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पैंथर व टाइगर्स जंगल में ही रहें, इंसानों से न लड़ें, इसलिए वन विभाग कर रहा ये प्रयास - FOREST DEPARTMENT

मानव और वन्यजीव के बीच संघर्ष की घटनाओं को कम करने के लिए वन विभाग प्रीबेस बढ़ाएगा.

मानव और वन्यजीवों के बीच टकराव
मानव और वन्यजीवों के बीच टकराव (ETV Bharat (Symbolic))
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 8, 2025 at 1:32 PM IST

Updated : April 8, 2025 at 1:57 PM IST

3 Min Read

अलवर : वन क्षेत्र में लगातार मानव और वन्यजीवों के बीच टकराव की घटनाओं से सबक लेते हुए वन विभाग अब प्रदेश में वन क्षेत्र का प्रीबेस बढ़ाने के प्रयास में जुटा है. वहीं, वन क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को भी वन कर्मियों व अधिकारियों की ओर से वन्यजीवों से टकराव नहीं करने को लेकर समझाइश की जाएगी.

प्रदेश के वन मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि जंगल वन्यजीवों का घर है, लेकिन वन क्षेत्र में अतिक्रमण से मानव दखल बढ़ा है. वन विभाग की तरफ से सरिस्का, रणथंभौर, उदयपुर, मुकुंदरा और रामगढ़ विषधारी सहित प्रदेश के अन्य वन क्षेत्रों में पैंथर, बाघ जैसे वन्यजीवों के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था की जा रही है. इसके लिए एंक्लोजर बनाए जाएंगे, जिनमें चीतल, सांभर, नीलगाय, सूअर जैसा प्रीबेस छोड़ा जाएगा. वन विभाग के इस प्रयास से वन्यजीव व मानव के बीच संघर्ष की घटनाओं में कमी आ सकेगी. वन मंत्री शर्मा ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी ग्रामीणों को वन्यजीवों के प्रति बर्ताव को लेकर जागरूक करेंगे. इसके लिए विभाग के अधिकारियों व ग्रामीणों की साझा बैठक कराने की योजना है.

संजय शर्मा, वन मंत्री (ETV Bharat alwar)

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सरिस्का टाइगर रिजर्व सहित राजस्थान में वन्यजीवों की जंगलों से बाहर निकलने और मानव व वन्यजीव के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ी हैं. बाघ, पैंथर, हाइना सहित अन्य वन्यजीव अक्सर भोजन व पानी की तलाश में जंगलों से बाहर निकल आबादी क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं. उदयपुर व कुछ अन्य क्षेत्रों में पैंथरों का आबादी क्षेत्र में आने का कारण प्रीबेस भी रहा है. वन्यजीवों के आबादी क्षेत्र में पहुंचने की घटनाओं से सबक लेते हुए वन विभाग जंगलों में प्रीबेस उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है. इसके लिए प्रदेश में अलग-अलग टाइगर रिजर्व व पैंथर वैली में एनक्लोजर तैयार करा उनमें प्रीबेस को रखा जाएगा. इससे वन्यजीवों को जंगल में ही पर्याप्त भोजन मिल सकेगा.

पहले भी हो चुकी टकराव की घटनाएं : सरिस्का, रणथंभौर टाइगर रिजर्व, उदयपुर सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में पूर्व में बाघ, पैंथरों के बीच मानव की अनेक घटनाएं हुई हैं. हालांकि, बाघों की मानव से टकराव की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन पैंथर व मानव टकराव की घटनाएं ज्यादा हुई हैं. कारण है कि पैंथर का खास भोजन चीतल, श्वान व सुअर आदि रहा है. कई बार पैंथर श्वान की तलाश में आबादी क्षेत्र में पहुंच जाते हैं, जहां उनका सामना मानव से होता है. दोनों में एक-दूसरे के प्रति हमले का डर होने से टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

अलवर : वन क्षेत्र में लगातार मानव और वन्यजीवों के बीच टकराव की घटनाओं से सबक लेते हुए वन विभाग अब प्रदेश में वन क्षेत्र का प्रीबेस बढ़ाने के प्रयास में जुटा है. वहीं, वन क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को भी वन कर्मियों व अधिकारियों की ओर से वन्यजीवों से टकराव नहीं करने को लेकर समझाइश की जाएगी.

प्रदेश के वन मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि जंगल वन्यजीवों का घर है, लेकिन वन क्षेत्र में अतिक्रमण से मानव दखल बढ़ा है. वन विभाग की तरफ से सरिस्का, रणथंभौर, उदयपुर, मुकुंदरा और रामगढ़ विषधारी सहित प्रदेश के अन्य वन क्षेत्रों में पैंथर, बाघ जैसे वन्यजीवों के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था की जा रही है. इसके लिए एंक्लोजर बनाए जाएंगे, जिनमें चीतल, सांभर, नीलगाय, सूअर जैसा प्रीबेस छोड़ा जाएगा. वन विभाग के इस प्रयास से वन्यजीव व मानव के बीच संघर्ष की घटनाओं में कमी आ सकेगी. वन मंत्री शर्मा ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी ग्रामीणों को वन्यजीवों के प्रति बर्ताव को लेकर जागरूक करेंगे. इसके लिए विभाग के अधिकारियों व ग्रामीणों की साझा बैठक कराने की योजना है.

संजय शर्मा, वन मंत्री (ETV Bharat alwar)

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सरिस्का टाइगर रिजर्व सहित राजस्थान में वन्यजीवों की जंगलों से बाहर निकलने और मानव व वन्यजीव के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ी हैं. बाघ, पैंथर, हाइना सहित अन्य वन्यजीव अक्सर भोजन व पानी की तलाश में जंगलों से बाहर निकल आबादी क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं. उदयपुर व कुछ अन्य क्षेत्रों में पैंथरों का आबादी क्षेत्र में आने का कारण प्रीबेस भी रहा है. वन्यजीवों के आबादी क्षेत्र में पहुंचने की घटनाओं से सबक लेते हुए वन विभाग जंगलों में प्रीबेस उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है. इसके लिए प्रदेश में अलग-अलग टाइगर रिजर्व व पैंथर वैली में एनक्लोजर तैयार करा उनमें प्रीबेस को रखा जाएगा. इससे वन्यजीवों को जंगल में ही पर्याप्त भोजन मिल सकेगा.

पहले भी हो चुकी टकराव की घटनाएं : सरिस्का, रणथंभौर टाइगर रिजर्व, उदयपुर सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में पूर्व में बाघ, पैंथरों के बीच मानव की अनेक घटनाएं हुई हैं. हालांकि, बाघों की मानव से टकराव की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन पैंथर व मानव टकराव की घटनाएं ज्यादा हुई हैं. कारण है कि पैंथर का खास भोजन चीतल, श्वान व सुअर आदि रहा है. कई बार पैंथर श्वान की तलाश में आबादी क्षेत्र में पहुंच जाते हैं, जहां उनका सामना मानव से होता है. दोनों में एक-दूसरे के प्रति हमले का डर होने से टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

Last Updated : April 8, 2025 at 1:57 PM IST
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