नालंदा: राजधानी पटना से सटे फतुहा कस्बा जो गंगा किनारे बसा हुआ वह छोटा सा शहर है. मौर्य और गुप्त काल में यह राजधानी पटना का जुड़वा शहर हुआ करता था. वहीं साल 1850 के आसपास जब रेल लाइन यहां से गुजरते हुए मोकामा तक गई तो यह शहर व्यापारिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र हो गया. इस शहर में आजादी के पहले ही मिरजई नाम की मिठाई अपनी पहचान बना चुकी थी. यहां से लोग संदेश के रूप में मिरजई ले जाया करते थे जो परंपरा अभी भी जारी है.
राजीव गांधी ने बिहार से दिल्ली मंगाया: बिहार ही नहीं जब देश के प्रमुख राजनीतिज्ञ भी जब फतुहा से गुजरते हैं तो उनके कार्यकर्ता भेंट के रूप में उन्हें मिरजई जरूर देते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जब 1990 में फतुहा में अपने चुनावी अभियान के तहत आए थे, तब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें मिरजई मिठाई खिलाई थी. कहते हैं मिरजई उन्हें इतनी पसंद आई कि उन्होंने कार्यकर्ताओं से इसे और मंगवाया था. यहां के लोग कहते हैं कि राजीव गांधी ने दिल्ली से संदेशा भेजा तो उन्हें फतुहा से मिरजई भेजी गई थी.
इन नेताओं की भी है पहली पसंद: बिहार के लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और कई नेताओं को भी मिरजई पसंद है और उन्हें भी कार्यकर्ताओं का प्यार इसी मिठाई के जरिए मिलता है. यूं तो शहर में मिरजई की दुकान बहुत है लेकिन बुलकन साव की दुकान के चर्चे दूर-दूर तक हैं. पसंद करने वाले ऑर्डर देकर यहीं से मिरजई बनवाते हैं. बुलकन साव के बाद उनके बेटे मोहन साव फिलहाल इस दुकान को चला रहे हैं.
क्या है इसकी कीमत: मोहन साव बताते हैं कि आम बिक्री और ऑर्डर की क्वालिटी में थोड़ा अंतर होता है. अब शुद्ध घी की मिरजई आर्डर मिलने पर ही बनाते हैं क्योंकि वह 250 से 300 रुपए प्रति किलो बिकती है. रिफाइंड आदि में बनाई गई मिरजई 120 से 140 रुपए प्रति किलो बेचते हैं. कारीगर भोला कुमार बताते हैं कि बहुत छोटे उम्र से मिरजई बनाते आ रहे यह हमारा पुश्तैनी पेशा है, जो पूर्वजों के समय से बनता आ रहा है.
कैसे बनती है मिरजई: इसे बनाने के लिए मैदा, खाने वाला थोड़ा सोडा, काला तिल, डालडा मोम के साथ चीनी व गुड़ का मिश्रण कर मिलाने के बाद इसे आकार देकर छानते हैं और चीनी की चाशनी में हल्का तार देकर बनाते हैं. शुद्ध घी की मिठाई का रेट सिर्फ ऑर्डर देने वाले ही देते हैं. बड़े लोगों के शौक ऑर्डर से पूरे होते हैं, जबकि आम बिक्री में रिफाइंड या डालडा की मिरजई चलती है. फतुहा बाज़ार में मिरजई मिठाई बेचने वाले अभी दर्जनों दुकान हैं.
"लोग इसके स्वाद के दीवाने हैं और आज भी खाते नहीं थकते हैं. इसकी सबसे ज्यादा डिमांड शादी-ब्याह या फिर त्यौहार के मौसम में होती है. आम समय में 50 से 70 और 100 किलो प्रति दिन बिकता है, जबकि दूसरे दुकान में 20 से 40 किलो प्रति दिन बिकता है."-मोहन साव, दुकानदार
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