कोडरमा: जिला कोडरमा में इन दिनों हाथियों के झुंड ने ग्रामीण इलाकों में दहशत का माहौल बना रखा है. 25 से 30 छोटे बड़े हाथियों का झुंड 10 मार्च से जिले के जंगली क्षेत्र में घूम रहा है और अब तक दर्जनों घरों को क्षतिग्रस्त करने के साथ सैकड़ों एकड़ में लगी फसलों को बर्बाद कर चुका है.
हाथी कर रहे उत्पात
पिछले 1 महीने से हाथियों का झुंड कोडरमा के जंगलों में विचरण कर रहा है और लोगों के घर और संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहा है. बीती रात हाथियों का झुंड डोमचांच के नीरू पहाड़ी के पास सड़क पार करता देखा गया, जिसके कारण कोडरमा-गिरिडीह मुख्यमार्ग पर तकरीबन 2 घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही.
सैकड़ों एकड़ में लगी फसलों को रौंद डाला
मौके पर मौजूद वन कर्मियों के द्वारा हैवी एलइडी लाइट जलाकर हाथियों को रिहायशी इलाके से जंगलों में खदेड़ा गया. इससे पहले हाथियों के झुंड ने डोमचांच प्रखंड के बेलाटांड़ में तकरीबन आधा दर्जन घरों को क्षतिग्रस्त किया था और सैकड़ों एकड़ में लगी फसलों को रौंद डाला था. प्रभावित ग्रामीणों ने बताया कि हाथियों का झुंड उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है और लोग दहशत में हैं.
एक महीने पहले आया था हाथियों का झुंड
10 मार्च को पहली बार हाथियों का यहीं झुंड मरकच्चो के पपलो जंगलों में देखा गया था, इसके बाद वहां से विचरण करते हुए हाथियों का झुंड जयनगर पहुंचा. जयनगर के बाद डोमचांच के जंगलों में हाथियों के इसी झुंड को देखा गया. जिसके बाद हाथियों का झुंड लोकाई, इंदरवा होते हुए बिहार के नवादा और रजौली चला गया था. लेकिन वहां से हाथियों का यह झुंड दोबारा बिहार-झारखंड की सीमा पर अवस्थित मेघातरी और ताराघाटी होते हुए फिर से कोडरमा पहुंचा. पिछले तीन दिनों से हाथियों का यह झुंड डोमचांच के अलग-अलग जंगलों में विचरण कर रहा है. दिन में जहां हाथी जंगलों में आराम कर रहते हैं, वहीं रात के समय यही झुंड घर और फसलों को नुकसान पहुंचाता है.
वनक्षेत्र में हाथियों का अलग कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव
वन प्रमंडल पदाधिकारी सौमित्र शुक्ल ने कहा कि हाथियों को गांव से जंगलों की ओर खदेड़ने के लिए 18 लोगों की क्यूआर टीम बनाई गई है, जो लगातार मुस्तैद है. इसके अलावा प्रभावित ग्रामीणों को होने वाले नुकसान का आकलन भी किया जा रहा है.
हर साल हाथी इस मौसम में कोडरमा के जंगली इलाकों में पहुंचते हैं. हाथी वनक्षेत्र में ही रहें इसके लिए एक अलग कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है, ताकि हाथी जंगलों में सुरक्षित रहें और उनके विचरण से लोगों को नुकसान भी ना हो.
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