कोटा. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज 2024 परीक्षा में कोटा की अनुश्री सचान 220 रैंक लेकर आईं है. अनुश्री कोटा में जेईई की तैयारी करने के लिए आई थी, बाद में उनका परिवार भी यहां आ गया. कोटा के पढ़ाई के माहौल से ही उन्हें मदद मिली और कठिन माने जाने वाली सिविल सर्विसेज की परीक्षा को उन्होंने क्लियर किया है. अनुश्री का मानना है कि जेईई की तैयारी के समय उन्हें पढ़ाई में मेहनत करना कोटा में सीखा. कोटा के माहौल ने भी उन्हें प्रेरणा दी है. इसीलिए उनका परिवार दोनों भाई बहनों की आईआईटी में एडमिशन होने के बावजूद कोटा से नहीं गया.
अनुश्री की मां शर्मिला का कहना है कि हमारा लक्ष्य पहले कोटा से बेटी को आईआईटी क्रैक कराना था, बेटी के सफल होने के बाद बेटे का भी यही लक्ष्य था, इसलिए यहां रुक गए. हमने इसे आगे का नहीं सोचा था. केवल यही प्लान था कि अनुश्री एब्रॉड चली जाएगी. वहीं से एमएससी और पीएचडी करके करके सेटल हो जाएंगे, हालांकि बाद में उन्होंने प्लान बदल दिया और भारत में ही रहकर सिविल सर्विसेज एग्जाम फाइट करने में जुट गई.
अनुश्री का कहना है कि 2015 में कोटा जेईई की तैयारी करने के लिए आई थी और हॉस्टल में रही. इसके बाद उनकी मां शर्मिला छोटे भाई अविरल को लेकर कोटा आ गई. दोनों बहन भाइयों ने यही से पढ़ाई शुरू कर दी. इसके बाद उनके बीएसएनएल के डिवीजनल इंजीनियर पिता सुशील सचान ने भी अपना ट्रांसफर कोटा करवा लिया. इसके बाद वह कोटा के स्कूल में ही पढ़ने लगे और यहां की कोचिंग संस्थान से उन्होंने जेईई की तैयारी की. हमें कोटा इतना भा गया कि दोनों भाई बहनों का आईआईटी में एडमिशन होने के बावजूद भी हम कोटा ही रुक गए. मैं यहां से ही सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गई. कोटा के पढ़ाई के माहौल ने ही मुझे सिविल सर्विसेज की परीक्षा में काफी मदद की है.

2023 की कमियों को पूरा करने में जुटी : अनुश्री का कहना है कि सिविल सर्विसेज 2023 की परीक्षा का परिणाम 2024 में आया, इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली थी. पैरंट्स ने मुझे मोटिवेट किया. वहीं मुझे पता था कि कहीं ना कहीं मेहनत में मेरी तरफ से कमी थी. इस कमी पर काम किया. परिजनों ने मुझे हेल्प की. भाई ने मुझे दोस्त की तरह सपोर्ट किया. इस परीक्षा के रिजल्ट का एनालिसिस करने पर सामने आया कि केमेस्ट्री ऑप्शनल में कमजोर रही हूं, जबकि वह मेरा एक पसंदीदा सब्जेक्ट है. इस कमजोरी को मैं दूर किया और 2024 के रिजल्ट में जो इंप्रूवमेंट आया है, वह केमेस्ट्री ऑप्शनल की वजह से ही है. मैंने बीते सालों के क्वेश्चन पेपर को कई बार प्रेक्टिस की. आंसर राइटिंग प्रैक्टिस और ऑप्शनल की टेस्ट सीरीज जॉइन की इन सब की मदद से रिजल्ट में सुधार हुआ है.

सफलता के हैं यह चार मंत्र: अनुश्री ने अपने सक्सेज का मंत्र बताते हुए कहा कि पेशेंस, डिसिप्लिन, कंसिस्टेंसी और रिवीजन ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि बहुत लंबी साइकिल है, रोज-रोज पढ़ाई करनी होगी. इसीलिए पेशेंस आपको रखना पड़ेगा. दूसरी तरफ सुबह से शाम तक का पूरा डिसिप्लिन होगा, इसी अनुशासन को रूटीन बनाना होगा. तीसरा अपनी पढ़ाई को कंसिस्टेंसी के साथ करना होगा. आप सिविल सर्विसेज या बड़ी परीक्षाओं में या नहीं कर सकते कि एक दिन पढ़ लिया, दूसरे दिन नहीं पढ़ें. अगर मन नहीं है, फिर भी पढ़ना है. चौथा रिवीजन सबसे इंपोर्टेंट होता है. लगातार वही चीज बार-बार पढ़नी है.
जर्मनी के म्यूनिख से मिला था रिसर्च का ऑफर, जा नहीं पाई : शर्मिला सचान का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे में पढ़ाई के दौरान अनुश्री को जर्मनी की टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ़ म्युनिख से रिसर्च का ऑफर मिला था. कोविड-19 शुरू हो जाने के चलते नहीं जा पाई. इसके बाद अनुश्री ने सिविल सर्विसेज का एग्जाम फाइट करने में जुट गई. उन्होंने साल 2021 से 2024 तक ही लगातार चार अटेम्प्ट दिए हैं. पहले और तीसरे अटेंप्ट में उन्होंने प्रीलिम्स के लिए नहीं किया था, दूसरे अटेम्प्ट 2022 में उनके 633 रैंक थी, लेकिन रैंक इंप्रूवमेंट का सपना था, ताकि अपनी प्रेफरेंस की सर्विस मुझे मिल जाए. अब मुझे जो भी सर्विस मिलेगी, पूरी लगन के साथ काम करूंगी.

