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पिता ने दूध बेचा, ऑटो चलाया, बेटा मुश्किलों को मात देकर बना IAF फ्लाइंग ऑफिसर - SUCCESS STORY

पिता से बच्चों को अपने सपनों के लिए उड़ान मिलती है. किछ ऐसी ही कहानी गया के किसान पिता के संघर्ष की है. पढ़ें खबर

गया का लक्की कुमार बना एयरफोर्स ऑफिसर
गया का लक्की कुमार बना एयरफोर्स ऑफिसर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : June 3, 2025 at 4:11 PM IST

6 Min Read

गया: इंसान को सपने जरूर देखने चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत उससे भी ज्यादा करनी चाहिए. कुछ ऐसा ही एक ऑटो ड्राइवर के बेटे ने साबित करके दिखा दिया है. बिहार के गया रहने वाले लक्की कुमार ने महाराष्ट्र के पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी दीक्षांत समारोह में टॉप कर एयरफोर्स में ऑफिसर की डिग्री हासिल की. 29 जून को एयरफोर्स ज्वाइन करेंगे. आज हम बताएंगे कि लक्की की सफलता के पीछे कितनी बड़ी है संघर्ष की कहानी.

गया का लाल किया कमाल: बिहार के गया जी के वजीरगंज प्रखंड के कढौना गांव के लक्की कुमार ने महाराष्ट्र के पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी दीक्षांत समारोह में टॉप किया. लक्की ने लंबा संघर्ष किया. घर की स्थिति कभी बड़ी बाधा बनकर आई, लेकिन लक्की और उसके परिवार ने सभी बाधाओं को पार करते हुए सफलता की वह कहानी लिख दी जो आज एक मिसाल है. वहीं, हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी है.

लक्की कुमार, NDA दीक्षांत समारोह के टॉपर (ETV Bharat)

ऑटो चलाया, दूध बेचकर बनाया ऑफिसर: लक्की बताया कि उनके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. उनके पिता ने वर्षों तक ऑटो चलाकर ही परिवार की जरूरतों को पूरा किया है. आटो चलाने से घर का खर्च और बच्चों की पढ़ाई कराना मुश्किल होता है. उसके बाद दूध बेचा. इसके बावजूद इनके पिता ने हिम्मत नहीं हारते हुए अपने बच्चों को अच्छी एजुकेशन दिलवाई.

परिवार के साथ मंच पर लक्की कुमार
परिवार के साथ मंच पर लक्की कुमार (ETV Bharat)

पिता ने भी नहीं मानी हार: लक्की के पिता विनोद सिंह तीन भाई हैं. सभी परिवार के लोग साथ रहते हैं. विनोद सिंह के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. उन्होंने ऑटो चलाना शुरू किया. दो गायें थी, तो गायों का दूध भी बेचकर ही परिवार की जरूरतों को पूरा किया है. उन्होंने बेटे को के लक्ष्य को पूरा कराने के लिए वह संघर्ष किया जो एक पिता के रूप में भी मिसाल है. विनोद सिंह ने लक्की को शुरू से ही अच्छी शिक्षा देनी दिलानी शुरू की. लक्की आगे बढ़ता गया.

गया में लक्की कुमार का हुआ स्वागत
गया में लक्की कुमार का हुआ स्वागत (ETV Bharat)

"ऑटो चलाया, दूध बेचकर बेटे के लक्ष्य को पूरा कराया. किसानी से यह सब कुछ संभव नहीं हो रहा था तो यह विकल्प अपनाया और अपने बेटे को लक्ष्य तक पहुंचाया. मेरे बेटे ने काफी मेहनत की इसलिए वह सफल हुआ. इसकी हमें काफी खुशी है." -विनोद सिंह, लक्की के पिता

केवल पढ़ाई पर ही था फोकस: लक्की ने बताया कि उन्हें पता था कि उनके पिता के पास पैसा नहीं है. वह काफी मेहनत करके परिवार का गुजारा करते हैं. ऐसे में उन्होंने केवल पढ़ाई पर ही ध्यान दिया. मां ने बताया कि उन्हें अपने बेटे की काबिलियत पर विश्वास था. मुझे अपने बेटे विश्वास था कि वह एक दिन फ्लाइंग ऑफिसर जरूर बनेगा. बेटे की सफलता से सबसे अधिक खुशी पिता को है.

