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हिमाचल में सेवाएं दे चुका है ये हत्यारा फर्जी डॉक्टर एनजॉन कैम, बच गई कई मरीजों की जान - FAKE CARDIOLOGIST DR N JOHN CAMM

फर्जी डॉक्टरर एजनॉन कैम हिमाचल में भी निजी अस्पताल में सेवाएं दे चुका है. बाद में उसे अस्पताल ने नौकरी से निकाल दिया था.

फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एनजॉन कैम
फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एनजॉन कैम (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : April 12, 2025 at 8:04 AM IST

Updated : April 12, 2025 at 8:11 AM IST

7 Min Read

सिरमौर: भगवान का शुक्र है कि देश भर में चर्चित फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एनजॉन कैम ने हिमाचल प्रदेश में कोई हार्ट सर्जरी नहीं की, वरना मध्य प्रदेश के दमोह जैसे हालात यहां भी पैदा हो सकते थे. इस फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव के तार हिमाचल प्रदेश से भी जुड़े हैं. फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव जिला सिरमौर के एक नामी निजी अस्पताल में भी करीब डेढ़ माह अपनी सेवाएं दे चुका है. लिहाजा लंदन वाले इस फर्जी डाक्टर के कारनामों की चर्चा जिला सिरमौर में भी खूब हो रही है.

वहीं हिमाचल का हेल्थ डिपार्टमेंट भी अब अलर्ट मोड़ पर आ गया है. दरअसल देश भर में लोगों को हिलाकर रख देने वाले इस फर्जी डाक्टर के मामले में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग ने यहां ऐसे फर्जी डाक्टर की जांच पड़ताल क्यों नहीं की? अब जब मध्य प्रदेश के दमोह में हार्ट सर्जरी के बाद 7 लोगों की मौत हो गई और इसके तार सिरमौर से भी जुड़े, तो हेल्थ डिपार्टमेंट की नींद टूटी और विभाग अलर्ट मोड़ पर आया.

डेढ़ साल पहले जिला में दे चुका सेवाएं

दरअसल फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव जिला सिरमौर के पांवटा साहिब और नाहन में बतौर कथित कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे चुका है. ये दोनों ब्रांच एक ही अस्पताल ही हैं. करीब डेढ़ साल पहले ये फर्जी डाक्टर पांवटा साहिब के एक निजी अस्पताल में कार्यरत था. नाहन के निजी अस्पताल में भी वो कई बार बाह्य रोगी विभाग में हार्ट के मरीजों की जांच करता था.

संदेहास्पद सेवाओं के चलते नौकरी से निकाला

बताया जा रहा है कि नाहन से एंजियोग्राफी और इको टैस्ट के लिए मरीज पांवटा साहिब ही जाते थे, लेकिन इस बीच कई मरीजों की रिपोर्ट में भी कई तरह के सवाल उठते थे. ऐसे में निजी अस्पताल प्रबंधन ने भी इस पर कड़ा रूख लिया और अस्पताल से उसकी सेवाओं को समाप्त कर दिया.

इस वजह से यहां नहीं मिली सर्जरी की अनुमति

अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार सिरमौर में अपनी सेवाओं के दौरान ये फर्जी डाक्टर अपनी शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका. इसी कारण उसे हार्ट सर्जरी की अनुमति नहीं मिली. इस कारण कई मरीजों की जान बच गई, नहीं तो हालात मध्य प्रदेश जैसे हो सकते थे. उसने यहां देहरादून का आधार कार्ड भी पेश किया था. खुद को इंग्लैंड से डिग्री धारक बताया था. गनीमत ये रही कि निजी अस्पताल प्रबंधन की समय रहते सतर्कता के चलते यहां एक बड़ी अनहोनी होने से टल गई.

