करनाल: हरियाणा में इन दिनों गेहूं और सरसों की सरकारी खरीद की जा रही है. जहां प्रशासन अनाज मंडियों में व्यवस्था के दावे कर रहा है, तो वहीं करनाल की अनाज मंडी परिसर में फैली गंदगी की तस्वीरें भी सामने आई हैं. अनाज मंडी परिसर में फैली गंदगी में मेडिकल एक्सपायरी वेस्ट को डालकर आग लगाई जा रही है. जिसके चलते मंडी प्रशासन अनाज और हवा-मिट्टी में जगर घोल रहा है. एक्सपायर्ड दवाएं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि नोटिस जारी किया जाएगा.
दवाओं की वजह से पर्यावरण दूषित: दवाओं की वजह से भी पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. जानकारों का कहना है कि हर साल 10-15 पर्सेंट दवाएं एक्सपायर हो जाती हैं और इन बेकार दवाओं को यूं ही सड़क किनारे या गंदगी के ढेर में फेंक दिया जाता है. प्रॉपर तरीके से इन दवाओं का डिस्पोजल नहीं किये जाने की वजह से इ केमिकल्स का साइड इफेक्ट पर्यावरण को झेलना पड़ता है.

लापरवाही से मंडी प्रशासन अजान: इस मामले में सुपरवाइजर सतवीर सिंह से बात की गई तो पहले उन्होंने मंडी परिसर में सफाई व्यवस्था को दुरूस्त बताया. जब पूरे मामले को उनके संज्ञान में लाया गया, तब उन्होंने इस मामले की जानकारी न होने की बात कही. उन्होंने इस मामले में आगे सख्त कार्रवाई करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इसके लिए जिला ड्रग विभाग की भी मदद ली जाएगी और जांच की जाएगी.
गैर कानूनी है खुले में बायो मेडिकल डालना: राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल मैनेजर शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के तहत खुले में बायो मेडिकल वेस्ट डालना गैरकानूनी है. मामला अभी संज्ञान में आया है. किस कंपनी की दवा खुले में फेंकी गई है. इन तमाम कंपनियों को नोटिस दिया जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी.

पर्यावरण को भारी नुकसान: बायो मेडिकल वेस्ट का भी सही तरीके से डिस्पोजल कैसे हो सके, यह एक गंभीर विषय है. बताया जा रहा है कि हर साल करोड़ों का कारोबार होता है, जिससे 1-15 प्रतिशत दवा हर साल एक्सपायर हो जाती है. कंपनी में या डिपो में ऐसी दवा को नष्ट करे के संसाधन नहीं है. तो ऐसी दवा को ऐसे ही नदी-नालों या गंदगी के ढेर में फेंक देते हैं और आम लोग अपनी दवा डस्टबिन में फेंक देते हैं. इन दवाओं में केमिकल्स होते हैं, जो मिट्टी, पानी और हवा तीनों को जहरीला बनाते हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पर्यावरण को एक्सपायर्ड दवा के कारण भी नुकसान पहुंच रहा है.