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Explainer: बिना बेटियों का हरियाणा! क्यों आधी हो रही 'आधी आबादी', कैसे मिटेगा गिरते लिंगानुपात का कलंक? - SEX RATIO IN HARYANA

Sex Ratio in Haryana: हरियाणा में बिगड़ा लिंगानुपात चिंता का विषय बना हुआ है. जानें इस असंतुलन के पीछे क्या कारण हैं?

Sex Ratio in Haryana
Sex Ratio in Haryana (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 29, 2025 at 1:16 PM IST

9 Min Read

पंचकूला: हरियाणा अपनी जीवंत संस्कृति और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, लेकिन एक गंभीर सामाजिक समस्या से जूझ रहा है. वो है लिंगानुपात में असंतुलन. 2024 के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) के अनुसार, हरियाणा का लिंगानुपात 910 (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाएं) है, जो राष्ट्रीय औसत 933 से कम है. ये आंकड़ा कुछ जिलों, जैसे रेवाड़ी (887) और महेंद्रगढ़ (891), में और भी चिंताजनक है, जबकि जींद (925) और पंचकूला (915) जैसे जिलों में बेहतर है.

आखिर इस असंतुलन के पीछे क्या कारण हैं? सामाजिक मान्यताएं, तकनीक का दुरुपयोग और नीतिगत खामियां कैसे इस समस्या को बढ़ा रही हैं? और सबसे महत्वपूर्ण, इसे ठीक करने के लिए क्या किया जा रहा है? इस एक्सप्लेनर में हम इन सवालों के जवाब तलाशेंगे, आंकड़ों और कहानियों के जरिए हरियाणा के लिंगानुपात की जटिल तस्वीर को समझेंगे, और भविष्य के लिए समाधान सुझाएंगे.

Sex Ratio in Haryana
हरियाणा में लिंगानुपात की स्थिति (Etv Bharat)

लिंगानुपात का ऐतिहासिक परिदृश्य: हरियाणा में लिंगानुपात की समस्या कोई नई नहीं है. 1980 के दशक में, जब अल्ट्रासाउंड तकनीक भारत में आई, लिंगानुपात 950 के स्वस्थ स्तर पर था, लेकिन 1990 के दशक में अल्ट्रासाउंड का दुरुपयोग शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप लिंग-चयनात्मक गर्भपात बढ़े. 2001 की जनगणना में हरियाणा का लिंगानुपात 861 तक गिर गया, जो देश में सबसे निचले स्तरों में से एक था. 2015 में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत के बाद स्थिति में सुधार हुआ और 2019 में लिंगानुपात 923 तक पहुंचा. हालांकि, 2024 में ये फिर 910 पर आ गया, जो दर्शाता है कि चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं.

Sex Ratio in Haryana
एक नजर में हरियाणा का लिंगानुपात (Etv Bharat)

समस्या की जड़ें: हरियाणा की पुरुष-प्रधान संस्कृति में बेटों को वंश चलाने और आर्थिक सहारा देने वाला माना जाता है, जबकि बेटियों को अक्सर बोझ समझा जाता है. हरियाणा सामाजिक विज्ञान संस्थान (2023) के एक सर्वे के अनुसार, 60% लिंग-चयनात्मक गर्भपात परिवार या समाज के दबाव के कारण होते हैं. रेवाड़ी की 35 वर्षीय महिला की कहानी इसका उदाहरण है. उसने बताया कि सास-ससुर के दबाव में उसे गर्भ में लड़की होने की जानकारी के बाद गर्भपात करवाना पड़ा.

Sex Ratio in Haryana
लिंगानुपात में पड़ोसी राज्यों से पीछे है हरियाणा (Etv Bharat)

तकनीक बनी सबसे बड़ी समस्या? अल्ट्रासाउंड मशीनों और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) किट का अवैध उपयोग लिंगानुपात असंतुलन का एक प्रमुख कारण है. 1980 के दशक में अल्ट्रासाउंड तकनीक के आने के बाद लिंग-चयनात्मक गर्भपात में वृद्धि हुई. डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज, डॉक्टर मनीष बंसल, के अनुसार, छोटे और सेकंड-हैंड अल्ट्रासाउंड डिवाइसों की आसान उपलब्धता ने इस समस्या को बढ़ाया है.

