जयपुर: प्रदेश में भीषण गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली की आपूर्ति और मांग भी बढ़ गई है. हालांकि कई जिलों में अघोषित बिजली कटौती से लोग परेशान हैं, वही गांवों में भी बिजली कटौती हो रही है. भीषण गर्मी के बीच हो रही बिजली कटौती को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य की भाजपा सरकार को निशाने पर लिया है. गहलोत ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए लिखा कि तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है.
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान में सरकार बनने का एक वर्ष पूरा होने पर जोर शोर से प्रचार किया गया कि राजस्थान अब बिजली में सरप्लस स्टेट हो गया है. लेकिन जैसे ही गर्मी बढ़ने लगी गांव-शहर हर जगह बिजली कटौती शुरू हो गई. सरप्लस स्टेट में बिजली कटौती का सीधा अर्थ सरकार का कुप्रबंधन है. राजस्थान में बिजली वितरण का ढांचा चरमरा गया है, जिससे आमजन त्रस्त हो गया है.
" तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है"
भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान में सरकार बनने का एक वर्ष पूरा होने पर ज़ोर शोर से प्रचार किया गया कि राजस्थान अब बिजली में सरप्लस स्टेट हो गया है लेकिन जैसे ही गर्मी बढ़ने लगी गांव-शहर हर जगह…<="" p>— ashok gehlot (@ashokgehlot51) June 8, 2025
सरकार ने किया था दावा: बिजली संकट को लेकर भजनलाल सरकार कई समीक्षा बैठकें कर चुकी हैं. मुख्यमंत्री ने अप्रैल में कई बैठकें लेकर ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि गांवों में किसी भी तरह से बिजली कटौती नहीं होनी चाहिए. गर्मी में सिंचाई और घरेलू उपयोग के लिए ग्रामीणों को निर्बाध बिजली मिलनी चाहिए. 30 अप्रैल को जयपुर आए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बैठक की थी. इसमें राजस्थान को पीक आवर में अतिरिक्त बिजली देने का आग्रह किया था, जिस पर खट्टर ने आश्वासन भी दिया था.
जूली लगातार उठा रहे हैं सवाल: प्रदेश में बिजली संकट को लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. जूली ने कहा कि भीषण गर्मी में बिजली संकट बढ़ेगा, लेकिन सरकार उस स्तर पर इसकी तैयारी नहीं कर रही है. विधानसभा सत्र के दौरान भी यह मामला सदन में जोरशोर से उठा था. जूली सहित कई विपक्षी विधायकों ने सरकार से बिजली पर चर्चा करने की मांग की थी, लेकिन सदन में बिजली पर चर्चा नहीं हुई थी. इसे लेकर भी विपक्ष में खूब हंगामा किया था.