रायपुर : छत्तीसगढ़ बोर्ड एग्जाम समाप्त होने के बाद अब बच्चों को रिजल्ट का इंतजार है. 10वीं-12वीं की कॉपियों के मूल्यांकन का काम शुरु है. लेकिन इसके पहले बच्चों को बोर्ड परीक्षा में फेल होने का डर सता रहा है. हाल ही में भिलाई में एक छात्रा ने परीक्षा में पेपर खराब होने के कारण आत्महत्या कर ली.क्योकि उसे परीक्षा में पास नहीं होना का डर सता रहा था. ऐसी स्थिति में बच्चों के मन से रिजल्ट का डर निकालना जरुरी है.बोर्ड परीक्षा में फेल होने के डर को कैसे दूर भगाएं. यदि उनके मन में आत्महत्या के विचार आ रहे हैं तो क्या करें.बच्चा रिजल्ट के तनाव में है. उसे परिजन कैसे पता करें. परिजन अपने बच्चों का कैसे ख्याल रखें. इन सारे सवालों के जवाब के लिए ईटीवी भारत ने मेकाहारा अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉक्टर सुरभि दुबे से बातचीत की.
शुरु में करें पढ़ाई : परीक्षा समाप्त हो गई है और अब परिणाम को लेकर बच्चों में काफी तनाव है.इस पर मेकाहारा की मनोचिकित्सक डॉक्टर सुरभि दुबे ने बताया कि बच्चों को शुरू से मेहनत करनी चाहिए , कई बच्चे लास्ट में पढ़ाई करते हैं. इस वजह से बच्चे काफी तनाव में रहते हैं.अब बच्चों में अच्छे नंबर लाने को लेकर तनाव है. ऐसे में परफॉर्मेंस पर हमें फोकस करना चाहिए, ना की नंबरों पर.
हमेशा बनाएं प्लान बी : हमें हमेशा अपने लिए प्लान 'बी' बना कर रखना चाहिए. यदि मुझे जिस फील्ड में जाना है और परफॉर्मेंस अच्छा नहीं हुआ, तो दूसरा फील्ड कौन सा चुन सकते हैं, जिसमें हम जा सकते हैं. उसे लेकर हमेशा प्लान 'बी' तैयार रहना चाहिए. इसके अलावा में एक्सरसाइज हमेशा करना चाहिए ,योग प्राणायाम करना चाहिए. अपने लिए थोड़ा समय निकालना चाहिए. मोबाइल ओर अन्य गैजेट्स का कम इस्तेमाल करना है. सोने से एक से दो घंटा पहले मोबाइल का उपयोग ना करें और सबसे जरूरी है कि आप नींद पूरी ले, यदि ऐसा करेंगे तो इससे तनाव कम होगा.
जिन बच्चों का पेपर खराब हुआ वो क्या करें : जिन बच्चों का पेपर ठीक नहीं गया है. उन बच्चों को लेकर डॉक्टर सुरभि दुबे ने कहा कि किसी का पेपर खराब हुआ है. तो उसे इस बात का विषय ध्यान रखना चाहिए कि वह हमेशा प्लान भी तैयार रखें. यदि आपका पेपर खराब हो गया. इसका यह मतलब नहीं कि आपकी पूरी लाइफ खराब हो गई है. क्योंकि आपके पास और भी ऑप्शन होते हैं. मेहनत कर सकते हैं. यह हमें मेहनत करने की अपॉर्चुनिटी देता है.इससे यदि हम डीमेटिवेट हो जाएंगे. हम कुछ नहीं कर सकते, ऐसा नहीं है.लाइफ में फेलियर हमें ज्यादा सीखता है, जबकि सक्सेस उतना ज्यादा नहीं सिखाता है. इसलिए फेलियर को सिखाना आवश्यक है.डॉक्टर सुरभि दुबे ने बच्चों के माता-पिता से भी अपील की है कि वह बच्चों के फेल्योर के समय ज्यादा सहयोग करें. उन्हें नीचा नहीं दिखना चाहिए, कि तुम फाइट नहीं कर पाए.इससे बेहतर कर सकते थे. उससे अच्छा हमें चाहिए कि उसे और इंप्रूव कैसे किया जाए, उस पर फोकस किया जाना चाहिए.इस बीच कई बच्चों के मन में सुसाइड का विचार आ रहा है इस पर सुरभि दुबे ने अपनी राय दी.
यदि कोई बच्चा सुसाइड करने के विचार कर रहा है, या फिर कहीं सुसाइड करने के तरीके देख रहे हैं. इसके पहले एक बार अपने परिजनों से जरूर बात करें , अपने फ्रेंड सर्कल में चर्चा करें कि उसके मन में इस तरह के विचार आ रहे हैं, या फिर नेरेस्ट जो भी मनोचिकित्सक हैं उनसे मिल सकते हैं. हर जिले के अस्पताल में एक मनोचिकित्सक होते हैं. यदि आपको थोड़ा भी इस तरह का विचार आ रहा है, तो उसके लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें- डॉ सुरभि दुबे. मनोचिकित्सक
परिजन बच्चों से करें संवाद : परिजन कैसे पता करें कि बच्चे परीक्षा परिणाम को लेकर तनाव में है और वह सुसाइड कर सकते हैं. इस पर डॉक्टर सुरभि दुबे ने कहा कि इस दौरान पेरेंट्स को विशेष ध्यान देने की जरूरत है ,वह बच्चों के हाव भाव से पता कर सकते हैं कि उनके मन में किस तरह के विचार आ रहे हैं. कई बार इस दौरान बच्चे अकेले रहना पसंद करते हैं, काम बातचीत करने लगते हैं. चिड़चिड़ा ज्यादा हो जाते. उनकी नींद या भूख में परिवर्तन होता है या फिर अधिक खाने लगते हैं या फिर कम खाने लगेंगे या फिर बहुत ज्यादा सोने लगते या फिर एकदम कम सोने लगेंगे. दूसरों से मिलना जुलना पसंद नहीं होगा, मिलना जुलना बंद कर देंगे , जो उनकी फेवरेट एक्टिविटी होती है, वह कम कर देते हैं. उसमें उनकी रुचि कम दिखने लगती है. यदि चिड़चिड़ा स्वभाव हो जाए. बड़ों को जवाब देने लगे, या फिर मादक पदार्थों का सेवन करना शुरू कर दें. यदि इनमें से कोई भी लक्षण आपको दिखता है, तो हमें समझ लेना चाहिए कि बच्चा तनाव में है, ऐसे में उन्हें मनोचिकित्सक या फिर फैमिली डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
कर्रेगट्टा की पहाड़ियों पर नहीं जाने की नक्सलियों की अपील, बस्तर आईजी ने दिया ये जवाब
अमृतधारा जलप्रपात क्षेत्र में प्रवेश, सेल्फी और नहाने पर प्रतिबंध
जांजगीर नैला नगर पालिका में प्यास कब बुझेगी, करोड़ों खर्च के बाद भी जल आवर्धन योजना फेल