इसके अलावा, एमटीपी किट की अनधिकृत ऑनलाइन बिक्री भी एक बड़ी चुनौती है. 2023 में, पंचकूला के सकेतड़ी गांव में एक आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर को अवैध गर्भपात के लिए पकड़ा गया, जहां से कई अवैध दवाइयां जब्त की गईं. कैथल में स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी में 5,500 अवैध दवाइयां बरामद हुईं.

Sex Ratio in Haryana
तकनीक का दुरुपयोग बड़ी चिंता (Etv Bharat)

दशकों से चली आ रही समस्या: डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज डॉक्टर मनीष बंसल ने बताया कि हरियाणा में लिंगानुपात में बीते करीब 25-30 साल से गड़बड़ी/अस्थिरता आई है. हालांकि सदियों से मेल चाइल्ड को प्रेफरेंस दी जाती रही है, लेकिन तकनीक आने के बाद से गर्भ में बच्ची का पता लगने के बाद अबॉर्शन करवाने का प्रचलन अधिक बढ़ा है. अल्ट्रासाउंड की तकनीक आने से पहले वर्ष 198-85 के दौरान इस पर इतना ध्यान नहीं था और न ही ऐसा कुछ हुआ करता था.

अल्ट्रासाउंड तकनीक आने के बाद गर्भपात का प्रचलन बढ़ा और इसी कारण एक्ट भी लाया गया. उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र पर अंकुश लगाया जाना चाहिए, ताकि तकनीक का मिसयूज न हो सके. इसी कारण लिंग जांच वर्जित किया गया है. एक्ट में केस दर्ज होने समेत सजा का भी प्रावधान है. क्योंकि गर्भपात करने और करवाने वाले, दोनों पर कार्रवाई होती है.

Sex Ratio in Haryana
सभी 22 जिलों में 700 से कम लिंगानुपात वाले गांव (Etv Bharat)

अनरजिस्टर्ड डॉक्टर अवैध गतिविधियों में शामिल: डीजीएचएस डॉक्टर मनीष बंसल ने बताया कि पहले टेक्नोलॉजी को स्पेशलिस्ट डॉक्टर इस्तेमाल करते थे, जो अब पूरी तरह बंद कर गए हैं. लेकिन अब बाजार में मोबाइल के साइज की मशीन आ गई है, सेकंड हैंड मशीन भी मार्केट में घूम रही हैं. अनक्वालिफाइड/अनरजिस्टर्ड लोग जैसे कंपाउंडर थोड़ा बहुत कुछ सीख कर लोगों को धोखा देते हैं. उनके द्वारा ग्रुप/गैंग बना लिए गए हैं, जो पैसे कमाने का आसान जरिया देख लोगों को जांच करने की बात कह कर गुमराह करते हैं. वे तकनीक का मिसयूज करने लगे हैं. इसी कारण गर्भपात के लिए गोलियां खाने का प्रचलन भी बढ़ गया है. डीजीएचएस ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग का मकसद सेक्स रेशो को संतुलित करना तो है लेकिन मरीज की जान बचाना, गर्भवती महिला का नुकसान होने से बचाना उससे पहले है. इसी कारण एमटीपी किट पकड़ने और अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्र पर छापामारी की जा रही है.

स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई जारी: डीजीएचएस डॉक्टर मनीष बंसल ने बताया कि हाल ही में जिला पंचकूला के गांव सकेतड़ी में एक आयुर्वैदिक प्रैक्टिशनर को एक महिला का गर्भपात करवाने के आरोप में पकड़ा गया. उसके क्लीनिक से अनेक अवैध अवैध दवाइयां/गोलियां मिली. इसके अलावा करीब 15 दिन पहले जिला कैथल में एक अवैध प्रैक्टिशनर के यहां छापामारी कर करीब साढ़े 5 हजार दवाइयां पकड़ी गई, जो पूरे प्रदेश में इधर-उधर जानी थी. स्वास्थ्य विभाग और पुलिस विभाग द्वारा बीते दो महीने में अवैध गतिविधियों के संचालन के आरोप में तीस मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें अधिकांश गिरफ्तारियां भी हुई हैं और मामले कोर्ट के विचाराधीन भी जा चुके हैं.

