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हाड़ौती के लहसुन उत्पादकों को मिल रहे बीते साल से आधे दाम, सरकार का रेवेन्यू भी प्रभावित - GARLIC PRICE FALL

लहसुन का उत्पादन अधिक, डिमांड कम होने से भाव गिरे. किसान दाम बढ़ने की आस में रोक रहे माल. मंडी को भी राजस्व में गिरावट.

लहसुन के दामों में गिरावट
लहसुन के दामों में गिरावट (ETV Bharat Kota)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 5, 2025 at 1:44 PM IST

4 Min Read

कोटा: हाड़ौती क्षेत्र के लहसुन उत्पादक किसानों को इस बार बीते वर्ष की तुलना में अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं. इससे न केवल किसानों की आय प्रभावित हुई है, बल्कि सरकार को मिलने वाला मंडी रेवेन्यू भी घट गया है, जबकि इस बार लहसुन का उत्पादन बीते साल से अधिक है, लेकिन बाजार में डिमांड कम होने के कारण किसानों को लगभग आधे दाम ही मिल पा रहे हैं. हालांकि लागत से थोड़ा मार्जिन मिल रहा है, इसीलिए किसान पूरी तरह से संकट में नहीं हैं.

किसानों ने रोक रखा है माल: भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव ने बताया कि कई किसानों ने अपने माल को दाम बढ़ने की आस में रोके रखा है. किसान वर्तमान भावों से संतुष्ट नहीं हैं और बाजार में सुधार की प्रतीक्षा कर रहे हैं. इसी के चलते इस साल भामाशाह कृषि उपज मंडी में लहसुन की आवक भी घटी है. मंडी सचिव मनोज कुमार मीणा के अनुसार 2024 में अप्रैल और मई में कुल 2.86 लाख क्विंटल लहसुन आया था, वहीं इस साल 2025 में यह घटकर 2.17 लाख क्विंटल रह गया है.

मंडी में लहसुन लेकर पहुंचे किसान
मंडी में लहसुन लेकर पहुंचे किसान (ETV Bharat Kota)

इसे भी पढ़ें- स्पेशल: इस बार किसानों को रुला सकता है लहसुन, अच्छे दाम मिलने की उम्मीद कम

"बीते साल से इस साल अप्रैल और मई में भाव कम रहे हैं, यह 65 से 70 रुपए प्रति किलो के आसपास रहे. हालांकि, आवक इस बार थोड़ी कम है. बीते साल दाम करीब अप्रैल व मई में 120 प्रति किलो के आसपास लहसुन का दाम था. इससे लहसुन से होने वाले मंडी रेवेन्यू पर थोड़ा असर पड़ा है. दाम कम होने का कारण भी डिमांड कम होना ही है."- मनोज कुमार मीणा, सेक्रेटरी, भामाशाह कृषि उपज मंडी, कोटा

रेवेन्यू पर सीधा असर: मंडी में रेवेन्यू व्यापारी की लागत के आधार पर लिया जाता है. इस साल लागत बीते वर्ष की तुलना में आधी होने से रेवेन्यू भी घट गया है. मंडी रिकॉर्ड के अनुसार, नवंबर 2024 में जहां लहसुन का मॉडल भाव 240 रुपए प्रति किलो था और हाई क्वालिटी लहसुन 350 से 400 रुपए प्रति किलो तक बिका था, वहीं अब अप्रैल और मई 2025 में यह मॉडल भाव गिरकर 70 रुपए प्रति किलो और हाई क्वालिटी लहसुन 90 से 100 रुपए प्रति किलो पर अटक गया है.

इसे भी पढ़ें- हाड़ौती के किसानों ने बोया 1500 करोड़ से ज्यादा का लहसुन, ऊंचे दाम रही वजह

नवंबर 2024 के बाद शुरू हुई गिरावट: बीते साल अप्रैल में लहसुन का मॉडल भाव 110 रुपए प्रति किलो से शुरू हुआ था, जो जून में 120, जुलाई में 140, अगस्त-सितंबर में 180, अक्टूबर में 220 और नवंबर में 240 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद दिसंबर में यह गिरकर 200 रुपए हुआ, फिर जनवरी 2025 में 100 और फरवरी में 65 रुपए पर आ गया. मार्च में यह और नीचे जाकर 60 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया. अप्रैल और मई में थोड़ा सुधार आया, लेकिन भाव अब भी 70 रुपए प्रति किलो पर बने हुए हैं.

माशाह कृषि उपज मंडी, कोटा
माशाह कृषि उपज मंडी, कोटा (ETV Bharat Kota)

साल 2022 में हाड़ौती में लहसुन का रकबा लगभग 7 लाख हेक्टेयर था और उत्पादन 7.25 लाख मीट्रिक टन हुआ था. इस भारी उत्पादन से दाम बुरी तरह से गिर गए थे और किसानों को महज 1 से 2 रुपए प्रति किलो तक का भाव मिला था. स्थिति इतनी खराब थी कि किसानों ने अपने खेतों में ही लहसुन को ट्रैक्टर से नष्ट कर दिया या सड़क किनारे फेंक दिया. इसके चलते 2023 में रकबा घटा और दाम सुधरे. 2024 में रिकॉर्ड भाव मिले, लेकिन अब फिर गिरावट का दौर है.

