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वाराणसी के पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह निलंबित; फर्जी दस्तावेज बनाकर कैदी की रिहाई में पाए गए दोषी - VARANASI NEWS

शासन स्तर से जांचकर मामले में कार्रवाई की गई है. पूर्व डिप्टी जेलर रतन प्रिया ने भी आरोप लगाते हुए कार्रवाई की अपील की थी.

वाराणसी के पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह निलंबित.
वाराणसी के पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह निलंबित. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 9, 2025 at 7:33 AM IST

3 Min Read

वाराणसी: जिला जेल वाराणसी में पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह को निलंबित कर दिया गया है. उन पर ये करवाई फर्जी दस्तावेज बनाकर एक विचाराधीन बंदी की रिहाई के मामले में हुई है. दरअसल, सोशल मीडिया के जरिए शासन के पास उमेश सिंह का एक विचाराधीन कैदी को बिना कोर्ट की रिहाई के आदेश के फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग कर रिहाई देने का वीडियो पहुंचा था.

इसके बाद शासन स्तर से जांच कर इस मामले में कार्रवाई की गई है. यही नहीं बीते कुछ दिन पहले पूर्व डिप्टी जेलर रतन प्रिया ने भी उमेश सिंह पर कई आरोप लगाते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की अपील की थी.

बता दें कि, वाराणसी जिला जेल में बीते कई दिन से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. पूर्व की दो महिला डिप्टी जेलरों ने उमेश सिंह पर कई संगीन आरोप लगाए थे. फर्जी दस्तावेज संग रिहाई के मामले में उमेश सिंह के निलंबन का आदेश कारागार प्रशासन के संयुक्त सचिव ने जारी किया है.

उन्होंने लिखा है कि उमेश सिंह ने जिला जेल वाराणसी में विचाराधीन बंदी सुनील कुमार हाथरस के निवासी को फर्जी रिहाई दी है, जिसकी जानकारी शासन को हुई. जिसके बाद प्रथम दृष्टया उमेश सिंह दोषी पाए गए. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली के तहत अनुशासनिक कार्रवाई की भी संस्तुति की गई है.

इस दौरान उन्हें कारागार अधीक्षक मुख्यालय कारगर प्रशासन एवं सुविधाएं सेवाएं उत्तर प्रदेश से संबद्ध किया गया है. बताते चलें कि इस मामले के पहले पूर्व डिप्टी जिला रतन प्रिया ने आरोप लगाए थे, जो वर्तमान समय में मैनपुरी जिला जेल में डिप्टी जेलर के पद पर तैनात हैं.

इन्होंने जुलाई 2024 में एक शिकायती पत्र कारागार प्रशासन को भेजा था, जिसमें उन्होंने उस समय के जिला जेल अधीक्षक उमेश सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कारागार में कपड़ों को अस्त-व्यस्त रखना, उसी अवस्था में महिला कर्मियों से अमर्यादित भाषा में बात करना, लैंगिक भेदभाव, जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करना, इत्यादि को लेकर आरोप लगाया था.

इसके बाद शासन स्तर पर जांच की गई. संयुक्त सचिव शिव गोपाल सिंह द्वारा जारी लेटर के अनुसार इस मामले में आंतरिक जांच समिति बनाई गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट 22 मार्च को कार्यालय में जमा की है. इस जांच रिपोर्ट के आधार पर जेल अधीक्षक को प्रथम दृष्टिया दोषी पाए जाने पर नियमावली 1999 के नियम साथ के तहत अनुशासनिक कार्रवाई के संस्तुति दी गई है, इसमें जांच के बाद उन्हें दंडित किया जाएगा.

पूर्व डिप्टी जेलर रतन प्रिया के बाद पूर्व डिप्टी जेलर मीना कनौजिया और उनकी बेटी ने उमेश सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए इच्छा मृत्यु की मांग की थी. उनकी बेटी नेहा ने कहा था कि उमेश सिंह के द्वारा मेरी मां को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है. हमने कई बार इसकी शिकायत की लेकिन, सुनवाई नहीं हुई. इस प्रताड़ना से अच्छा है कि मुझे इच्छा मृत्यु दे दी जाए.

