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दिल्ली केदारनाथ मंदिर के संस्थापक का बयान, विरोध करने वालों को सद्बुद्धि दें भगवान, नाम बदलने को तैयार - Kedarnath temple Delhi

दिल्ली में बनने जा रहे केदारनाथ मंदिर के विरोध में इस समय पूरा उत्तराखंड एक हो रखा है. राजनीतिक पार्टियों से लेकर साधु-संत तक दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण का विरोध कर रहे हैं. इसी मामले पर मंगलवार को देहरादून में श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने प्रेस वार्ता की और अपनी बात रखी.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 16, 2024, 3:37 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 4:35 PM IST

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श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला (ETV Bharat)
दिल्ली केदारनाथ मंदिर के संस्थापक का बयान (ईटीवी भारत.)

देहरादून: दिल्ली में बनने जा रहे केदारनाथ मंदिर का प्रदेश भर में विरोध हो रहा है. विरोध इसलिए भी और अधिक उग्र हो गया है, क्योंकि सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद दिल्ली पहुंचकर केदारनाथ मंदिर के निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया था. प्रदेश भर में लगातार बढ़ रहे विरोध को देखते हुए श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने मंगलवार को प्रेसवार्ता की. प्रेस वार्ता के दौरान सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ धाम नहीं बल्कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. बावजूद इसके कुछ लोग इसे मुद्दा बनाकर देने की कोशिश कर रहे हैं.

सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है, जिसके नाम का विरोध किया जा रहा है. ऐसे में ट्रस्ट के नाम से धाम शब्द को हटा दिया जाएगा. साथ ही की देशभर में मौजूद तमाम ज्योतिर्लिंग से जुड़े मंदिर कई जगह पर बने हुए है.

सुरेंद्र रौतेला ने बताया कि उत्तराखंड के हिमालय पर स्थित बदरीनाथ धाम के नाम से ही एक मंदिर मुंबई में बना हुआ है, लेकिन उस दौरान किसी भी तीर्थ पुरोहित या किसी भी व्यक्ति ने विरोध नहीं किया. इसी तरह गुजरात के पाटन में भगवान शिव को समर्पित केधारेश्वर मंदिर है और जम्मू-कश्मीर में भी एक ऐसा स्थान है, जिसे केदारनाथ के नाम से जाना जाता हैं.

सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि मंदिरों के निर्माण की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और यह एक पुण्य का कार्य है. किसी भी ज्योतिर्लिंग के नाम से मंदिर का निर्माण करना आस्था के मद्देनजर गलत नहीं है. प्राचीन काल में राज्य का शासक अपने राज्य में घूम-घूम कर पहाड़ों पर, नदियों के किनारे, जंगलों में, देश की अंतिम सीमाओं पर मंदिरों और देवालयों की स्थापना करते थे.

सुरेंद्र ने कहा कि वह खुद भोला नाथ के भक्त हैं और उन्हीं के आशीर्वाद से दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण करेंगे, लेकिन बाबा केदारनाथ का धाम उत्तराखंड में ही रहेगा, जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनको भगवान शंकर सद्बुद्धि दें.

श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि वो भी उत्तराखंड के ही है. ऐसे में उनकी किसी भी बात से कोई आहत हुआ है या किसी को ऐसा लग रहा है कि कुछ गलत हुआ है, वो सभी को सात लेकर चलने के लिए तैयार है.

साथ ही कहा कि अगर व्यक्तिगत लाभ होता तो मंदिर नहीं बनाते, बल्कि कही दुकान खोलकर पैसा कमाते, लेकिन ये मंदिर है. साथ ही कहा कि जो विरोध कर रहे है, उनको भगवान केदार सद्बुद्धि देंगे. साथ ही कहा कि धाम के नाम को लेकर कोई गलती हुई है तो वो धाम का नाम बदलने को तैयार है और उनकी इस पहल से अगर किसी साधु संत और श्रद्धालु के दिल को ठेस पहुंची है तो वो माफी मांगने को तैयार है.

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दिल्ली केदारनाथ मंदिर के संस्थापक का बयान (ईटीवी भारत.)

देहरादून: दिल्ली में बनने जा रहे केदारनाथ मंदिर का प्रदेश भर में विरोध हो रहा है. विरोध इसलिए भी और अधिक उग्र हो गया है, क्योंकि सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद दिल्ली पहुंचकर केदारनाथ मंदिर के निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया था. प्रदेश भर में लगातार बढ़ रहे विरोध को देखते हुए श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने मंगलवार को प्रेसवार्ता की. प्रेस वार्ता के दौरान सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ धाम नहीं बल्कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. बावजूद इसके कुछ लोग इसे मुद्दा बनाकर देने की कोशिश कर रहे हैं.

सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है, जिसके नाम का विरोध किया जा रहा है. ऐसे में ट्रस्ट के नाम से धाम शब्द को हटा दिया जाएगा. साथ ही की देशभर में मौजूद तमाम ज्योतिर्लिंग से जुड़े मंदिर कई जगह पर बने हुए है.

सुरेंद्र रौतेला ने बताया कि उत्तराखंड के हिमालय पर स्थित बदरीनाथ धाम के नाम से ही एक मंदिर मुंबई में बना हुआ है, लेकिन उस दौरान किसी भी तीर्थ पुरोहित या किसी भी व्यक्ति ने विरोध नहीं किया. इसी तरह गुजरात के पाटन में भगवान शिव को समर्पित केधारेश्वर मंदिर है और जम्मू-कश्मीर में भी एक ऐसा स्थान है, जिसे केदारनाथ के नाम से जाना जाता हैं.

सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि मंदिरों के निर्माण की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और यह एक पुण्य का कार्य है. किसी भी ज्योतिर्लिंग के नाम से मंदिर का निर्माण करना आस्था के मद्देनजर गलत नहीं है. प्राचीन काल में राज्य का शासक अपने राज्य में घूम-घूम कर पहाड़ों पर, नदियों के किनारे, जंगलों में, देश की अंतिम सीमाओं पर मंदिरों और देवालयों की स्थापना करते थे.

सुरेंद्र ने कहा कि वह खुद भोला नाथ के भक्त हैं और उन्हीं के आशीर्वाद से दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण करेंगे, लेकिन बाबा केदारनाथ का धाम उत्तराखंड में ही रहेगा, जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनको भगवान शंकर सद्बुद्धि दें.

श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि वो भी उत्तराखंड के ही है. ऐसे में उनकी किसी भी बात से कोई आहत हुआ है या किसी को ऐसा लग रहा है कि कुछ गलत हुआ है, वो सभी को सात लेकर चलने के लिए तैयार है.

साथ ही कहा कि अगर व्यक्तिगत लाभ होता तो मंदिर नहीं बनाते, बल्कि कही दुकान खोलकर पैसा कमाते, लेकिन ये मंदिर है. साथ ही कहा कि जो विरोध कर रहे है, उनको भगवान केदार सद्बुद्धि देंगे. साथ ही कहा कि धाम के नाम को लेकर कोई गलती हुई है तो वो धाम का नाम बदलने को तैयार है और उनकी इस पहल से अगर किसी साधु संत और श्रद्धालु के दिल को ठेस पहुंची है तो वो माफी मांगने को तैयार है.

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Last Updated : Jul 16, 2024, 4:35 PM IST
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