की खदान चार नंबर पर है. पांचवें नंबर पर चीन की शानक्सी खदान है.

10 गांव के दो हजार एकड़ जमीन की पड़ेगी जरूरत : कोरबा में संचालित मेगा परियोजना कुसमुंडा, गेवरा व दीपका के लिए करीब 10 गांव के दो हजार एकड़ भूमि अधिग्रहित किए जाने का काम पांच साल पहले पूरा कर लिया गया है. तत्कालिक तौर पर भूमि की आवश्यकता नहीं थी, इसलिए जमीन खाली नहीं कराया गया. अब विस्तार परियोजनाओं के लिए भूमि की आवश्यकता है. जटराज, नरईबोध, पाली- पड़निया, भिलाईबाजार, हरदीबाजार, आमगांव, बरकुटा, बाम्हनपाठ गांव तक खदान के मुहाने पहुंच चुके हैं. इसके बावजूद भू-विस्थापित नौकरी, पुनर्वास व विस्थापन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे और जमीन खाली नहीं हो पा रहा. यह समस्या कंपनी के समक्ष खड़ी है. जमीन के बदले ग्रामीणों की मांगों पर खरा उतरना हमेशा से कंपनी के लिए बड़ी चुनौती रहा है.

कुसमुंडा को भी 75 मिलियन टन उत्पादन की स्वीकृति : गेवरा खदान को 70 मिलियन टन सालाना उत्पादन की पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है. लेकिन इससे भी ज्यादा कोयला कुसमुंडा खदान में है. लेकिन फिलहाल कुसमुंडा को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली है. कुसमुंडा को 75 मिलियन टन सालाना उत्पादन के लिए बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की स्वीकृति मिली है. इस लिहाज से पहले गेवरा के नाम दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने का रिकॉर्ड दर्ज होगा.
इसके बाद जब पर्यावरण और अन्य स्वीकृतियों के मामलों में कुसमुंडा को सभी अनुमति मिल जाएगी. तब 75 मिलियन टन सालाना उत्पादन के साथ कुसमुंडा दुनिया की सबसे बड़ी खदान बनेगी लेकिन पहले यह रिकॉर्ड गेवरा के नाम दर्ज होगा.

कुसमुंडा टॉप फाइव में शामिल: इसके बाद जब कुसमुंडा खदान के विस्तार में आने वाली सारी अड़चन दूर होंगी. तब यह तमगा कुसमुंडा के नाम भविष्य में दर्ज हो सकता है. ऐसा हुआ तब भी दुनिया की पहली और दूसरी दोनों सबसे बड़ी खदानें कोरबा जिले में ही मौजूद होंगी. वर्तमान में भी गेवरा और कुसमुंडा दोनों दुनिया की टॉप फाइव सबसे बड़ी कोयला खदानों में शामिल हैं.

सबसे बड़ी खदान बनेगी गेवरा : एसईसीएल के पीआरओ सुनीश चंद्र ने बताया कि गेवरा कोयला खदान एसईसीएल की मेगा परियोजना है. इसके सालाना उत्पादन के लिए सारी अनुमतियां फिलहाल मिल चुकी है. जल्द ही गेवरा दुनिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस बनने जा रही है. जो न सिर्फ कोरबा और छत्तीसगढ़ के लिए बल्कि यह पूरे देश के लिए गौरव की बात है. गेवरा खदान वर्तमान में भी देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा कर रही है. जिससे कई राज्यों को कोयले की सप्लाई की जा रही है. खनन विस्तार की स्वीकृति मिलने के बाद अब हम खदान के विस्तार के दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं. सभी प्रक्रियाओं को तेज गति से पूरा किया जा रहा है.

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Last Updated : March 1, 2025 at 7:06 PM IST
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