उधर श्री साई अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ. दिनेश बेदी ने कहा कि, 'उक्त व्यक्ति ने यूके की डिग्री प्रस्तुत की थी, लेकिन जांच के दौरान उसमें कुछ संदेहास्पद बातें सामने आई थी. हिमाचल प्रदेश के नियमों के मुताबिक ये व्यक्ति यहां प्रैक्टिस नहीं कर सकता था. लिहाजा प्रबंधन ने उसे तत्काल नौकरी से निकाल दिया. मध्य प्रदेश के दमोह में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति ने यहां अस्पताल में कोई भी सर्जरी नहीं की गई थी. फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव अपनी शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज पेश नहीं कर पाया था.'

जानिए क्या है ये पूरा मामला

दरअसल चंद दिनों पहले मध्य प्रदेश के दमोह जिला में निजी अस्पताल में हार्ट सर्जरी के दौरान 7 मरीजों की मौत हो गई, जिसके बाद से ही ये मामला देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया गया कि इन मरीजों की सर्जरी फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव ने की है. उसने अपना नाम एनजान कैम बताया और दावा किया था कि उसने लंदन से डॉक्टरी की डिग्री ली है. मरीजों की मौत के बाद ये फर्जी डॉक्टर फरार हो गया था, जिसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने आरोपी को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया. बताया जा रहा है कि दमोह के मिशन अस्पताल में उसे भोपाल की एक एजेंसी ने 8 लाख रुपए मासिक वेतन पर नियुक्त किया था. नरेंद्र यादव की डिग्रियों में भारी गड़बड़ी सामने आई है. नरेंद्र यादव ने कथित तौर पर दावा किया था कि उसने 1996 में एमबीबीएस और 2001 में हृदय रोग में विशेषज्ञता प्राप्त की है, लेकिन इनकी पुष्टि नहीं हो पाई.

सिरमौर में भी दबिश दे सकती है मध्य प्रदेश पुलिस

हालांकि स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि जैसे-जैसे इस मामले की जांच आगे बढ़ेगी, तो मध्य प्रदेश पुलिस इस सनसनीखेज मामले में आने वाले समय में नाहन और पांवटा साहिब में भी दबिश दे सकती है. लिहाजा यहां जांच की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता.

गंभीर चेतावनी लेकर आया मामला

इस पूरे मामले ने न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है, बल्कि यह भी उजागर किया है कि फर्जी चिकित्सक किस तरह छोटे शहरों और कस्बों में अपनी पहचान छिपाकर काम कर रहे हैं. बहरहाल पांवटा साहिब और नाहन में इस तरह के फर्जी डाक्टर की सक्रियता कहीं न कहीं हेल्थ डिपार्टमेंट की बड़ी चूक को भी दर्शाता है. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पताल प्रबंधन के लिए ये बेहद जरूरी हो जाता है कि किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति से पहले उसकी शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और प्रमाण पत्रों की गहराई से जांच की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और आम जनता की जान को जोखिम में डालने से बचाया जा सके.

अलर्ट मोड़ पर आया हेल्थ डिपार्टमेंट

जिला सिरमौर में हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट मोड़ पर आया है. वर्तमान में जिला में 13 निजी अस्पताल, 2 नर्सिंग होम और 25 क्लीनिक और डायग्नोस्टिक सैंटर चल रहे हैं. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला के सभी निजी अस्पतालों को आदेश जारी किए जा रहे हैं कि किसी भी डॉक्टर को तैनात करने से पहले उसके दस्तावेजों, हिमाचल में रजिस्ट्रेशन नम्बर सहित संबंधित व्यक्ति की समस्त डिटेल की गहनता से जांच की जाए, ताकि इस तरह की घटनाएं सामने न आ सकें.

क्या कहते हैं सीएमओ?

उधर फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव के जिला सिरमौर में सेवाएं देने के मामले में पूछे जाने पर सीएमओ सिरमौर डॉ. अमिताभ जैन ने कहा कि, 'फिलहाल मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, लेकिन इस संबंध में जिला के संबंधित निजी अस्पताल से विस्तृत जानकारी मांगी जा रही है. जिला के समस्त निजी अस्पतालों को आदेश जारी किए जा रहे हैं कि अस्पतालों में डॉक्टर की तैनाती से पूर्व उसके दस्तावेजों सहित अन्य डिटेल की गहनता से जांच पड़ताल की जाए. किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी.'