Sex Ratio in Haryana
सरकार ने उठाए कई कदम (Etv Bharat)

सरकार उठा रही सख्त कदम: बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने सभी जिला उपायुक्तों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की. उन्होंने उपायुक्तों को उनके अधीन जिलों में एमटीपी किट की बिक्री व लिंगानुपात जांच को रोकने के लिए दिशा निर्देश दिए. विषय की गंभीरता को भांपते हुए ईटीवी (भारत) ने इस संबंध में हरियाणा के डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) से लिंगानुपात बिगड़ने के तकनीकी, सामाजिक कारणों और उपायों पर बातचीत की.

शिक्षा ला रही मानसिकता में बदलाव: शिक्षा इस मानसिकता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. उसी सर्वे के अनुसार, स्नातक या उच्च शिक्षित परिवारों में लिंगानुपात 935 है, जबकि 10वीं से कम पढ़े-लिखे परिवारों में ये 870 है. जींद के एक शिक्षित दंपति ने अपनी बेटी को जन्म देने के बाद दूसरा बच्चा ना करने का फैसला लिया, जो इस बदलाव का प्रतीक है.

जागरूकता अभियान: 2015 में शुरू हुआ 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने में प्रभावी रहा है. 2024 में, 700 से कम लिंगानुपात वाले क्षेत्रों में विशेष शिविर आयोजित किए गए. पंचकूला में, उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने स्लम बस्तियों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए और गर्भवती महिलाओं के पंजीकरण को अनिवार्य किया.

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ऐसे हो सकता है समाधान (Etv Bharat)

कानूनी सख्ती: गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 के तहत लिंग निर्धारण पर सात साल तक की सजा और जुर्माना है. 2024 में, 384 एमटीपी केंद्रों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया, और 30 केंद्रों को नोटिस जारी किए गए. सोनीपत और पंचकूला में दो डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द हुआ.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने बताया कि 6 मई 2025 से 12 मई 2025 तक एमटीपी किट की अवैध बिक्री को लेकर राज्य भर में 19 जगह छापे मारे गए. इस दौरान 17 एफआईआर दर्ज किए गए. इसके अलावा अवैध कार्य पाए जाने पर 13 दुकानों को सील कर दिया गया. 145 एमटीपी किट जब्त किए गए.एसटीएफ के गठन के बाद राज्य में कुल 43 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. 21 दुकानें सील की गई हैं. 6200 एमटीपी किट जब्त किए गए हैं.

समाधान के रास्ते: 2030 तक एक संतुलित हरियाणा- लिंगानुपात को संतुलित करने के लिए तीन प्रमुख रणनीतियां जरूरी हैं:

शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों में लैंगिक समानता को पाठ्यक्रम में शामिल करना और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता शिविर आयोजित करना. पंचकूला में 2023 के शिविरों ने लिंगानुपात को 850 से 915 तक सुधारा, जो इस दृष्टिकोण की सफलता को दर्शाता है.

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लिंगानुपात पर शिक्षा का प्रभाव (Etv Bharat)

कानूनी सख्ती और निगरानी: पीसीपीएनडीटी और एमटीपी अधिनियम का कड़ाई से पालन, साथ ही ऑनलाइन दवा बिक्री पर निगरानी बढ़ाना. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) को ऑनलाइन फार्मेसियों की जांच के लिए और सख्त कदम उठाने चाहिए.

महिला सशक्तिकरण: आर्थिक सहायता, कौशल विकास, और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को सशक्त करना. उदाहरण के लिए, हरियाणा की ‘लाडली’ योजना गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिससे परिवारों पर बेटियों को जन्म देने का दबाव कम होता है.

हरियाणा में लिंगानुपात की चुनौती गंभीर है, लेकिन जींद और पंचकूला जैसे जिले दिखाते हैं कि बदलाव संभव है. सरकार, स्वास्थ्य विभाग, और आशा वर्कर मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन असली बदलाव समाज की सोच में आएगा. प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार और समुदाय में बेटियों के महत्व को बढ़ावा देना होगा. आइए, 2030 तक हरियाणा को एक ऐसा राज्य बनाएं, जहां बेटियां न केवल जन्म लें, बल्कि सम्मान, समानता, और अवसरों के साथ पनपें.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में अवैध गर्भपात को लेकर सख्त सरकार, एक सप्ताह में 17 एफआईआर दर्ज, 13 सेंटर किए गए सील - ILLEGAL ABORTIONS IN HARYANA

