रामनगर: आखिरकार रामनगर के अपर कोसी क्षेत्र में बीती तीन दिनों से चहलकदमी करने वाले बाघ को पकड़ लिया गया है. आबादी के पास बाघ की लगातार मौजूदगी ने मॉर्निंग और इवनिंग वॉकर्स में खौफ का माहौल बना दिया था, लेकिन बाघ के ट्रेंकुलाइज करने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है.
दरअसल, रामनगर वन प्रभाग के अपर कोसी ब्लॉक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटा हुआ इलाका है. इस क्षेत्र में पिछले तीन दिनों से एक बाघ की मौजूदगी की खबरें मिल रही थीं. लोगों ने कई बार उसे नगर वन के पास घूमते हुए देखा, जो कि आमतौर पर लोगों की सैर-सपाटा करने की पसंदीदा जगहों में से एक है. बाघ के दिखने के बाद से ही लोगों में डर और बेचैनी का माहौल था.
वहीं, वन विभाग ने लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बाघ को पकड़ने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया. क्षेत्र में पिंजरा लगाया. साथ ही कैमरा ट्रैप और लाइव कैमरे भी लगाए गए. ताकि, उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके. बाघ पर लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी और स्थानीय लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई थी.
ट्रेंकुलाइजेशन ऑपरेशन की सफलता: आखिरकार आज शाम को बाघ को ट्रेंकुलाइज करने में सफलता मिली. इस ऑपरेशन को अंजाम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉक्टर दुष्यंत शर्मा और वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम ने दिया. रामनगर वन प्रभाग के एसडीओ अंकित बडोला ने बताया कि बाघ की उम्र करीब 7 से 8 वर्ष है, जो नर है.

उन्होंने ये भी बताया कि इस बाघ की चाल में कमजोरी देखी गई थी, जिससे ये आशंका जताई जा रही थी कि वो शारीरिक रूप से पूरी तरह फिट नहीं है. उन्होंने बताया कि बाघ की स्थिति और क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए ऑपरेशन में कोई चूक नहीं की गई. जैसे ही बाघ दोपहर में फिर से क्षेत्र में दिखाई दिया, वैसे ही डॉक्टरों और वन विभाग की टीम सक्रिय हो गई और निर्धारित योजना के तहत उसे ट्रेंकुलाइज कर लिया गया.
बाघ का अगला ठिकाना होगा रेस्क्यू सेंटर: अब इस बाघ को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में ले जाया जा रहा है. यहां डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम उसकी पूरी तरह से चिकित्सकीय जांच करेगी और उसका उपचार भी किया जाएगा. बाघ के स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर उसे वहां विश्राम देकर ठीक किया जाएगा.

स्थानीय लोगों ने ली राहत की सांस: इस घटना से इलाके में तीन दिन से फैली दहशत अब खत्म हो गई है. स्थानीय लोग राहत की सांस ले रहे हैं और वन विभाग की त्वरित कार्रवाई की सराहना कर रहे हैं. इस ऑपरेशन ने ये भी दिखाया कि किस तरह से वन्यजीवों के साथ मानव का सह अस्तित्व बनाए रखते हुए संकट की स्थिति को बिना कोई बड़ा नुकसान किए संभाला जा सकता है.
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