ये भी पढ़ें: हिमाचल में पात्र लोगों को ही मिलेगा सस्ता राशन, विभाग ने जारी किए ये आदेश, जल्द करवा लें ई-केवाईसी

सिरमौर: भगवान का शुक्र है कि देश भर में चर्चित फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एनजॉन कैम ने हिमाचल प्रदेश में कोई हार्ट सर्जरी नहीं की, वरना मध्य प्रदेश के दमोह जैसे हालात यहां भी पैदा हो सकते थे. इस फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव के तार हिमाचल प्रदेश से भी जुड़े हैं. फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव जिला सिरमौर के एक नामी निजी अस्पताल में भी करीब डेढ़ माह अपनी सेवाएं दे चुका है. लिहाजा लंदन वाले इस फर्जी डाक्टर के कारनामों की चर्चा जिला सिरमौर में भी खूब हो रही है.

वहीं हिमाचल का हेल्थ डिपार्टमेंट भी अब अलर्ट मोड़ पर आ गया है. दरअसल देश भर में लोगों को हिलाकर रख देने वाले इस फर्जी डाक्टर के मामले में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग ने यहां ऐसे फर्जी डाक्टर की जांच पड़ताल क्यों नहीं की? अब जब मध्य प्रदेश के दमोह में हार्ट सर्जरी के बाद 7 लोगों की मौत हो गई और इसके तार सिरमौर से भी जुड़े, तो हेल्थ डिपार्टमेंट की नींद टूटी और विभाग अलर्ट मोड़ पर आया.

डेढ़ साल पहले जिला में दे चुका सेवाएं

दरअसल फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव जिला सिरमौर के पांवटा साहिब और नाहन में बतौर कथित कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे चुका है. ये दोनों ब्रांच एक ही अस्पताल ही हैं. करीब डेढ़ साल पहले ये फर्जी डाक्टर पांवटा साहिब के एक निजी अस्पताल में कार्यरत था. नाहन के निजी अस्पताल में भी वो कई बार बाह्य रोगी विभाग में हार्ट के मरीजों की जांच करता था.

संदेहास्पद सेवाओं के चलते नौकरी से निकाला

बताया जा रहा है कि नाहन से एंजियोग्राफी और इको टैस्ट के लिए मरीज पांवटा साहिब ही जाते थे, लेकिन इस बीच कई मरीजों की रिपोर्ट में भी कई तरह के सवाल उठते थे. ऐसे में निजी अस्पताल प्रबंधन ने भी इस पर कड़ा रूख लिया और अस्पताल से उसकी सेवाओं को समाप्त कर दिया.

इस वजह से यहां नहीं मिली सर्जरी की अनुमति

अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार सिरमौर में अपनी सेवाओं के दौरान ये फर्जी डाक्टर अपनी शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका. इसी कारण उसे हार्ट सर्जरी की अनुमति नहीं मिली. इस कारण कई मरीजों की जान बच गई, नहीं तो हालात मध्य प्रदेश जैसे हो सकते थे. उसने यहां देहरादून का आधार कार्ड भी पेश किया था. खुद को इंग्लैंड से डिग्री धारक बताया था. गनीमत ये रही कि निजी अस्पताल प्रबंधन की समय रहते सतर्कता के चलते यहां एक बड़ी अनहोनी होने से टल गई.

उधर श्री साई अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ. दिनेश बेदी ने कहा कि, 'उक्त व्यक्ति ने यूके की डिग्री प्रस्तुत की थी, लेकिन जांच के दौरान उसमें कुछ संदेहास्पद बातें सामने आई थी. हिमाचल प्रदेश के नियमों के मुताबिक ये व्यक्ति यहां प्रैक्टिस नहीं कर सकता था. लिहाजा प्रबंधन ने उसे तत्काल नौकरी से निकाल दिया. मध्य प्रदेश के दमोह में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति ने यहां अस्पताल में कोई भी सर्जरी नहीं की गई थी. फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव अपनी शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज पेश नहीं कर पाया था.'