ये भी पढ़ें- Sex Ratio सुधारने के लिए हरियाणा सरकार सख्त, कम लिंगानुपात वाले 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को कारण नोटिस - NOTICE TO MEDICAL OFFICER

ये भी पढ़ें- गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा के लिए नायब सरकार का एक्शन, राज्य टास्क फोर्स का गठन, 1500 मेडिकल संस्थानों को नोटिस, 23 अल्ट्रासाउंड केंद्र सील - SAFETY OF PREGNANT WOMEN

ये भी पढ़ें- फरीदाबाद में लिंगानुपात सुधारने के लिए विशेष जागरूकता अभियान, 8-22 अप्रैल तक पोषण पखवाड़ा का होगा आयोजन - FARIDABAD SEX RATIO IMPROVEMENT

पंचकूला: हरियाणा अपनी जीवंत संस्कृति और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, लेकिन एक गंभीर सामाजिक समस्या से जूझ रहा है. वो है लिंगानुपात में असंतुलन. 2024 के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) के अनुसार, हरियाणा का लिंगानुपात 910 (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाएं) है, जो राष्ट्रीय औसत 933 से कम है. ये आंकड़ा कुछ जिलों, जैसे रेवाड़ी (887) और महेंद्रगढ़ (891), में और भी चिंताजनक है, जबकि जींद (925) और पंचकूला (915) जैसे जिलों में बेहतर है.

आखिर इस असंतुलन के पीछे क्या कारण हैं? सामाजिक मान्यताएं, तकनीक का दुरुपयोग और नीतिगत खामियां कैसे इस समस्या को बढ़ा रही हैं? और सबसे महत्वपूर्ण, इसे ठीक करने के लिए क्या किया जा रहा है? इस एक्सप्लेनर में हम इन सवालों के जवाब तलाशेंगे, आंकड़ों और कहानियों के जरिए हरियाणा के लिंगानुपात की जटिल तस्वीर को समझेंगे, और भविष्य के लिए समाधान सुझाएंगे.

Sex Ratio in Haryana
हरियाणा में लिंगानुपात की स्थिति (Etv Bharat)

लिंगानुपात का ऐतिहासिक परिदृश्य: हरियाणा में लिंगानुपात की समस्या कोई नई नहीं है. 1980 के दशक में, जब अल्ट्रासाउंड तकनीक भारत में आई, लिंगानुपात 950 के स्वस्थ स्तर पर था, लेकिन 1990 के दशक में अल्ट्रासाउंड का दुरुपयोग शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप लिंग-चयनात्मक गर्भपात बढ़े. 2001 की जनगणना में हरियाणा का लिंगानुपात 861 तक गिर गया, जो देश में सबसे निचले स्तरों में से एक था. 2015 में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत के बाद स्थिति में सुधार हुआ और 2019 में लिंगानुपात 923 तक पहुंचा. हालांकि, 2024 में ये फिर 910 पर आ गया, जो दर्शाता है कि चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं.

Sex Ratio in Haryana
एक नजर में हरियाणा का लिंगानुपात (Etv Bharat)

समस्या की जड़ें: हरियाणा की पुरुष-प्रधान संस्कृति में बेटों को वंश चलाने और आर्थिक सहारा देने वाला माना जाता है, जबकि बेटियों को अक्सर बोझ समझा जाता है. हरियाणा सामाजिक विज्ञान संस्थान (2023) के एक सर्वे के अनुसार, 60% लिंग-चयनात्मक गर्भपात परिवार या समाज के दबाव के कारण होते हैं. रेवाड़ी की 35 वर्षीय महिला की कहानी इसका उदाहरण है. उसने बताया कि सास-ससुर के दबाव में उसे गर्भ में लड़की होने की जानकारी के बाद गर्भपात करवाना पड़ा.

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लिंगानुपात में पड़ोसी राज्यों से पीछे है हरियाणा (Etv Bharat)

तकनीक बनी सबसे बड़ी समस्या? अल्ट्रासाउंड मशीनों और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) किट का अवैध उपयोग लिंगानुपात असंतुलन का एक प्रमुख कारण है. 1980 के दशक में अल्ट्रासाउंड तकनीक के आने के बाद लिंग-चयनात्मक गर्भपात में वृद्धि हुई. डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज, डॉक्टर मनीष बंसल, के अनुसार, छोटे और सेकंड-हैंड अल्ट्रासाउंड डिवाइसों की आसान उपलब्धता ने इस समस्या को बढ़ाया है.

