हमीरपुर: हिमाचल के हमीरपुर जिले में शायना ने स्कूल शिक्षा बोर्ड की बारहवीं कक्षा में कला संकाय की मेरिट सूची में दसवां स्थान प्राप्त किया है. शायना के पिता कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है. यह सफलता उनके परिवार के लिए मरहम बनकर आई है.
शायना ने 500 में से 472 अंक प्राप्त किए हैं और जिला में पांचवां स्थान प्राप्त किया है. आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी के बावजूद सायना ने अपनी पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी. उसने स्कूल के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यम से भी पढ़ाई की और यह मुकाम हासिल किया.
शायना का सपना आईपीएस अधिकारी बनना
शायना का सफर आसान नहीं रहा. उनका परिवार न सिर्फ आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी लड़ रहा था. हालांकि, शायना ने इन मुश्किलों को अपनी ताकत बनाया और पढ़ाई में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी. शायना ने बताया कि उनका सपना आईपीएस अधिकारी बनना है.

एक परिवार का संघर्ष और सफलता की मिसाल
आपको बता दें कि शायना के पिता अश्वनी ऑटो चालक हैं जबकि माता कंचन देवी गृहिणी हैं. अश्वनी पहले दिल्ली में ट्रक चालक थे, लेकिन चार साल पहले 2021 में पीठ के असहनीय दर्द के कारण वह ट्रक चला नहीं पा रहे थे. जांच में तीसरी स्टेज के कैंसर का पता चला और इसके साथ ही उनकी नौकरी भी छूट गई. शायना इस दौरान आठवीं कक्षा में थी. पिता का चार साल से कैंसर का इलाज चल रहा है. अब कुछ हद तक ठीक होने के बाद उन्होंने ऋण लेकर ऑटो डाला, ताकि परिवार को आर्थिक तंगी से जूझना न पड़े.
हालांकि, इस कठिन दौर में सायना के मामा-मामी और अन्य रिश्तेदारों ने अश्वनी के परिवार की आर्थिक मदद की. शायना की बड़ी बहन की शादी हो चुकी है और बड़ी बेटी मीना को स्नातक के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. शायना के मामा सुरेंद्र भट्टी ने यह वादा किया था कि अगर वह 12वीं में 90% से अधिक अंक लाती है, तो वह आगे की पढ़ाई का खर्चा उठाएंगे. शायना ने अपनी सफलता का श्रेय अभिभावकों और परिवार के सदस्यों को दिया है.
यह प्रेरणादायक कहानी संघर्ष और समर्पण की मिसाल पेश करती है, जहां एक बेटी ने अपने परिवार की कठिनाइयों को पीछे छोड़ते हुए शिक्षा के क्षेत्र में सफलता हासिल की है.
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