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आईआईटी बॉम्बे से बैंक में मिला था प्लेसमेंट, नहीं किया जॉइन : अनुश्री का कहना है कि आईआईटी मुंबई से 2021 में जब उन्होंने बैचलर ऑफ साइंस इन केमिस्ट्री की डिग्री पूरी की, इसके बाद प्लेसमेंट में उन्हें एक बैंक ने ऑफर दिया था. पैकेज भी लगभग ठीक-ठाक था, लेकिन मैंने जॉइन नहीं किया. पहले और तीसरा अटेम्प्ट में जब प्रीलिम्स क्लियर नहीं हुआ, तब जॉब के बारे में सोचा था क्या? इस पर अनुश्री का कहना है कि उन्होंने तब भी जॉब के संबंध में नहीं सोचा क्योंकि उन्हें यह लग रहा था कि उनका सिविल सर्विसेज का एग्जाम निकल जाएगा. सिविल सर्विसेज की तैयारी में इतनी मग्न हो गई थी कि उन्हें इसके अलावा कुछ और सोचने का मौका भी नहीं मिला.

रोज सुबह से शाम 10 घंटे पढ़ाई और 10 घंटे सोना : अनुश्री ने अपना शेड्यूल बताते हुए कहा कि वह सुबह 7:00 बजे उठ जाती थी इसके बाद 8 से 1:00 तक पढ़ाई करती थी, फिर दोपहर में लंच कर दो बजे सो जाती थी. शाम को 5:00 उठाती और फिर 6:00 से रात को 12:00 तक पढ़ाती थी. इसी बीच 1 घंटे का डिनर ब्रेक भी उनका होता था. देर रात को 12:00 बजे सो जाती थी. पूरे दिन भर में 10 घंटे पढ़ना और 10 घंटे सोना यह उनका नॉर्मल रूटीन था.
अनुश्री का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे से ग्रेजुएट होने के बाद कोटा आ गई थी, यहां पर ही सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थी और उनका भाई उनके साथ ही आईआईटी एंट्रेस की तैयारी कर रहा था. हम दोनों साथ मिलकर पढ़ते थे, इससे मोटिवेशन भी मिल रहा था साथ ही रिक्रिएशन के लिए पेरेंट्स और भाई के साथ मिलकर कार्ड गेम्स भी खेलने और बातें करना उनका रूटीन था.

कोटा शहर और यहां के संस्थान ने पूरे किए सपना : शर्मिला का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने लोगों से मिलना जुलना भी कम कर दिया था. क्योंकि वह बच्चों पर ही फोकस रखती थी. ज्यादा लोगों से बात नहीं करती थी. आसपास क्या हो रहा है, इस संबंध में भी वह ध्यान नहीं देती थी. अपने बच्चों की पढ़ाई और उनकी केयर के अलावा बाहर इंवॉल्वमेंट नहीं रखती थी. इंजीनियरिंग के लिए कोटा को पूरा क्रेडिट देना चाहूंगी. कोचिंग संस्थान और यहां के टीचर्स का इसमें योगदान है. यहां की फैकल्टी ने 11वीं और 12वीं में बच्चे छोटे थे, तब उनके साथ काफी मेहनत की है. बच्चों ने भी कड़ी मेहनत की. हालांकि सिविल सर्विसेज में थोड़ा धैर्य था. सुशील सचान का कहना है जिस एक मकसद से कोटा आए थे. कोटा में तो बहुत कुछ दिया हमारा मकसद भी पूरा किया है. हमने हर पेरेंट्स की तरह अपने बच्चों को सुविधा मुहैया कराई है, बच्चों की मेहनत से ही इंजीनियरिंग एंट्रेंस क्लियर किया और अब बेटी ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता पाई है.