लक्की कुमार, NDA दीक्षांत समारोह के टॉपर
लक्की कुमार, NDA दीक्षांत समारोह के टॉपर (ETV Bharat)

बेटे की सफलता पर मां हुईं भावुक: विनोद सिंह ने इतना संघर्ष किया कि आखिरकार उसका परिणाम एक बड़ी सफलता के रूप में आया. लक्की ने न सिर्फ एनडीए क्वालीफाई की, बल्कि एनडीए दीक्षांत समारोह में देशभर में टॉपर भी रहे. वहीं लक्की की मां मालती देवी भावुक हो जाती है. वह कहती है कि वह शुरू से ही मेहनती था. रात दिन पढ़ता था. हम जब कहते थे कि सो जाओ, तो वह कहता था कि आप सो जाइए. बहुत गरीबी से संघर्ष किया. परिवार का सहयोग मिला.

मां का चेहरा देता था प्रोत्साहन: लक्की कुमार बताते हैं कि जब वह पढ़ते थे तो रात में मां आती थी और कहती थी अब सो जाओ. मैं मां से कहता था कि आप सो जाइए. उस वक्त मां का चेहरा देखने से काफी प्रोत्साहन मिलता था. मां का चेहरा देखा तो ऐसा लगा जैसे लक्ष्य नजदीक है. उन्हें देखकर काफी हिम्मत हौसला मिला.

गया लक्की कुमार का हुआ सम्मान
गया लक्की कुमार का हुआ सम्मान (ETV Bharat)

3 साल एनडीए में ट्रेनिंग किया: लक्की वन से छह तक पढ़ाई मानस प्रभा स्कूल, सेवन से 10 तक संस्कार स्कूल और 11 -12 डीएवी स्कूल से पूरी की. वह जेईई का अध्ययन करना चाहते थे. बीच में एनडीए की तैयारी शुरू हो गई. एनडीए की तैयारी की. रिटेन आराम से हो गया. इंटरव्यू दिया तो उसमें भी मेरा सिलेक्शन हो गया. 3 साल एनडीए में ट्रेनिंग किया. 30 मई को दीक्षांत समारोह में टॉपर आया.

माता-पिता के साथ लक्की कुमार
माता-पिता के साथ लक्की कुमार (ETV Bharat)

"युवा मेहनत करें, सफलता मिलेगी. सरकारी नौकरी के पीछे नहीं भागे. जरूरी नहीं कि आपको जॉब मिलेगी. बिजनेस के रूप में भी विकल्प है. एनडीए की सीट हर साल 50 की संख्या में खाली रह जाती है. नौकरी न हो तो कई विकल्प है."- लक्की कुमार, NDA दीक्षांत समारोह के टॉपर

29 जून को एयरफोर्स एकेडमी ज्वाइन करेंगे: अब करीब एक महीने की छुट्टी के बाद 29 जून को एयरफोर्स एकेडमी ज्वाइन करुंगा. एनडीए की ट्रेनिंग ने मुझे एक सैनिक के रूप में तैयार किया है. मैं अपने देश की सेवा करने के लिए पूरी तरह तैयार हूं.

परिवार के साथ लक्की कुमार
परिवार के साथ लक्की कुमार (ETV Bharat)

गांव में सुपर हीरो की तरह स्वागत: एनडीए दीक्षांत समारोह टॉपर लक्की कुमार जब अपने गांव को पहुंचे तो उन्हें किसी हीरो की तरह स्वागत किया गया. उनके स्वागत करने वालों में जनप्रतिनिधि, प्रशासन और गांव के गणमान्य लोग शामिल थी. उपस्थित लोगों ने कहा कि लक्की कुमार ने न सिर्फ गांव का मान बढ़ाया है, बल्कि यह पूरे बिहार के लिए गौरव की बात है.

ट्रॉफी के साथ लक्की कुमार
ट्रॉफी के साथ लक्की कुमार (ETV Bharat)

गांव के लोग ही जीते हैं असली जिंदगी: एनडीए दीक्षांत समारोह के टॉपर लक्की कुमार ने गांव के वातावरण को सराहा. कहा कि गांव पूरी फैमिली है. शहर में लोग अपने जीवन में बिजी हैं. गांव के लोग असली जिंदगी जी रहे हैं. सफलता का कोई पैरामीटर नहीं है. जब तक सफलता न मिले, संघर्ष करते रहिए. संघर्ष के बाद अगला पड़ाव सफलता के रूप में है.

