कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला की मणिकर्ण घाटी के कसोल में बीते दिनों पेड़ गिरने से पंजाब की दो महिला पर्यटक की मौत हो गई. इस घटना के बाद एक बार फिर से वन विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा हुआ है. ये सवाल इसलिए खड़ा हुआ क्योंकि बीते दो माह पहले मणिकर्ण में भी पहाड़ी से एक पेड़ टूट कर नीचे गिरा और इस घटना में 6 लोगों की मौत हो गई थी.
वन विभाग ने जिला कुल्लू में काल बन चुके पेड़ों का सर्वे करवाया था और इन्हें काटने की प्रक्रिया को भी शुरू किया गया, लेकिन उसके बाद ये अभियान ठंडा पड़ गया, जिसके चलते दो महिलाओं को अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी. ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर वन विभाग ने क्यों अब तक इन खतरनाक पेड़ों को नहीं काटा. बीते शनिवार को कसोल में लुधियाना शहर की रहने वाली दो महिलाएं कुल्लू की सुमा रोपा घाटी में अपने परिवार के साथ घूमने आई थीं, लेकिन तेज हवा के चलते एक बड़ा पेड़ टूट कर नीचे आ गिरा, जिसकी चपेट में दोनों महिलाएं आ गई और मौके पर ही मौत हो गई. बीते दो माह पहले जब मणिकर्ण में पेड़ गिरने की घटना सामने आई थी. इसके बाद मणिकर्ण वन परिक्षेत्र में 14 पेड़ खतनाक घोषित किया गए थे. इनमें से वन विभाग ने आखिर पांच पेड़ों को तो काट दिया, लेकिन बाकी पेड़ अभी भी वैसे ही खड़े हैं. इन पेड़ों को भी समय पर काट दिया गया होता तो शायद आज दोनों महिला पर्यटकों की जान बच जाती.
359 पेड़ काटने की बनाई गई थी योजना
अप्रैल माह में जिला कुल्लू में वन विभाग ने 359 पेड़ काटने की योजना बनाई थी, लेकिन ये योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है. जिले में सबसे अधिक पार्वती वन मंडल में 329 पेड़ सूखे हैं. इसके बाद सराज में 16 और कुल्लू में 12 पेड़ हैं, जिन्हें चिह्नित किया गया है. वही, वन विभाग का तर्क है कि कई पेड़ ऐसी जगह पर स्थित हैं. जहां पर उन्हें काटा जाना मुश्किल है. ऐसे में इसके लिए एक्सपर्ट लोगों की मदद ली जा रही है, ताकि बाकी बचे हुए पेड़ों को भी काटा जा सके.
सैलानियों के लिए लगाए जाएं चेतावनी बोर्ड
मणिकर्ण घाटी के स्थानीय निवासी लोकेंद्र कुमार, राजेश ठाकुर, शशि पाल, विकास शर्मा का कहना है कि इन दिनों मणिकर्ण घाटी में सैलानी प्रकृति का आनंद लेने के लिए आ रहे हैं और सैलानी जंगलों, नदी नालों का भी रुख कर रहे हैं. वन विभाग को चाहिए कि जहां पर भी यह पेड़ खतरा बने हुए हैं. उसके आसपास फिलहाल बाढ़ बंदी की जाए या फिर वहां पर नोटिस बोर्ड लगाए जाएं, ताकि सैलानियों को इस बात का पता चल सके कि यहां पर पेड़ कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं. इसके अलावा इन्हें काटने की प्रक्रिया को भी जल्द से जल्द पूरा किया जाए, ताकि लोगों की जान खतरे में ना पड़ सके.
वन परिक्षेत्र अधिकारी कसोल योग राज शर्मा ने कहा, 'अब तक मणिकर्ण क्षेत्र में पांच पेड़ काटे जा चुके हैं. नौ पेड़ ऐसी जगह हैं, जिन्हें काटना मुश्किल हो गया है. इसके लिए एक्सपर्ट की तलाश की जा रही है. विभाग ने क्षेत्र में और भी ऐसे पेड़ों को चिह्नित करने के लिए फील्ड स्टाफ को आदेश दे दिए हैं.'
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