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संसद में क्यों गूंजा हिमाचल के सैनिक रेस्ट हाउस का मामला ? पूर्व सैनिकों में क्यों है रोष - PAONTA SAHIB SAINIK REST HOUSE

हिमाचल के एक रेस्ट हाउस का मामला संसद के बजट सत्र के दौरान संसद में गूंजा. जिसके बाद पूर्व सैनिकों ने आंदोलन की चेतावनी दी.

पांवटा साहिब में सैनिक रेस्ट हाउस बंद होने से लोगों में रोष
पांवटा साहिब में सैनिक रेस्ट हाउस बंद होने से लोगों में रोष (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : April 7, 2025 at 2:33 PM IST

Updated : April 9, 2025 at 6:42 PM IST

8 Min Read

पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित पांवटा साहिब सैनिक रेस्ट हाउस का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है. बीते दिनो शिमला लोकसभा क्षेत्र से सांसद सुरेश कश्यप ने इस मामले को लोकसभा में उठाया था. जिसके बाद सैनिक रेस्ट हाउस के बंद होने से लोगों में खासा रोष देखने को मिल रहा है.

सांसद ने केंद्रीय गृह मंत्री से की अपील

सांसद सुरेश कश्यप ने संसद में इस मामले को उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है. सुरेश कश्यप ने कहा कि "सिरमौर जिले में पांवटा साहिब में एक सैनिक रेस्ट हाउस साल 2010 में बना था. केंद्रीय सैनिक बोर्ड की आर्थिक मदद से इसका निर्माण हुआ था लेकिन 1 सितंबर 2024 को हिमाचल की सरकार ने इसे बिना नोटिस के बंद कर दिया. जिसके कारण सैनिक, पूर्व सैनिक और वीर नारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिये केंद्रीय गृह मंत्री से आग्रह करूंगा कि इस मामले हस्तक्षेप करें ताकि सैनिको के लिए जो रेस्ट हाउस बना है उसकी सुविधा सैनिकों को दी जाए"

रेस्ट हाउस में ताला लगने पर विरोध (ETV BHARAT)

रेस्ट हाउस की पूरी कहानी

पांवटा साहिब में बना यह सैनिक रेस्ट हाउस साल 2010 में बना था. इसे विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश और पड़ोसी राज्यों—हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब से आने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था. इसके निर्माण के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार ने मिलकर 17 लाख रुपये की लागत खर्च की थी. इसमें डोरमेट्री सहित चार कमरे हैं, शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई थीं, ताकि सैनिकों को ठहरने में कोई दिक्कत न हो, लेकिन सितंबर 2024 में इसे अचानक बंद कर दिया गया. अब आलम ये है कि ये रेस्ट हाउस खंडहर बन चुका है और हर तरफ गंदगी ही गंदगी है. संसद में ये मुद्दा उठने के बाद पांवटा साहिब के पूर्व सैनिकों को इस रेस्ट हाउस के खुलने की उम्मीद जगी है.

कांग्रेस ने मामले पर क्या कहा ?

पांवटा साहिब सैनिक रेस्ट हाउस को लेकर बीजेपी सांसद द्वारा उठाए गए सवाल पर सियासत भी शुरू हो गई है. क्योंकि कांग्रेस ने उल्टा इसे सियासी बयानबाजी करार दिया है. हालांकि कांग्रेस नेता गेस्ट हाउस बंद होने की बात तो मानते हैं लेकिन वो सांसद सुरेश कश्यप से अपील की है कि केंद्र सरकार ने हिमाचल का जो फंड रोका हुआ है उसे लेकर भी आवाज उठाएं.

कांग्रेस के पूर्व मंडल अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने कहा कि "गेस्ट हाउस घाटे में चल रहा था लेकिन इसे बंद नहीं किया जाएगा और जल्द ही चरणबद्ध तरीके खोला जाएगा. जिससे की सैनिकों को सुविधाएं मिल सकें."