ये भी पढ़ेंः कानपुर में किशोरी से गैंगरेप; 4 युवकों ने कार में जबरन बैठाया और की वारदात, सड़क पर छोड़कर भागे

वाराणसी: जिला जेल वाराणसी में पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह को निलंबित कर दिया गया है. उन पर ये करवाई फर्जी दस्तावेज बनाकर एक विचाराधीन बंदी की रिहाई के मामले में हुई है. दरअसल, सोशल मीडिया के जरिए शासन के पास उमेश सिंह का एक विचाराधीन कैदी को बिना कोर्ट की रिहाई के आदेश के फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग कर रिहाई देने का वीडियो पहुंचा था.

इसके बाद शासन स्तर से जांच कर इस मामले में कार्रवाई की गई है. यही नहीं बीते कुछ दिन पहले पूर्व डिप्टी जेलर रतन प्रिया ने भी उमेश सिंह पर कई आरोप लगाते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की अपील की थी.

बता दें कि, वाराणसी जिला जेल में बीते कई दिन से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. पूर्व की दो महिला डिप्टी जेलरों ने उमेश सिंह पर कई संगीन आरोप लगाए थे. फर्जी दस्तावेज संग रिहाई के मामले में उमेश सिंह के निलंबन का आदेश कारागार प्रशासन के संयुक्त सचिव ने जारी किया है.

उन्होंने लिखा है कि उमेश सिंह ने जिला जेल वाराणसी में विचाराधीन बंदी सुनील कुमार हाथरस के निवासी को फर्जी रिहाई दी है, जिसकी जानकारी शासन को हुई. जिसके बाद प्रथम दृष्टया उमेश सिंह दोषी पाए गए. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली के तहत अनुशासनिक कार्रवाई की भी संस्तुति की गई है.

इस दौरान उन्हें कारागार अधीक्षक मुख्यालय कारगर प्रशासन एवं सुविधाएं सेवाएं उत्तर प्रदेश से संबद्ध किया गया है. बताते चलें कि इस मामले के पहले पूर्व डिप्टी जिला रतन प्रिया ने आरोप लगाए थे, जो वर्तमान समय में मैनपुरी जिला जेल में डिप्टी जेलर के पद पर तैनात हैं.

इन्होंने जुलाई 2024 में एक शिकायती पत्र कारागार प्रशासन को भेजा था, जिसमें उन्होंने उस समय के जिला जेल अधीक्षक उमेश सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कारागार में कपड़ों को अस्त-व्यस्त रखना, उसी अवस्था में महिला कर्मियों से अमर्यादित भाषा में बात करना, लैंगिक भेदभाव, जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करना, इत्यादि को लेकर आरोप लगाया था.

इसके बाद शासन स्तर पर जांच की गई. संयुक्त सचिव शिव गोपाल सिंह द्वारा जारी लेटर के अनुसार इस मामले में आंतरिक जांच समिति बनाई गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट 22 मार्च को कार्यालय में जमा की है. इस जांच रिपोर्ट के आधार पर जेल अधीक्षक को प्रथम दृष्टिया दोषी पाए जाने पर नियमावली 1999 के नियम साथ के तहत अनुशासनिक कार्रवाई के संस्तुति दी गई है, इसमें जांच के बाद उन्हें दंडित किया जाएगा.

पूर्व डिप्टी जेलर रतन प्रिया के बाद पूर्व डिप्टी जेलर मीना कनौजिया और उनकी बेटी ने उमेश सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए इच्छा मृत्यु की मांग की थी. उनकी बेटी नेहा ने कहा था कि उमेश सिंह के द्वारा मेरी मां को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है. हमने कई बार इसकी शिकायत की लेकिन, सुनवाई नहीं हुई. इस प्रताड़ना से अच्छा है कि मुझे इच्छा मृत्यु दे दी जाए.

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