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रघुवर दास हुए रेस! राज्य सरकार को घेरने का नहीं छोड़ रहे मौका, आदिवासी हित पर कर रहे हैं फोकस, जानें सक्रियता के क्या हैं मायने - JHARKHAND POLITICS

रघुवर दास एक बार फिर झारखंड की राजनीति में सक्रिय हैं. इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. खबर में जानिए क्या कहते हैं जानकार.

Raghuvar Das Active In Politics
ग्राफिक्स इमेज (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : June 9, 2025 at 6:24 PM IST

6 Min Read

रांची: झारखंड भाजपा की कमान फिलहाल बाबूलाल मरांडी के पास है. बाबूलाल सदन में नेता प्रतिपक्ष भी हैं. राज्य सरकार को हर मसले पर घेरते रहते हैं. अलग बात है कि उनके ज्यादातर हमले सोशल मीडिया के जरिए होते हैं. इस बीच पार्टी में अलग-थलग पड़े रघुवर दास नए अंदाज में दिख रहे हैं. पार्टी में ना पद है और ना जिम्मेदारी और जवाबदेही, फिर भी सक्रिय हो गए हैं. हाल के कुछ महीनों में लगातार कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच रहे हैं. हर उन मुद्दों को उठा रहे हैं, जो राज्य सरकार को नागवार गुजरे. आदिवासियत की पैरवी कर रहे हैं. इस सक्रियता की चर्चा तेज हो गई है. लोग इसकी वजह जानना चाह रहे हैं. हालांकि इस सवाल पर वह साफ कह चुके हैं कि उन्हें पद की लालसा नहीं है.

रघुवर की सक्रियता के क्या हैं मायने

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी के मुताबिक रघुवर दास की सक्रियता के पीछे किसी बड़ी वजह से इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि वे हर उस मुद्दे को उठा रहे हैं, जिसके जरिए राज्य सरकार को घेरा जा सके. जनवरी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद से अलग-अलग जिलों में सिलसिलेवार दौरे कर रहे हैं. हेमंत सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. आदिवासी हित में पेसा कानून और घुसपैठ के मामले उठा रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी का कहना है कि जून में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है. मंडल का चुनाव कार्य पूरा हो चुका है. अब जिलाध्यक्षों का चुनाव होना है. लिहाजा, जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं से मिलने के मतलब समझा जा सकता है. उनकी सक्रियता बता रही है कि उन्हें कुछ न कुछ संकेत जरूर मिला है. इस बात की पूरी संभावना है कि प्रदेश अध्यक्ष की कमान एक बार फिर उनको मिल जाए.

रघुवर दास के हालिया कार्यक्रमों का लेखा-जोखा

  1. जामताड़ा के करमाटांड़ में सिदो कान्हू संथाल आदिवासी ओवार राकाप संगठन की ओर से आयोजित जन चौपाल में शामिल होकर ग्रामीणों से वार्ता की. आदिवासी हित में पेसा कानून लागू करने की मांग की. कहा कि राज्यपाल का पद छोड़कर जागरुकता और राजनीतिक चेतना फैलाने आया हूं.
  2. दुमका में भाजपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद आदिवासियत की पैरवी की. कहा कि राज्य में एक ग्रुप की चाहत ईसाई प्रदेश की तो दूसरे की इस्लाम प्रदेश की है. यही स्थिति रही तो झारखंड बन जाएगा नागालैंड या मिजोरम.
  3. दुमका में रघुवर दास ने अपने राजनीतिक भविष्य के संबंध में कहा कि मैं भाजपा के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहा हूं. मुझे भारतीय जनता पार्टी ने काफी सम्मान दिया है. अब मुझे किसी पद की लालसा नहीं है.
  4. दुमका में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता रघुवर दास से मिलने पहुंचे थे. ग्रामीण कार्यकर्ताओं ने उनके साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर तस्वीरें डाली.
  5. होली के वक्त गिरिडीह में हिंसक झड़प होने पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया था. उसी दौरान रघुवर देवघर भी गए थे. अप्रैल माह में रांची के खिजरी विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं से विशेष मुलाकात की. मई माह में बोकारो के बेरमो में आदिवासी महिला से दुष्कर्म की कोशिश के आरोपी की पिटाई के बाद हत्या मामले में भी सरकार पर हमला बोला. इसके बाद से पलामू, जामताड़ा और दुमका का दौरा कर चुके हैं. धनबाद में कार्यकर्ताओं ने उनका जमकर स्वागत किया. यहां भी रघुवर दास ने भ्रष्टाचार के मसले उठाकर राज्य सरकार पर निशाना साधा.