पांवटा साहिब में सैनिक रेस्ट हाउस बंद होने से पूर्व सैनिकों में रोष
पांवटा साहिब में सैनिक रेस्ट हाउस बंद होने से पूर्व सैनिकों में रोष (ETV BHARAT)

घाटे को वजह बताकर बंद किया सैनिक रेस्ट हाउस

भूतपूर्व सैनिक संगठन सिरमौर के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने बताया कि, 'सैनिक रेस्ट हाउस बंद होने से लोगों और एक्स सर्विसमैन में रोष हैं. ये रेस्ट हाउस 2010 में बना था. राज्य सरकार ने इसमें साढ़े सात लाख और केंद्र सरकार ने इसमें दस लाख रुपया खर्च किया है. 2023 में इसकी मरम्मत पर डेढ़ लाख रुपये खर्च हुआ. 2024 में इस रेस्ट हाउस के घाटे में जाने का कारण बता कर इसे बंद कर दिया गया. अगर ये रेस्ट हाउस घाटे में जा रहा था, तो इसकी मरम्मत पर डेढ़ लाख रुपया क्यों खर्च किया गया. घाटे में जाने के कारण सही था तो इसका ऑडिट आज तक क्यों नहीं करवाया गया. हमने इसके बंद होने पर हिमाचल के कैबिनेट मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल से भी मुलाकात की थी. उन्होंने इसे डेढ़ हफ्ते में खुलवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक इसे नहीं खोला गया है.'

घाटे को वजह बता कर बंद किया पांवटा का सैनिक रेस्ट हाउस
घाटे को वजह बता कर बंद किया पांवटा का सैनिक रेस्ट हाउस (ETV BHARAT)

'चौकीदार ने कमरों पर कर रखा था कब्जा'

वीरेंद्र चौहान ने बताया कि, 'यहां पर पहले एक चौकीदार को रखा गया था. उसके लिए डोरमेट्री में एक बेड की व्यवस्था की गई थी, लेकिन उसने दो कमरों में अपना कब्जा कर रखा था. इस कारण से यहां आने वाले सैनिकों को कमरा ही नहीं मिल पाता था. यहां एक कमरे का किराया साढ़े 400 रुपये है और डोरमेट्री में 10 बेड की व्यवस्था है, जहां प्रति बेड 100 रुपये चार्ज किए जाते थे. इसकी मासिक आय 40 हजार से ऊपर थी. ऐसे में ये रेस्ट हाउस कैसे घाटे में जा सकता है.'

बस अड्डा बना सैनिकों का ठिकाना

पूर्व सैनिक कल्याण संघ के जिला उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह टुंडू ने कहा कि, 'पांवटा से देहरादून रेलवे स्टेशन 45 किलोमीटर, अंबाला 70 किलोमीटर और जगाधारी रेलवे स्टेशन 55 किलोमीटर दूर है. ऐसे में पूर्व सैनिक यहां पर रुकते थे और इसके बाद आगे के लिए रवाना होते थे. इसके साथ ही सैनिक छुट्टी पर घर आते समय यहां रात को रुकते हैं, क्योंकि शाम को पांच बजे के बाद शिलाई, हरीपुरधार, क्फोटा, मस्तभोज और नेरवां समेत दूसरे दूरदराज के इलाकों में बस सेवा उपलब्ध नहीं है, इसलिए सैनिक और पूर्व सैनिक यहां रात को रुकने के बाद अगले दिन सुबह यहां से घर जाने के लिए बस पकड़ते थे, लेकिन रेस्ट हाउस के बंद होने से ये सैनिक बस स्टैंड में सो रहे हैं या होटल में जेब से ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं. इसलिए इस रेस्ट हाउस को खोलने की मांग की जा रही है.'

रेस्ट हाउस में लगा ताला
रेस्ट हाउस में लगा ताला (ETV BHARAT)

आंदोलन की तैयारी में पूर्व सैनिक

वहीं, रेस्ट हाउस पहुंचे पूर्व सैनिकों ने कहा कि अगर जल्द ही इसे नहीं खोला गया तो उन्हें आंदोलन करना पड़ेगा, क्योंकि ये रेस्ट हाउस सैनिकों और उनके परिवारों के लिए हैं. इसमें घाटा और फायदे वाली बात नहीं, इसके बंद होने के लिए सैनिक कल्याण विभाग ही जिम्मेदार है. पूर्व सैनिक कल्याण संघ का दावा है कि रेस्ट हाउस घाटे में नहीं था, बल्कि इसके प्रबंधन में लापरवाही की गई. उनके अनुसार रेस्ट हाउस की हर महीने की कुल आय लगभग ₹40,000 थी. कमरों की बुकिंग से ₹30,000, दुकानों के किराए से ₹10,000 थी. इसमें चौकीदार का वेतन ₹16,000 रुपये और बिजली, सफाई का खर्च 10 हजार रुपये था. इसके बाद कुल मिलाकर हर महीने ₹24,000 बचता था. इसके बावजूद, प्रशासन ने इसे घाटे का हवाला देकर बंद कर दिया.

