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सिलिकोसिस बीमारी के नाम पर गड़बड़झाला : जिला अस्पताल के रेडियोग्राफर समेत चार आरोपी गिरफ्तार - SCAM IN NAME OF DISEASE

धौलपुर में सिलिकोसिस बीमारी के नाम पर कागजों में ही हो रहा था फर्जी मरीजों का इलाज.

जिला अस्पताल के रेडियोग्राफर समेत चार आरोपी गिरफ्तार
जिला अस्पताल के रेडियोग्राफर समेत चार आरोपी गिरफ्तार (फोटो ईटीवी भारत धौलपुर)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 9, 2025 at 7:53 AM IST

3 Min Read

धौलपुर: चिकित्सा विभाग में सिलिकोसिस बीमारी के नाम पर फर्जीवाड़े की ईटीवी भारत पर खबर दिखाए जाने के बाद पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. जिला अस्पताल के रेडियोग्राफर सुरेंद्र त्यागी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने आपस में मिली भगत कर 106 लोगों को फर्जी तरीके से सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित बना दिया था. आरोपियों पर सरकारी राशि हड़पने का आरोप लगा है.

कोतवाली थाना प्रभारी हरिनारायण ने बताया सिलिकोसिस बीमारी के नाम पर चिकित्सा विभाग में धोखाधड़ी करने का मामला चिकित्सा विभाग ने दर्ज कराया था. उन्होंने बताया मामला 18 मार्च 2025 को चिकित्सा विभाग के बड़े अधिकारियों के संज्ञान में आया था. जब जयपुर के सिलिकोसिस नोडल अधिकारी डॉ. प्रहलाद सिसोदिया ने त्यागी की SSO ID से गलत एक्स-रे अपलोड होने की जानकारी दी. जांच में पता चला कि रेडियोग्राफर त्यागी ने वार्ड बॉय सौरभ जाटव के जरिए दलाल तोताराम को अपनी SSO ID और पासवर्ड दिया था.

इसे भी पढ़ें: धौलपुर में फर्जीवाड़ा: सिलिकोसिस के 106 फर्जी मरीज दिखाकर 3 करोड़ से ज्यादा रुपए का गबन

थाना प्रभारी ने बताया इस पूरे रैकेट में मुख्य सरगना रामबृज कुशवाह था. वह अपने घर पर लगी एक्स-रे मशीन से फर्जी एक्स-रे तैयार करता था. फोटोशॉप से पुराने सिलिकोसिस मरीजों के एक्स-रे में नए मरीजों का नाम और विवरण डाला जाता था. सरकार सिलिकोसिस पीड़ितों को इलाज के लिए 3 लाख रुपये की सहायता देती है. इसमें से 2 लाख रुपये आरोपी खुद रख लेते थे और मरीज को केवल 1 लाख रुपये देते थे. दलालों को प्रति मरीज 20-20 हजार रुपये की राशि दी जाती थी. थाना प्रभारी हरिनारायण ने बताया पुलिस ने इस मामले में रेडियोग्राफर सुरेन्द्र त्यागी, रामबृज कुशवाह, सकूर खान और सौरभ को गिरफ्तार किया है. आरोपियों से गहन पूछताछ जारी है. मामला धारा 318(2) BNS और IT एक्ट की धारा 66C, 66D के तहत दर्ज किया गया है.

106 लोगों को बनाया फर्जी सिलिकोसिस मरीज : थाना प्रभारी हरिनारायण ने बताया आरोपियों ने फर्जीवाड़े की शुरुआत जनवरी 2025 से शुरू की थी. जनवरी से लेकर मार्च तक के महीने में 30 से लेकर 35 सिलिकोसिस मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया. 3 महीने के अंतराल में 109 मरीज सरकारी रिकॉर्ड में सिलिकोसिस बीमारी के दर्ज हो गए. इस मामले की चिकित्सा विभाग ने जांच पड़ताल की तो 106 मरीज सिलकोसिस के फर्जी पाए गए. इतना बड़ा फर्जीवाड़ा होने के बाद चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया. जिला कलेक्टर के निर्देश में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी धर्म सिंह मीणा ने मुकदमा दर्ज कराया था.

धौलपुर: चिकित्सा विभाग में सिलिकोसिस बीमारी के नाम पर फर्जीवाड़े की ईटीवी भारत पर खबर दिखाए जाने के बाद पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. जिला अस्पताल के रेडियोग्राफर सुरेंद्र त्यागी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने आपस में मिली भगत कर 106 लोगों को फर्जी तरीके से सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित बना दिया था. आरोपियों पर सरकारी राशि हड़पने का आरोप लगा है.

कोतवाली थाना प्रभारी हरिनारायण ने बताया सिलिकोसिस बीमारी के नाम पर चिकित्सा विभाग में धोखाधड़ी करने का मामला चिकित्सा विभाग ने दर्ज कराया था. उन्होंने बताया मामला 18 मार्च 2025 को चिकित्सा विभाग के बड़े अधिकारियों के संज्ञान में आया था. जब जयपुर के सिलिकोसिस नोडल अधिकारी डॉ. प्रहलाद सिसोदिया ने त्यागी की SSO ID से गलत एक्स-रे अपलोड होने की जानकारी दी. जांच में पता चला कि रेडियोग्राफर त्यागी ने वार्ड बॉय सौरभ जाटव के जरिए दलाल तोताराम को अपनी SSO ID और पासवर्ड दिया था.

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थाना प्रभारी ने बताया इस पूरे रैकेट में मुख्य सरगना रामबृज कुशवाह था. वह अपने घर पर लगी एक्स-रे मशीन से फर्जी एक्स-रे तैयार करता था. फोटोशॉप से पुराने सिलिकोसिस मरीजों के एक्स-रे में नए मरीजों का नाम और विवरण डाला जाता था. सरकार सिलिकोसिस पीड़ितों को इलाज के लिए 3 लाख रुपये की सहायता देती है. इसमें से 2 लाख रुपये आरोपी खुद रख लेते थे और मरीज को केवल 1 लाख रुपये देते थे. दलालों को प्रति मरीज 20-20 हजार रुपये की राशि दी जाती थी. थाना प्रभारी हरिनारायण ने बताया पुलिस ने इस मामले में रेडियोग्राफर सुरेन्द्र त्यागी, रामबृज कुशवाह, सकूर खान और सौरभ को गिरफ्तार किया है. आरोपियों से गहन पूछताछ जारी है. मामला धारा 318(2) BNS और IT एक्ट की धारा 66C, 66D के तहत दर्ज किया गया है.

106 लोगों को बनाया फर्जी सिलिकोसिस मरीज : थाना प्रभारी हरिनारायण ने बताया आरोपियों ने फर्जीवाड़े की शुरुआत जनवरी 2025 से शुरू की थी. जनवरी से लेकर मार्च तक के महीने में 30 से लेकर 35 सिलिकोसिस मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया. 3 महीने के अंतराल में 109 मरीज सरकारी रिकॉर्ड में सिलिकोसिस बीमारी के दर्ज हो गए. इस मामले की चिकित्सा विभाग ने जांच पड़ताल की तो 106 मरीज सिलकोसिस के फर्जी पाए गए. इतना बड़ा फर्जीवाड़ा होने के बाद चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया. जिला कलेक्टर के निर्देश में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी धर्म सिंह मीणा ने मुकदमा दर्ज कराया था.

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