रघुवर दास का राजनीतिक सफर

  • 1995 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने.
  • 2004 में झारखंड भाजपा के अध्यक्ष बने.
  • 2005 में अर्जुन मुंडा सरकार में नगर विकास मंत्री रहे.
  • 2009 में शिबू सोरेन की सरकार में उपमुख्यमंत्री बने.
  • 2014 में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए.
  • 2014 में राज्य के छठे और पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने.
  • 2019 में सीएम के पद पर रहते अपनी पारंपरिक सीट हार गए.
  • 2023 के अक्टूबर में उनको ओड़िशा का राज्यपाल बनाया गया.
  • 2024 में भाजपा की करारी हार, राज्यपाल का पद छोड़ा.
  • 2025 के जनवरी में राज्यपाल पद का इस्तीफा मंजूर हो गया.
  • 2025 के 10 जनवरी को दोबारा पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.

रघुवर के प्रदेश अध्यक्ष रहते पार्टी का परफॉर्मेंस

रघुवर दास के प्रदेश अध्यक्ष रहते भाजपा ने 2005 के विधानसभा चुनाव अच्छा परफॉर्म किया था. पार्टी ने कुल 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी. खास बात है कि तब पार्टी ने संथाल परगना की 18 सीटों में से सबसे ज्यादा 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इनमें बोरिया, जामा, जामताड़ा, मधुपुर, पोड़ैयाहाट, गोड्डा और महगामा सीट शामिल थी.

रघुवर के सीएम रहते पार्टी का परफॉर्मेंस

2014 में रवींद्र राय झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे. उस चुनाव में भाजपा की 37 सीटों पर जीत हुई तो पार्टी ने पहली बार गैर आदिवासी के रूप में रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाया. उन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड भी बनाया, लेकिन 2019 में रघुवर दास को प्रोजेक्ट कर जब पार्टी चुनाव मैदान में उतरी तो चारों खाने चित हो गई. पार्टी 38 से घटकर 25 सीट पर आ गई. इस चुनाव में भाजपा पूर्व में जीती हुई 24 सीटें गंवा बैठी. बदले में सिर्फ 10 नई सीटें खाते में आई. इस चुनाव में भाजपा को चौतरफा झटका लगा, क्योंकि सीएम रहते खुद रघुवर दास अपनी पारंपरिक जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव हार गए.

वैसे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की रेस में अर्जुन मुंडा, चंपाई सोरेन, अमर कुमार बाउरी, रवींद्र राय, आदित्य साहू के नाम की भी चर्चा हो रही है. लेकिन सक्रियता के मामले में रघुवर दास सबसे आगे दिख रहे हैं, क्योंकि उनके पास राज्य के दूसरे सभी नेताओं से ज्यादा अनुभव है.

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रघुवर की सक्रियता के क्या हैं मायने

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी के मुताबिक रघुवर दास की सक्रियता के पीछे किसी बड़ी वजह से इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि वे हर उस मुद्दे को उठा रहे हैं, जिसके जरिए राज्य सरकार को घेरा जा सके. जनवरी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद से अलग-अलग जिलों में सिलसिलेवार दौरे कर रहे हैं. हेमंत सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. आदिवासी हित में पेसा कानून और घुसपैठ के मामले उठा रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी का कहना है कि जून में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है. मंडल का चुनाव कार्य पूरा हो चुका है. अब जिलाध्यक्षों का चुनाव होना है. लिहाजा, जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं से मिलने के मतलब समझा जा सकता है. उनकी सक्रियता बता रही है कि उन्हें कुछ न कुछ संकेत जरूर मिला है. इस बात की पूरी संभावना है कि प्रदेश अध्यक्ष की कमान एक बार फिर उनको मिल जाए.