उच्च अधिकारियों से की गई बात

रिटायर्ड कैप्टन डॉ. एसपी खेरा ने कहा कि, 'जब सैनिक संगठनों ने इस पर सवाल उठाया, तो एडिशनल डायरेक्टर को इसके बारे में बताया गया तो उनका कहना था कि रेस्ट हाउस का मासिक खर्च ₹50,000 आता है, जिसमें चौकीदार का वेतन, सफाई और बिजली बिल शामिल हैं. ये होटल नहीं है यहां नफा नुकसान नहीं देखा जाता.'

इस मुद्दे पर जब पांवटा साहिब के एसडीएम गुंजित सिंह चीमा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि, 'पूर्व सैनिक संगठनों ने एक ज्ञापन सौंपा था. उनकी मांग संबंधित उच्च अधिकारियों तक पहुंचा दी है. स्वयं भी इस विषय में उच्च अधिकारियों से संवाद किया है और इस मामले का समाधान निकालने के प्रयास जारी हैं.'

टेंडर प्रक्रिया के बाद खुलेगा ये रेस्ट हाउस

जिला सिरमौर के सैनिक कल्याण विभाग के उपनिदेशक रिटायर्ड मेजर दीपक धवन ने बताया कि, 'सैनिक रेस्ट हाउस के लिए 25 अप्रैल तक टेंडर प्रक्रिया की लास्ट डेट है, इसके बाद इसे खोल दिया जाएगा ,ताकि यहां पर अच्छी सुविधा सैनिक और पूर्व सैनिकों को मिल सके. इसे घाटे में चलने की वजह से बंद किया गया था. यहां पर चौकीदार ने दो कमरे पर कब्जा कर लिया था. एक कमरे में वो खुद रहता था ओर दूसरे कमरे में उसका बेटा था. दुकानों का किराया भी नहीं आ रहा था. इसलिए सरकार को भी नुकसान हो रहा था और विभाग ने भी इस समस्या का देखते हुए इसे बंद करवाया, लेकिन अब टेंडर प्रक्रिया के बाद इसे खोल दिया जाएगा. इसमें सबसे पहले सैनिक और वीर नारियों को प्राथमिकता दी जाएगी.'

ये भी पढ़ें: 535 दिनों से दृष्टिबाधितों की हड़ताल जारी, आज सचिवालय के बाहर किया चक्का जाम

पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित पांवटा साहिब सैनिक रेस्ट हाउस का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है. बीते दिनो शिमला लोकसभा क्षेत्र से सांसद सुरेश कश्यप ने इस मामले को लोकसभा में उठाया था. जिसके बाद सैनिक रेस्ट हाउस के बंद होने से लोगों में खासा रोष देखने को मिल रहा है.

सांसद ने केंद्रीय गृह मंत्री से की अपील

सांसद सुरेश कश्यप ने संसद में इस मामले को उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है. सुरेश कश्यप ने कहा कि "सिरमौर जिले में पांवटा साहिब में एक सैनिक रेस्ट हाउस साल 2010 में बना था. केंद्रीय सैनिक बोर्ड की आर्थिक मदद से इसका निर्माण हुआ था लेकिन 1 सितंबर 2024 को हिमाचल की सरकार ने इसे बिना नोटिस के बंद कर दिया. जिसके कारण सैनिक, पूर्व सैनिक और वीर नारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिये केंद्रीय गृह मंत्री से आग्रह करूंगा कि इस मामले हस्तक्षेप करें ताकि सैनिको के लिए जो रेस्ट हाउस बना है उसकी सुविधा सैनिकों को दी जाए"

रेस्ट हाउस में ताला लगने पर विरोध (ETV BHARAT)

रेस्ट हाउस की पूरी कहानी

पांवटा साहिब में बना यह सैनिक रेस्ट हाउस साल 2010 में बना था. इसे विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश और पड़ोसी राज्यों—हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब से आने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था. इसके निर्माण के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार ने मिलकर 17 लाख रुपये की लागत खर्च की थी. इसमें डोरमेट्री सहित चार कमरे हैं, शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई थीं, ताकि सैनिकों को ठहरने में कोई दिक्कत न हो, लेकिन सितंबर 2024 में इसे अचानक बंद कर दिया गया. अब आलम ये है कि ये रेस्ट हाउस खंडहर बन चुका है और हर तरफ गंदगी ही गंदगी है. संसद में ये मुद्दा उठने के बाद पांवटा साहिब के पूर्व सैनिकों को इस रेस्ट हाउस के खुलने की उम्मीद जगी है.

