नई दिल्लीः हर साल 18 अप्रैल विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने देश की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण, प्रबंधन व जागरूकता को लेकर अपने संकल्प को दोहराया. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में एएसआई की संयुक्त महानिदेशक नंदिनी भट्टाचार्य साहु ने बताया कि इस दिवस पर देशभर के सर्कल कार्यालयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य आम लोगों को धरोहरों के महत्व व संरक्षण के प्रति जागरूक करना है. आज के इस डिजिटल दौर में विरासतों को बचाने व उसके प्रति युवाओं को जागरूक करने के लिए डिजिटल प्लान भी तैयार किया गया है.
इस नई साइट को भी मिला दर्जा: नंदिनी भट्टाचार्य साहु ने ईटीवी भारत को बताया कि भारत में वर्तमान में कुल 42 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें 35 सांस्कृतिक धरोहरें शामिल हैं, जबकि प्राकृतिक धरोहर की श्रेणी में आती हैं. हाल ही में असम के मयांग क्षेत्र के पारंपरिक स्थल जिसे भारत का पिरामिड भी कहा जाता है, उसको भी यूनेस्को द्वारा मान्यता दी गई है. यह निर्णय बीते वर्ष 2024 में भारत में आयोजित 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक में लिया गया. प्रमुख विश्व धरोहर स्थलों में ताजमहल, आगरा का किला, दिल्ली का लाल किला, कुतुब मीनार, तेलंगाना का रामप्पा मंदिर, एलीफेंटा गुफाएं और सांची स्तूप आदि हैं. उन्होंने कहा कि भले ही देश का कोई स्मारक यूनेस्को की सूची में शामिल न हो लेकिन एएसआई हर स्मारक को महत्वपूर्ण मानता है और उसके संरक्षण के लिए काम किया जाता है, जिससे विरासतों को संजोया जा सके.
क्राउड मैनेजमेंट पर खास ध्यान: देश के तमाम पर्यटन स्थलों पर बढ़ती भीड़ को लेकर नंदनी भट्टाचार्य ने बताया कि ताजमहल, लाल किला, कुतुब मीनार जैसे स्थलों पर हमेशा भारी संख्या में पर्यटक आते हैं. इन जगहों पर भीड़ प्रबंधन के लिए समय-समय पर कार्य योजनाएं बनाकर उन्हें लागू किया जाता है, जिससे पर्यटकों को असुविधा न हो. यदि कोई पर्यटक बड़े पर्यटन स्थल पर जाता है तो उसके आसपास मौजूद छोटे पर्यटन स्थलों पर भी जाना पसंद करता है. ऐसे में उन छोटे पर्यटन स्थलों पर भी भीड़ प्रबंधन के इंतजाम करने पड़ते हैं. इसके लिए एएसआई पर्यटकों की संख्या पर नजर बनाए रखता है.
जलवायु परिवर्तन का भी पड़ता है स्मारकों पर असर: जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण का स्मारकों पर बुरा असर पड़ता है. इसको लेकर नंदनी भट्टाचार्य ने बताया कि एएसआई की केमिस्ट्री ब्रांच व साइंस कैडर लगातार इन मुद्दों पर काम कर रहे हैं. ये टीमें रासायनिक संरक्षण, क्लीनिंग और माइक्रो लेवल पर मरम्मत जैसे कार्यों को अंजाम देती हैं. उदाहरण के तौर पर कोणार्क मंदिर में संरचना को डेसाल्टिंग का तकनीक से साफ किया गया है.
डिजिटल युग के अनुरूप दिखाने का प्रयास: नंदिनी भट्टाचार्य साहु ने बताया कि युवा पीढ़ी को विरासत से जोड़ने के लिए एएसआई ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है. एएसआई का एक्स हैंडल, यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम पेज है, जहां मॉन्यूमेंट्स की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें, वीडियो, शार्ट फिल्में बनाकर साझा की जाती है, जिससे युवा पीढ़ी इन्हें देखकर विरासतों के संरक्षण और उनके महत्व के बारे में जान सके.
युवाओं की भागीदारी: एएसआई की जमीन पर अक्सर अतिक्रमण की शिकायतें आती रहती हैं. इसपर उन्होंने कहा कि यह एक जटिल समस्या है. लेकिन एएसआई की फील्ड टीमें नियमित विजिट करती हैं, जिससे किसी भी तरह के कब्जे को रोका जा सके. इसके साथ ही एनजीओ और युवाओं की मदद से जन-जागरूकता अभियान और धरोहरों के संरक्षण के ड्राइव चलाए जाते हैं. इससे लोग स्वयं जुड़कर धरोहरों की रक्षा में योगदान देते हैं. इस विश्व विरासत दिवस पर नंदिनी भट्टाचार्य साहु ने देशवासियों को विश्व विरासत दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि "भारत एक गौरवशाली व समृद्ध विरासत वाला देश है. यह विरासत हम सबकी है. इसे बचाना व संरक्षित करना हम सबकी जिम्मेदारी है.
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