नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में बुधवार को अप्रैल 2024 में दिल्ली में निर्वाचन आयोग के दफ्तर के सामने प्रदर्शन करने के मामले में तृणमूल कांग्रेस के चार नेता पेश हुए, जबकि छह पेश नहीं हुए. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट नेता मित्तल ने 29 मई को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई करने का आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान कोर्ट में डेरेक ओ ब्रायन, डोला सेन, शांतनु सेन और विवेक गुप्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए, जबकि नदीमुल हक, साकेत गोखले, सागरिका घोष, अर्पिता घोष, अबीर रंजन बिश्वास और सुदीप राहा अनुपस्थित थे. अनुपस्थित होने वाले आरोपियों की ओर से पेश वकील ने उनकी पेशी से छूट की मांग की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया. कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर अगली सुनवाई 29 मई को करने का आदेश दिया.
दस नेताओं को मिली जमानत: मामले में तृणमूल कांग्रेस के सभी दस आरोपी नेताओं को जमानत मिल चुकी है. कोर्ट ने 21 अप्रैल को तृणमूल कांग्रेस के दस नेताओं को समन जारी किया था. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से जारी चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए समन जारी किया. कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 145 और 34 के तहत संज्ञान लिया था.
धारा 144 का किया उल्लंघन: दरअसल 8 अप्रैल, 2024 को शाम करीब चार बजे तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया था. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, इन नेताओं ने ये प्रदर्शन बिना किसी अनुमति के किया था और धारा 144 का उल्लंघन किया. दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, इन नेताओं ने चेतावनी देने के बावजूद प्रदर्शन जारी रखा, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई.
की थी ये मांग: तृणमूल नेताओं का ये प्रदर्शन सीबीआई, ईडी, एनआईए और इनकम टैक्स विभाग के प्रमुखों को हटाने की मांग करते हुए किया गया था. उनका कहना था कि ये एजेंसियां बीजेपी के दबाव में काम कर रही थीं. प्रदर्शन के पहले तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने निर्वाचन आयोग के सभी आयुक्तों को अपनी मांग संबंधी ज्ञापन दिया था, जिसके बाद प्रदर्शन करने पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.
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