रघुवर दास के हालिया कार्यक्रमों का लेखा-जोखा

  1. जामताड़ा के करमाटांड़ में सिदो कान्हू संथाल आदिवासी ओवार राकाप संगठन की ओर से आयोजित जन चौपाल में शामिल होकर ग्रामीणों से वार्ता की. आदिवासी हित में पेसा कानून लागू करने की मांग की. कहा कि राज्यपाल का पद छोड़कर जागरुकता और राजनीतिक चेतना फैलाने आया हूं.
  2. दुमका में भाजपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद आदिवासियत की पैरवी की. कहा कि राज्य में एक ग्रुप की चाहत ईसाई प्रदेश की तो दूसरे की इस्लाम प्रदेश की है. यही स्थिति रही तो झारखंड बन जाएगा नागालैंड या मिजोरम.
  3. दुमका में रघुवर दास ने अपने राजनीतिक भविष्य के संबंध में कहा कि मैं भाजपा के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहा हूं. मुझे भारतीय जनता पार्टी ने काफी सम्मान दिया है. अब मुझे किसी पद की लालसा नहीं है.
  4. दुमका में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता रघुवर दास से मिलने पहुंचे थे. ग्रामीण कार्यकर्ताओं ने उनके साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर तस्वीरें डाली.
  5. होली के वक्त गिरिडीह में हिंसक झड़प होने पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया था. उसी दौरान रघुवर देवघर भी गए थे. अप्रैल माह में रांची के खिजरी विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं से विशेष मुलाकात की. मई माह में बोकारो के बेरमो में आदिवासी महिला से दुष्कर्म की कोशिश के आरोपी की पिटाई के बाद हत्या मामले में भी सरकार पर हमला बोला. इसके बाद से पलामू, जामताड़ा और दुमका का दौरा कर चुके हैं. धनबाद में कार्यकर्ताओं ने उनका जमकर स्वागत किया. यहां भी रघुवर दास ने भ्रष्टाचार के मसले उठाकर राज्य सरकार पर निशाना साधा.

रघुवर दास का राजनीतिक सफर

  • 1995 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने.
  • 2004 में झारखंड भाजपा के अध्यक्ष बने.
  • 2005 में अर्जुन मुंडा सरकार में नगर विकास मंत्री रहे.
  • 2009 में शिबू सोरेन की सरकार में उपमुख्यमंत्री बने.
  • 2014 में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए.
  • 2014 में राज्य के छठे और पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने.
  • 2019 में सीएम के पद पर रहते अपनी पारंपरिक सीट हार गए.
  • 2023 के अक्टूबर में उनको ओड़िशा का राज्यपाल बनाया गया.
  • 2024 में भाजपा की करारी हार, राज्यपाल का पद छोड़ा.
  • 2025 के जनवरी में राज्यपाल पद का इस्तीफा मंजूर हो गया.
  • 2025 के 10 जनवरी को दोबारा पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.

रघुवर के प्रदेश अध्यक्ष रहते पार्टी का परफॉर्मेंस

रघुवर दास के प्रदेश अध्यक्ष रहते भाजपा ने 2005 के विधानसभा चुनाव अच्छा परफॉर्म किया था. पार्टी ने कुल 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी. खास बात है कि तब पार्टी ने संथाल परगना की 18 सीटों में से सबसे ज्यादा 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इनमें बोरिया, जामा, जामताड़ा, मधुपुर, पोड़ैयाहाट, गोड्डा और महगामा सीट शामिल थी.

रघुवर के सीएम रहते पार्टी का परफॉर्मेंस

2014 में रवींद्र राय झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे. उस चुनाव में भाजपा की 37 सीटों पर जीत हुई तो पार्टी ने पहली बार गैर आदिवासी के रूप में रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाया. उन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड भी बनाया, लेकिन 2019 में रघुवर दास को प्रोजेक्ट कर जब पार्टी चुनाव मैदान में उतरी तो चारों खाने चित हो गई. पार्टी 38 से घटकर 25 सीट पर आ गई. इस चुनाव में भाजपा पूर्व में जीती हुई 24 सीटें गंवा बैठी. बदले में सिर्फ 10 नई सीटें खाते में आई. इस चुनाव में भाजपा को चौतरफा झटका लगा, क्योंकि सीएम रहते खुद रघुवर दास अपनी पारंपरिक जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव हार गए.

वैसे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की रेस में अर्जुन मुंडा, चंपाई सोरेन, अमर कुमार बाउरी, रवींद्र राय, आदित्य साहू के नाम की भी चर्चा हो रही है. लेकिन सक्रियता के मामले में रघुवर दास सबसे आगे दिख रहे हैं, क्योंकि उनके पास राज्य के दूसरे सभी नेताओं से ज्यादा अनुभव है.

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