नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत तीन आरोपियों के खिलाफ 2019 में सरकारी संपत्ति को विरुपित करने के मामले में फोरेंसिक लेबोरेटरी के डायरेक्टर को तलब किया है.
एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने जांच से संबंधित सीडी पर फोरेंसिक लेबोरेटरी की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं आने पर डायरेक्टर को तलब करने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 28 जून को होगी.
दरसअल 23 मई को इस मामले के जांच अधिकारी और दक्षिणी द्वारका थाने के एसआई किशन चंद ने कोर्ट को बताया था कि उन्होंने जांच से संबंधित सीडी फोरेंसिक लेबोरेटरी को भेज दिया है. उसके बाद कोर्ट ने फोरेंसिक लेबोरेटरी के डायरेक्टर को सीडी से संबंधित रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. आज सुनवाई के दौरान फोरेंसिक लेबोरेटरी की ओर से कोई भी रिपोर्ट नहीं आने पर कोर्ट ने डायरेक्टर को तलब करने का आदेश दिया.
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अरविंद केजरीवाल समेत तीन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. बता दें कि 11 मार्च को कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने शिकायतकर्ता शिव कुमार सक्सेना की अर्जी पर यह आदेश दिया था.
कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के अलावा जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था उनमें पूर्व विधायक गुलाब सिंह और द्वारका की तत्कालीन पार्षद निकिता शर्मा शामिल हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता शिव कुमार सक्सेना ने कोर्ट के समक्ष उन बड़े-बड़े बैनरों को दिखाया जिसमें केजरीवाल, गुलाब सिंह और निकिता शर्मा के नाम लिखे हुए थे. कोर्ट ने कहा कि बड़े-बड़े बैनर लगाना न केवल सार्वजनिक संपत्ति को विरुपित करने का मामला है बल्कि ये ट्रैफिक के लिए भी समस्या बनता है. ये सड़कों से गुजरने वाले वाहन चालकों का ध्यान भटकाता है जिससे पैदल यात्रियों से लेकर वाहनों को सुरक्षा का खतरा बना रहता है.
कोर्ट ने कहा कि देश में अवैध होर्डिंग के गिरने से लोगों की मौत की कहानी नई नहीं है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को केजरीवाल समेत तीनों आरोपियों के खिलाफ दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ प्रॉप्टी एक्ट की धारा 3 के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसा आदेश करना सही नहीं होगा कि इस मामले में शिकायतकर्ता साक्ष्य पेश करे. जांच एजेंसी अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती.
कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल एक्शन टेकन रिपोर्ट पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई है. दिल्ली पुलिस ने अपने एक्शन टेकन रिपोर्ट में कहा था कि जांच के समय कोई होर्डिंग मौके पर मौजूद नहीं था. इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से होर्डिंग छापने और लगाने वालों का पता लगाने को कहा ताकि हकीकत का पता चल सके. दरअसल याचिकाकर्ता ने 2019 में दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के द्वारका में कई स्थानों पर बड़े-बड़े होर्डिंग लगाने की शिकायत की थी.
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