इसके अलावा, एमटीपी किट की अनधिकृत ऑनलाइन बिक्री भी एक बड़ी चुनौती है. 2023 में, पंचकूला के सकेतड़ी गांव में एक आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर को अवैध गर्भपात के लिए पकड़ा गया, जहां से कई अवैध दवाइयां जब्त की गईं. कैथल में स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी में 5,500 अवैध दवाइयां बरामद हुईं.

Sex Ratio in Haryana
तकनीक का दुरुपयोग बड़ी चिंता (Etv Bharat)

दशकों से चली आ रही समस्या: डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज डॉक्टर मनीष बंसल ने बताया कि हरियाणा में लिंगानुपात में बीते करीब 25-30 साल से गड़बड़ी/अस्थिरता आई है. हालांकि सदियों से मेल चाइल्ड को प्रेफरेंस दी जाती रही है, लेकिन तकनीक आने के बाद से गर्भ में बच्ची का पता लगने के बाद अबॉर्शन करवाने का प्रचलन अधिक बढ़ा है. अल्ट्रासाउंड की तकनीक आने से पहले वर्ष 198-85 के दौरान इस पर इतना ध्यान नहीं था और न ही ऐसा कुछ हुआ करता था.

अल्ट्रासाउंड तकनीक आने के बाद गर्भपात का प्रचलन बढ़ा और इसी कारण एक्ट भी लाया गया. उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र पर अंकुश लगाया जाना चाहिए, ताकि तकनीक का मिसयूज न हो सके. इसी कारण लिंग जांच वर्जित किया गया है. एक्ट में केस दर्ज होने समेत सजा का भी प्रावधान है. क्योंकि गर्भपात करने और करवाने वाले, दोनों पर कार्रवाई होती है.

Sex Ratio in Haryana
सभी 22 जिलों में 700 से कम लिंगानुपात वाले गांव (Etv Bharat)

अनरजिस्टर्ड डॉक्टर अवैध गतिविधियों में शामिल: डीजीएचएस डॉक्टर मनीष बंसल ने बताया कि पहले टेक्नोलॉजी को स्पेशलिस्ट डॉक्टर इस्तेमाल करते थे, जो अब पूरी तरह बंद कर गए हैं. लेकिन अब बाजार में मोबाइल के साइज की मशीन आ गई है, सेकंड हैंड मशीन भी मार्केट में घूम रही हैं. अनक्वालिफाइड/अनरजिस्टर्ड लोग जैसे कंपाउंडर थोड़ा बहुत कुछ सीख कर लोगों को धोखा देते हैं. उनके द्वारा ग्रुप/गैंग बना लिए गए हैं, जो पैसे कमाने का आसान जरिया देख लोगों को जांच करने की बात कह कर गुमराह करते हैं. वे तकनीक का मिसयूज करने लगे हैं. इसी कारण गर्भपात के लिए गोलियां खाने का प्रचलन भी बढ़ गया है. डीजीएचएस ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग का मकसद सेक्स रेशो को संतुलित करना तो है लेकिन मरीज की जान बचाना, गर्भवती महिला का नुकसान होने से बचाना उससे पहले है. इसी कारण एमटीपी किट पकड़ने और अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्र पर छापामारी की जा रही है.

स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई जारी: डीजीएचएस डॉक्टर मनीष बंसल ने बताया कि हाल ही में जिला पंचकूला के गांव सकेतड़ी में एक आयुर्वैदिक प्रैक्टिशनर को एक महिला का गर्भपात करवाने के आरोप में पकड़ा गया. उसके क्लीनिक से अनेक अवैध अवैध दवाइयां/गोलियां मिली. इसके अलावा करीब 15 दिन पहले जिला कैथल में एक अवैध प्रैक्टिशनर के यहां छापामारी कर करीब साढ़े 5 हजार दवाइयां पकड़ी गई, जो पूरे प्रदेश में इधर-उधर जानी थी. स्वास्थ्य विभाग और पुलिस विभाग द्वारा बीते दो महीने में अवैध गतिविधियों के संचालन के आरोप में तीस मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें अधिकांश गिरफ्तारियां भी हुई हैं और मामले कोर्ट के विचाराधीन भी जा चुके हैं.