इसे भी पढ़ें- Rajasthan: हाड़ौती में लहसुन किसानों की दिवाली रोशन, इस सीजन में अब तक बिक चुका है 5 हजार करोड़ का माल

इसे भी पढ़ें- कहीं आपके किचन में तो नहीं है चाइनीज लहसुन, स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक, किसानों को भी नुकसान - Chinese Garlic

कोटा: हाड़ौती क्षेत्र के लहसुन उत्पादक किसानों को इस बार बीते वर्ष की तुलना में अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं. इससे न केवल किसानों की आय प्रभावित हुई है, बल्कि सरकार को मिलने वाला मंडी रेवेन्यू भी घट गया है, जबकि इस बार लहसुन का उत्पादन बीते साल से अधिक है, लेकिन बाजार में डिमांड कम होने के कारण किसानों को लगभग आधे दाम ही मिल पा रहे हैं. हालांकि लागत से थोड़ा मार्जिन मिल रहा है, इसीलिए किसान पूरी तरह से संकट में नहीं हैं.

किसानों ने रोक रखा है माल: भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव ने बताया कि कई किसानों ने अपने माल को दाम बढ़ने की आस में रोके रखा है. किसान वर्तमान भावों से संतुष्ट नहीं हैं और बाजार में सुधार की प्रतीक्षा कर रहे हैं. इसी के चलते इस साल भामाशाह कृषि उपज मंडी में लहसुन की आवक भी घटी है. मंडी सचिव मनोज कुमार मीणा के अनुसार 2024 में अप्रैल और मई में कुल 2.86 लाख क्विंटल लहसुन आया था, वहीं इस साल 2025 में यह घटकर 2.17 लाख क्विंटल रह गया है.

मंडी में लहसुन लेकर पहुंचे किसान
मंडी में लहसुन लेकर पहुंचे किसान (ETV Bharat Kota)

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"बीते साल से इस साल अप्रैल और मई में भाव कम रहे हैं, यह 65 से 70 रुपए प्रति किलो के आसपास रहे. हालांकि, आवक इस बार थोड़ी कम है. बीते साल दाम करीब अप्रैल व मई में 120 प्रति किलो के आसपास लहसुन का दाम था. इससे लहसुन से होने वाले मंडी रेवेन्यू पर थोड़ा असर पड़ा है. दाम कम होने का कारण भी डिमांड कम होना ही है."- मनोज कुमार मीणा, सेक्रेटरी, भामाशाह कृषि उपज मंडी, कोटा

रेवेन्यू पर सीधा असर: मंडी में रेवेन्यू व्यापारी की लागत के आधार पर लिया जाता है. इस साल लागत बीते वर्ष की तुलना में आधी होने से रेवेन्यू भी घट गया है. मंडी रिकॉर्ड के अनुसार, नवंबर 2024 में जहां लहसुन का मॉडल भाव 240 रुपए प्रति किलो था और हाई क्वालिटी लहसुन 350 से 400 रुपए प्रति किलो तक बिका था, वहीं अब अप्रैल और मई 2025 में यह मॉडल भाव गिरकर 70 रुपए प्रति किलो और हाई क्वालिटी लहसुन 90 से 100 रुपए प्रति किलो पर अटक गया है.

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नवंबर 2024 के बाद शुरू हुई गिरावट: बीते साल अप्रैल में लहसुन का मॉडल भाव 110 रुपए प्रति किलो से शुरू हुआ था, जो जून में 120, जुलाई में 140, अगस्त-सितंबर में 180, अक्टूबर में 220 और नवंबर में 240 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद दिसंबर में यह गिरकर 200 रुपए हुआ, फिर जनवरी 2025 में 100 और फरवरी में 65 रुपए पर आ गया. मार्च में यह और नीचे जाकर 60 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया. अप्रैल और मई में थोड़ा सुधार आया, लेकिन भाव अब भी 70 रुपए प्रति किलो पर बने हुए हैं.

माशाह कृषि उपज मंडी, कोटा
माशाह कृषि उपज मंडी, कोटा (ETV Bharat Kota)

साल 2022 में हाड़ौती में लहसुन का रकबा लगभग 7 लाख हेक्टेयर था और उत्पादन 7.25 लाख मीट्रिक टन हुआ था. इस भारी उत्पादन से दाम बुरी तरह से गिर गए थे और किसानों को महज 1 से 2 रुपए प्रति किलो तक का भाव मिला था. स्थिति इतनी खराब थी कि किसानों ने अपने खेतों में ही लहसुन को ट्रैक्टर से नष्ट कर दिया या सड़क किनारे फेंक दिया. इसके चलते 2023 में रकबा घटा और दाम सुधरे. 2024 में रिकॉर्ड भाव मिले, लेकिन अब फिर गिरावट का दौर है.

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