कांग्रेस ने मामले पर क्या कहा ?

पांवटा साहिब सैनिक रेस्ट हाउस को लेकर बीजेपी सांसद द्वारा उठाए गए सवाल पर सियासत भी शुरू हो गई है. क्योंकि कांग्रेस ने उल्टा इसे सियासी बयानबाजी करार दिया है. हालांकि कांग्रेस नेता गेस्ट हाउस बंद होने की बात तो मानते हैं लेकिन वो सांसद सुरेश कश्यप से अपील की है कि केंद्र सरकार ने हिमाचल का जो फंड रोका हुआ है उसे लेकर भी आवाज उठाएं.

कांग्रेस के पूर्व मंडल अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने कहा कि "गेस्ट हाउस घाटे में चल रहा था लेकिन इसे बंद नहीं किया जाएगा और जल्द ही चरणबद्ध तरीके खोला जाएगा. जिससे की सैनिकों को सुविधाएं मिल सकें."

पांवटा साहिब में सैनिक रेस्ट हाउस बंद होने से पूर्व सैनिकों में रोष
पांवटा साहिब में सैनिक रेस्ट हाउस बंद होने से पूर्व सैनिकों में रोष (ETV BHARAT)

घाटे को वजह बताकर बंद किया सैनिक रेस्ट हाउस

भूतपूर्व सैनिक संगठन सिरमौर के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने बताया कि, 'सैनिक रेस्ट हाउस बंद होने से लोगों और एक्स सर्विसमैन में रोष हैं. ये रेस्ट हाउस 2010 में बना था. राज्य सरकार ने इसमें साढ़े सात लाख और केंद्र सरकार ने इसमें दस लाख रुपया खर्च किया है. 2023 में इसकी मरम्मत पर डेढ़ लाख रुपये खर्च हुआ. 2024 में इस रेस्ट हाउस के घाटे में जाने का कारण बता कर इसे बंद कर दिया गया. अगर ये रेस्ट हाउस घाटे में जा रहा था, तो इसकी मरम्मत पर डेढ़ लाख रुपया क्यों खर्च किया गया. घाटे में जाने के कारण सही था तो इसका ऑडिट आज तक क्यों नहीं करवाया गया. हमने इसके बंद होने पर हिमाचल के कैबिनेट मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल से भी मुलाकात की थी. उन्होंने इसे डेढ़ हफ्ते में खुलवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक इसे नहीं खोला गया है.'

घाटे को वजह बता कर बंद किया पांवटा का सैनिक रेस्ट हाउस
घाटे को वजह बता कर बंद किया पांवटा का सैनिक रेस्ट हाउस (ETV BHARAT)

'चौकीदार ने कमरों पर कर रखा था कब्जा'

वीरेंद्र चौहान ने बताया कि, 'यहां पर पहले एक चौकीदार को रखा गया था. उसके लिए डोरमेट्री में एक बेड की व्यवस्था की गई थी, लेकिन उसने दो कमरों में अपना कब्जा कर रखा था. इस कारण से यहां आने वाले सैनिकों को कमरा ही नहीं मिल पाता था. यहां एक कमरे का किराया साढ़े 400 रुपये है और डोरमेट्री में 10 बेड की व्यवस्था है, जहां प्रति बेड 100 रुपये चार्ज किए जाते थे. इसकी मासिक आय 40 हजार से ऊपर थी. ऐसे में ये रेस्ट हाउस कैसे घाटे में जा सकता है.'