जानिए क्या है ये पूरा मामला

दरअसल चंद दिनों पहले मध्य प्रदेश के दमोह जिला में निजी अस्पताल में हार्ट सर्जरी के दौरान 7 मरीजों की मौत हो गई, जिसके बाद से ही ये मामला देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया गया कि इन मरीजों की सर्जरी फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव ने की है. उसने अपना नाम एनजान कैम बताया और दावा किया था कि उसने लंदन से डॉक्टरी की डिग्री ली है. मरीजों की मौत के बाद ये फर्जी डॉक्टर फरार हो गया था, जिसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने आरोपी को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया. बताया जा रहा है कि दमोह के मिशन अस्पताल में उसे भोपाल की एक एजेंसी ने 8 लाख रुपए मासिक वेतन पर नियुक्त किया था. नरेंद्र यादव की डिग्रियों में भारी गड़बड़ी सामने आई है. नरेंद्र यादव ने कथित तौर पर दावा किया था कि उसने 1996 में एमबीबीएस और 2001 में हृदय रोग में विशेषज्ञता प्राप्त की है, लेकिन इनकी पुष्टि नहीं हो पाई.

सिरमौर में भी दबिश दे सकती है मध्य प्रदेश पुलिस

हालांकि स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि जैसे-जैसे इस मामले की जांच आगे बढ़ेगी, तो मध्य प्रदेश पुलिस इस सनसनीखेज मामले में आने वाले समय में नाहन और पांवटा साहिब में भी दबिश दे सकती है. लिहाजा यहां जांच की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता.

गंभीर चेतावनी लेकर आया मामला

इस पूरे मामले ने न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है, बल्कि यह भी उजागर किया है कि फर्जी चिकित्सक किस तरह छोटे शहरों और कस्बों में अपनी पहचान छिपाकर काम कर रहे हैं. बहरहाल पांवटा साहिब और नाहन में इस तरह के फर्जी डाक्टर की सक्रियता कहीं न कहीं हेल्थ डिपार्टमेंट की बड़ी चूक को भी दर्शाता है. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पताल प्रबंधन के लिए ये बेहद जरूरी हो जाता है कि किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति से पहले उसकी शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और प्रमाण पत्रों की गहराई से जांच की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और आम जनता की जान को जोखिम में डालने से बचाया जा सके.

अलर्ट मोड़ पर आया हेल्थ डिपार्टमेंट

जिला सिरमौर में हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट मोड़ पर आया है. वर्तमान में जिला में 13 निजी अस्पताल, 2 नर्सिंग होम और 25 क्लीनिक और डायग्नोस्टिक सैंटर चल रहे हैं. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला के सभी निजी अस्पतालों को आदेश जारी किए जा रहे हैं कि किसी भी डॉक्टर को तैनात करने से पहले उसके दस्तावेजों, हिमाचल में रजिस्ट्रेशन नम्बर सहित संबंधित व्यक्ति की समस्त डिटेल की गहनता से जांच की जाए, ताकि इस तरह की घटनाएं सामने न आ सकें.

क्या कहते हैं सीएमओ?

उधर फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव के जिला सिरमौर में सेवाएं देने के मामले में पूछे जाने पर सीएमओ सिरमौर डॉ. अमिताभ जैन ने कहा कि, 'फिलहाल मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, लेकिन इस संबंध में जिला के संबंधित निजी अस्पताल से विस्तृत जानकारी मांगी जा रही है. जिला के समस्त निजी अस्पतालों को आदेश जारी किए जा रहे हैं कि अस्पतालों में डॉक्टर की तैनाती से पूर्व उसके दस्तावेजों सहित अन्य डिटेल की गहनता से जांच पड़ताल की जाए. किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी.'

ये भी पढ़ें: हिमाचल में पात्र लोगों को ही मिलेगा सस्ता राशन, विभाग ने जारी किए ये आदेश, जल्द करवा लें ई-केवाईसी

Last Updated : April 12, 2025 at 8:11 AM IST
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