Sex Ratio in Haryana
सरकार ने उठाए कई कदम (Etv Bharat)

सरकार उठा रही सख्त कदम: बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने सभी जिला उपायुक्तों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की. उन्होंने उपायुक्तों को उनके अधीन जिलों में एमटीपी किट की बिक्री व लिंगानुपात जांच को रोकने के लिए दिशा निर्देश दिए. विषय की गंभीरता को भांपते हुए ईटीवी (भारत) ने इस संबंध में हरियाणा के डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) से लिंगानुपात बिगड़ने के तकनीकी, सामाजिक कारणों और उपायों पर बातचीत की.

शिक्षा ला रही मानसिकता में बदलाव: शिक्षा इस मानसिकता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. उसी सर्वे के अनुसार, स्नातक या उच्च शिक्षित परिवारों में लिंगानुपात 935 है, जबकि 10वीं से कम पढ़े-लिखे परिवारों में ये 870 है. जींद के एक शिक्षित दंपति ने अपनी बेटी को जन्म देने के बाद दूसरा बच्चा ना करने का फैसला लिया, जो इस बदलाव का प्रतीक है.

जागरूकता अभियान: 2015 में शुरू हुआ 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने में प्रभावी रहा है. 2024 में, 700 से कम लिंगानुपात वाले क्षेत्रों में विशेष शिविर आयोजित किए गए. पंचकूला में, उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने स्लम बस्तियों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए और गर्भवती महिलाओं के पंजीकरण को अनिवार्य किया.

Sex Ratio in Haryana
ऐसे हो सकता है समाधान (Etv Bharat)

कानूनी सख्ती: गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 के तहत लिंग निर्धारण पर सात साल तक की सजा और जुर्माना है. 2024 में, 384 एमटीपी केंद्रों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया, और 30 केंद्रों को नोटिस जारी किए गए. सोनीपत और पंचकूला में दो डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द हुआ.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने बताया कि 6 मई 2025 से 12 मई 2025 तक एमटीपी किट की अवैध बिक्री को लेकर राज्य भर में 19 जगह छापे मारे गए. इस दौरान 17 एफआईआर दर्ज किए गए. इसके अलावा अवैध कार्य पाए जाने पर 13 दुकानों को सील कर दिया गया. 145 एमटीपी किट जब्त किए गए.एसटीएफ के गठन के बाद राज्य में कुल 43 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. 21 दुकानें सील की गई हैं. 6200 एमटीपी किट जब्त किए गए हैं.

समाधान के रास्ते: 2030 तक एक संतुलित हरियाणा- लिंगानुपात को संतुलित करने के लिए तीन प्रमुख रणनीतियां जरूरी हैं:

शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों में लैंगिक समानता को पाठ्यक्रम में शामिल करना और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता शिविर आयोजित करना. पंचकूला में 2023 के शिविरों ने लिंगानुपात को 850 से 915 तक सुधारा, जो इस दृष्टिकोण की सफलता को दर्शाता है.

Sex Ratio in Haryana
लिंगानुपात पर शिक्षा का प्रभाव (Etv Bharat)

कानूनी सख्ती और निगरानी: पीसीपीएनडीटी और एमटीपी अधिनियम का कड़ाई से पालन, साथ ही ऑनलाइन दवा बिक्री पर निगरानी बढ़ाना. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) को ऑनलाइन फार्मेसियों की जांच के लिए और सख्त कदम उठाने चाहिए.

महिला सशक्तिकरण: आर्थिक सहायता, कौशल विकास, और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को सशक्त करना. उदाहरण के लिए, हरियाणा की ‘लाडली’ योजना गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिससे परिवारों पर बेटियों को जन्म देने का दबाव कम होता है.

हरियाणा में लिंगानुपात की चुनौती गंभीर है, लेकिन जींद और पंचकूला जैसे जिले दिखाते हैं कि बदलाव संभव है. सरकार, स्वास्थ्य विभाग, और आशा वर्कर मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन असली बदलाव समाज की सोच में आएगा. प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार और समुदाय में बेटियों के महत्व को बढ़ावा देना होगा. आइए, 2030 तक हरियाणा को एक ऐसा राज्य बनाएं, जहां बेटियां न केवल जन्म लें, बल्कि सम्मान, समानता, और अवसरों के साथ पनपें.

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