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गया: इंसान को सपने जरूर देखने चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत उससे भी ज्यादा करनी चाहिए. कुछ ऐसा ही एक ऑटो ड्राइवर के बेटे ने साबित करके दिखा दिया है. बिहार के गया रहने वाले लक्की कुमार ने महाराष्ट्र के पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी दीक्षांत समारोह में टॉप कर एयरफोर्स में ऑफिसर की डिग्री हासिल की. 29 जून को एयरफोर्स ज्वाइन करेंगे. आज हम बताएंगे कि लक्की की सफलता के पीछे कितनी बड़ी है संघर्ष की कहानी.

गया का लाल किया कमाल: बिहार के गया जी के वजीरगंज प्रखंड के कढौना गांव के लक्की कुमार ने महाराष्ट्र के पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी दीक्षांत समारोह में टॉप किया. लक्की ने लंबा संघर्ष किया. घर की स्थिति कभी बड़ी बाधा बनकर आई, लेकिन लक्की और उसके परिवार ने सभी बाधाओं को पार करते हुए सफलता की वह कहानी लिख दी जो आज एक मिसाल है. वहीं, हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी है.

लक्की कुमार, NDA दीक्षांत समारोह के टॉपर (ETV Bharat)

ऑटो चलाया, दूध बेचकर बनाया ऑफिसर: लक्की बताया कि उनके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. उनके पिता ने वर्षों तक ऑटो चलाकर ही परिवार की जरूरतों को पूरा किया है. आटो चलाने से घर का खर्च और बच्चों की पढ़ाई कराना मुश्किल होता है. उसके बाद दूध बेचा. इसके बावजूद इनके पिता ने हिम्मत नहीं हारते हुए अपने बच्चों को अच्छी एजुकेशन दिलवाई.

परिवार के साथ मंच पर लक्की कुमार
परिवार के साथ मंच पर लक्की कुमार (ETV Bharat)

पिता ने भी नहीं मानी हार: लक्की के पिता विनोद सिंह तीन भाई हैं. सभी परिवार के लोग साथ रहते हैं. विनोद सिंह के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. उन्होंने ऑटो चलाना शुरू किया. दो गायें थी, तो गायों का दूध भी बेचकर ही परिवार की जरूरतों को पूरा किया है. उन्होंने बेटे को के लक्ष्य को पूरा कराने के लिए वह संघर्ष किया जो एक पिता के रूप में भी मिसाल है. विनोद सिंह ने लक्की को शुरू से ही अच्छी शिक्षा देनी दिलानी शुरू की. लक्की आगे बढ़ता गया.

गया में लक्की कुमार का हुआ स्वागत
गया में लक्की कुमार का हुआ स्वागत (ETV Bharat)

"ऑटो चलाया, दूध बेचकर बेटे के लक्ष्य को पूरा कराया. किसानी से यह सब कुछ संभव नहीं हो रहा था तो यह विकल्प अपनाया और अपने बेटे को लक्ष्य तक पहुंचाया. मेरे बेटे ने काफी मेहनत की इसलिए वह सफल हुआ. इसकी हमें काफी खुशी है." -विनोद सिंह, लक्की के पिता

केवल पढ़ाई पर ही था फोकस: लक्की ने बताया कि उन्हें पता था कि उनके पिता के पास पैसा नहीं है. वह काफी मेहनत करके परिवार का गुजारा करते हैं. ऐसे में उन्होंने केवल पढ़ाई पर ही ध्यान दिया. मां ने बताया कि उन्हें अपने बेटे की काबिलियत पर विश्वास था. मुझे अपने बेटे विश्वास था कि वह एक दिन फ्लाइंग ऑफिसर जरूर बनेगा. बेटे की सफलता से सबसे अधिक खुशी पिता को है.