बस अड्डा बना सैनिकों का ठिकाना

पूर्व सैनिक कल्याण संघ के जिला उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह टुंडू ने कहा कि, 'पांवटा से देहरादून रेलवे स्टेशन 45 किलोमीटर, अंबाला 70 किलोमीटर और जगाधारी रेलवे स्टेशन 55 किलोमीटर दूर है. ऐसे में पूर्व सैनिक यहां पर रुकते थे और इसके बाद आगे के लिए रवाना होते थे. इसके साथ ही सैनिक छुट्टी पर घर आते समय यहां रात को रुकते हैं, क्योंकि शाम को पांच बजे के बाद शिलाई, हरीपुरधार, क्फोटा, मस्तभोज और नेरवां समेत दूसरे दूरदराज के इलाकों में बस सेवा उपलब्ध नहीं है, इसलिए सैनिक और पूर्व सैनिक यहां रात को रुकने के बाद अगले दिन सुबह यहां से घर जाने के लिए बस पकड़ते थे, लेकिन रेस्ट हाउस के बंद होने से ये सैनिक बस स्टैंड में सो रहे हैं या होटल में जेब से ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं. इसलिए इस रेस्ट हाउस को खोलने की मांग की जा रही है.'

रेस्ट हाउस में लगा ताला
रेस्ट हाउस में लगा ताला (ETV BHARAT)

आंदोलन की तैयारी में पूर्व सैनिक

वहीं, रेस्ट हाउस पहुंचे पूर्व सैनिकों ने कहा कि अगर जल्द ही इसे नहीं खोला गया तो उन्हें आंदोलन करना पड़ेगा, क्योंकि ये रेस्ट हाउस सैनिकों और उनके परिवारों के लिए हैं. इसमें घाटा और फायदे वाली बात नहीं, इसके बंद होने के लिए सैनिक कल्याण विभाग ही जिम्मेदार है. पूर्व सैनिक कल्याण संघ का दावा है कि रेस्ट हाउस घाटे में नहीं था, बल्कि इसके प्रबंधन में लापरवाही की गई. उनके अनुसार रेस्ट हाउस की हर महीने की कुल आय लगभग ₹40,000 थी. कमरों की बुकिंग से ₹30,000, दुकानों के किराए से ₹10,000 थी. इसमें चौकीदार का वेतन ₹16,000 रुपये और बिजली, सफाई का खर्च 10 हजार रुपये था. इसके बाद कुल मिलाकर हर महीने ₹24,000 बचता था. इसके बावजूद, प्रशासन ने इसे घाटे का हवाला देकर बंद कर दिया.

उच्च अधिकारियों से की गई बात

रिटायर्ड कैप्टन डॉ. एसपी खेरा ने कहा कि, 'जब सैनिक संगठनों ने इस पर सवाल उठाया, तो एडिशनल डायरेक्टर को इसके बारे में बताया गया तो उनका कहना था कि रेस्ट हाउस का मासिक खर्च ₹50,000 आता है, जिसमें चौकीदार का वेतन, सफाई और बिजली बिल शामिल हैं. ये होटल नहीं है यहां नफा नुकसान नहीं देखा जाता.'

इस मुद्दे पर जब पांवटा साहिब के एसडीएम गुंजित सिंह चीमा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि, 'पूर्व सैनिक संगठनों ने एक ज्ञापन सौंपा था. उनकी मांग संबंधित उच्च अधिकारियों तक पहुंचा दी है. स्वयं भी इस विषय में उच्च अधिकारियों से संवाद किया है और इस मामले का समाधान निकालने के प्रयास जारी हैं.'

टेंडर प्रक्रिया के बाद खुलेगा ये रेस्ट हाउस

जिला सिरमौर के सैनिक कल्याण विभाग के उपनिदेशक रिटायर्ड मेजर दीपक धवन ने बताया कि, 'सैनिक रेस्ट हाउस के लिए 25 अप्रैल तक टेंडर प्रक्रिया की लास्ट डेट है, इसके बाद इसे खोल दिया जाएगा ,ताकि यहां पर अच्छी सुविधा सैनिक और पूर्व सैनिकों को मिल सके. इसे घाटे में चलने की वजह से बंद किया गया था. यहां पर चौकीदार ने दो कमरे पर कब्जा कर लिया था. एक कमरे में वो खुद रहता था ओर दूसरे कमरे में उसका बेटा था. दुकानों का किराया भी नहीं आ रहा था. इसलिए सरकार को भी नुकसान हो रहा था और विभाग ने भी इस समस्या का देखते हुए इसे बंद करवाया, लेकिन अब टेंडर प्रक्रिया के बाद इसे खोल दिया जाएगा. इसमें सबसे पहले सैनिक और वीर नारियों को प्राथमिकता दी जाएगी.'

ये भी पढ़ें: 535 दिनों से दृष्टिबाधितों की हड़ताल जारी, आज सचिवालय के बाहर किया चक्का जाम

Last Updated : April 9, 2025 at 6:42 PM IST
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