भरतपुर : जिले के खदराया समेत कई गांवों में बने फार्मपॉन्ड अब किसानों के लिए सिर्फ जल स्रोत नहीं, बल्कि आमदनी बढ़ाने का माध्यम बन चुके हैं. इन जलाशयों से अब किसानों को सालभर सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है, साथ ही मछली पालन से भी अतिरिक्त आय अर्जित हो रही है. पहले नलकूप सूख जाते थे और किसान रबी फसलों की सिंचाई के लिए चिंतित रहते थे, लेकिन अब रबी की फसलें भी लहलहा रही हैं. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत सरकार की 90% सब्सिडी से बने इन फार्मपॉन्ड ने किसानों की राह आसान कर दी हैं.
वाटरशेड के अतिरिक्त मुख्य अभियंता बजरंग सहाय मीणा ने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 और मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान (एमजेएसए) के जरिए जल संरक्षण को लेकर किए जा रहे कार्यों ने भरतपुर जिले के किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला दिया है. खदराया, महतौली, भुसावर, नदबई और वैर क्षेत्रों में करीब दो दर्जन से अधिक फार्मपॉन्ड और रिचार्ज सॉफ्ट जैसे जल संरक्षण ढांचे किसानों के लिए खेत की रीढ़ बनकर उभरे हैं.
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90% सरकार से अनुदान : उन्होंने बताया कि एक फार्मपॉन्ड तैयार करने में करीब 10 बिस्वा जमीन (1 बिस्वा ~ 720 वर्ग फुट) में लगभग 3.50 लाख रुपए की लागत आती है, लेकिन किसान को इसमें सिर्फ 10 प्रतिशत राशि देनी होती है. शेष 90 प्रतिशत खर्च केंद्र और राज्य सरकार मिलकर अनुदान के रूप में वहन करती है. यह योजना जल संकट झेल रहे किसानों के लिए वरदान बन चुकी है.

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किसानों की कहानी : खदराया के किसान हरि मीणा के खेत में बना फार्मपॉन्ड अब सालभर 8 बीघा जमीन में तीन बार सिंचाई की सुविधा दे रहा है. हरि मीणा ने फार्मपॉन्ड में प्लास्टिक शीट डलवाकर वर्षभर पानी संचित किया, जिससे उन्हें मछली पालन से भी अतिरिक्त आय हो रही है. वहीं, किसान नत्थीलाल शर्मा बताते हैं कि फार्मपॉन्ड बनने के बाद अब वे रबी में सरसों और गेहूं की सफल फसल ले पा रहे हैं. पहले सूखे नलकूप के कारण केवल खरीफ की फसलें ही होती थी. साथ ही, फार्मपॉन्ड से पशुओं के लिए भी सालभर पीने का पानी उपलब्ध रहता है.

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रिचार्ज सॉफ्ट से बढ़ा भूजल : गांव के किसान दयाराम के खेत में बनाए गए रिचार्ज सॉफ्ट से वर्षा का पानी पाइप के माध्यम से सीधे भूजल में जाता है, जिससे आसपास के कुएं और नलकूप में भी फिर से जलस्तर बढ़ने लगा है. गांव महतौली के राजकीय महाविद्यालय भवन में 3 लाख रुपए की लागत से बनाए गए वर्षा जल संरक्षण टैंक में 30 हजार लीटर पानी संरक्षित होता है. इससे कॉलेज परिसर के पौधों की सिंचाई और अन्य कार्यों में पानी की जरूरत आसानी से पूरी हो जाती है.

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अतिरिक्त मुख्य अभियंता बजरंग सहाय मीणा ने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और एमजेएसए के माध्यम से भरतपुर जिले के किसानों को जल संरक्षण की दिशा में स्थायी समाधान मिला है. वैर, भुसावर और नदबई जैसे जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में अब फार्मपॉन्ड और रिचार्ज टैंक जैसे निर्माण कार्यों से किसानों को खेती में राहत मिली है.

फार्मपॉन्ड और जल संरक्षण संरचनाओं से आसपास की हरियाली बढ़ी है, जीव-जंतु और पशु-पक्षियों के लिए जल स्रोत उपलब्ध हुए हैं. यह सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी बड़ा कदम साबित हो रहा है.