लक्की कुमार, NDA दीक्षांत समारोह के टॉपर
लक्की कुमार, NDA दीक्षांत समारोह के टॉपर (ETV Bharat)

बेटे की सफलता पर मां हुईं भावुक: विनोद सिंह ने इतना संघर्ष किया कि आखिरकार उसका परिणाम एक बड़ी सफलता के रूप में आया. लक्की ने न सिर्फ एनडीए क्वालीफाई की, बल्कि एनडीए दीक्षांत समारोह में देशभर में टॉपर भी रहे. वहीं लक्की की मां मालती देवी भावुक हो जाती है. वह कहती है कि वह शुरू से ही मेहनती था. रात दिन पढ़ता था. हम जब कहते थे कि सो जाओ, तो वह कहता था कि आप सो जाइए. बहुत गरीबी से संघर्ष किया. परिवार का सहयोग मिला.

मां का चेहरा देता था प्रोत्साहन: लक्की कुमार बताते हैं कि जब वह पढ़ते थे तो रात में मां आती थी और कहती थी अब सो जाओ. मैं मां से कहता था कि आप सो जाइए. उस वक्त मां का चेहरा देखने से काफी प्रोत्साहन मिलता था. मां का चेहरा देखा तो ऐसा लगा जैसे लक्ष्य नजदीक है. उन्हें देखकर काफी हिम्मत हौसला मिला.

गया लक्की कुमार का हुआ सम्मान
गया लक्की कुमार का हुआ सम्मान (ETV Bharat)

3 साल एनडीए में ट्रेनिंग किया: लक्की वन से छह तक पढ़ाई मानस प्रभा स्कूल, सेवन से 10 तक संस्कार स्कूल और 11 -12 डीएवी स्कूल से पूरी की. वह जेईई का अध्ययन करना चाहते थे. बीच में एनडीए की तैयारी शुरू हो गई. एनडीए की तैयारी की. रिटेन आराम से हो गया. इंटरव्यू दिया तो उसमें भी मेरा सिलेक्शन हो गया. 3 साल एनडीए में ट्रेनिंग किया. 30 मई को दीक्षांत समारोह में टॉपर आया.

माता-पिता के साथ लक्की कुमार
माता-पिता के साथ लक्की कुमार (ETV Bharat)

"युवा मेहनत करें, सफलता मिलेगी. सरकारी नौकरी के पीछे नहीं भागे. जरूरी नहीं कि आपको जॉब मिलेगी. बिजनेस के रूप में भी विकल्प है. एनडीए की सीट हर साल 50 की संख्या में खाली रह जाती है. नौकरी न हो तो कई विकल्प है."- लक्की कुमार, NDA दीक्षांत समारोह के टॉपर

29 जून को एयरफोर्स एकेडमी ज्वाइन करेंगे: अब करीब एक महीने की छुट्टी के बाद 29 जून को एयरफोर्स एकेडमी ज्वाइन करुंगा. एनडीए की ट्रेनिंग ने मुझे एक सैनिक के रूप में तैयार किया है. मैं अपने देश की सेवा करने के लिए पूरी तरह तैयार हूं.

परिवार के साथ लक्की कुमार
परिवार के साथ लक्की कुमार (ETV Bharat)

गांव में सुपर हीरो की तरह स्वागत: एनडीए दीक्षांत समारोह टॉपर लक्की कुमार जब अपने गांव को पहुंचे तो उन्हें किसी हीरो की तरह स्वागत किया गया. उनके स्वागत करने वालों में जनप्रतिनिधि, प्रशासन और गांव के गणमान्य लोग शामिल थी. उपस्थित लोगों ने कहा कि लक्की कुमार ने न सिर्फ गांव का मान बढ़ाया है, बल्कि यह पूरे बिहार के लिए गौरव की बात है.

ट्रॉफी के साथ लक्की कुमार
ट्रॉफी के साथ लक्की कुमार (ETV Bharat)

गांव के लोग ही जीते हैं असली जिंदगी: एनडीए दीक्षांत समारोह के टॉपर लक्की कुमार ने गांव के वातावरण को सराहा. कहा कि गांव पूरी फैमिली है. शहर में लोग अपने जीवन में बिजी हैं. गांव के लोग असली जिंदगी जी रहे हैं. सफलता का कोई पैरामीटर नहीं है. जब तक सफलता न मिले, संघर्ष करते रहिए. संघर्ष के बाद अगला पड़ाव सफलता के रूप में है.

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