ETV Bharat / state

हिमाचल में समय से पहले होगी मानसून की एंट्री, जानें क्या है कारण? - MONSOON 2025

हिमाचल में मानसून की एंट्री जून में होती है. जानें कैसे मौसम को प्रभावित करता है मानसून ट्रफ...

Monsoon 2025
मानसून 2025 (ETV Bharat GFX)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : June 5, 2025 at 12:19 PM IST

Updated : June 5, 2025 at 2:53 PM IST

6 Min Read

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जल्द ही मानसून की एंट्री होने वाली है. मौसम विभाग की मानें तो इस साल मानसून प्रदेश में समय से पहले आ सकता है, क्योंकि केरल में भी इस बार मानसून ने जल्दी दस्तक दी है. बीते साल 27 जून को हिमाचल में मानसून का आगमन हुआ था. इस मानसून को दक्षिण-पश्चिमी मानसून भी कहा जाता है. आइए जानते हैं कि आखिर दक्षिण-पश्चिमी मानसून क्या है और किन कारणों से मानसून जल्दी या देरी से आता है? मानसून को लेकर ईटीवी भारत ने मौसम विभाग शिमला के मौसम वैज्ञानिक शोभित कटियार से बात की है.

शोभित कटियार, मौसम वैज्ञानिक, मौसम विभाग शिमला (ETV Bharat)

दक्षिण-पश्चिमी मानसून क्या है?

मौसम वैज्ञानिक शोभित कटियार ने बताया कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून एक मौसमी हवा का पैटर्न है. जो भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश लाता है. आमतौर पर मानसून जून से सितंबर महीने तक रहता है. ये हवा दक्षिण-पश्चिम दिशा से यानी हिंद महासागर और अरब सागर से आती है. जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा होती है, क्योंकि मानसून दक्षिण-पश्चिम से आता है, इसलिए इसे दक्षिण-पश्चिमी मानसून कहते हैं. ये मानसून मई महीने के अंत में प्रायद्वीप के दक्षिण-पश्चिम छोर पर आना शुरू होता है और जुलाई के अंत तक पूरे भारत को कवर कर लेता है.

Monsoon 2025
दक्षिण-पश्चिमी मानसून (ETV Bharat GFX)

मानसूनी हवाएं कैसे आगे बढ़ती है?

शोभित कटियार ने बताते हैं कि मानसून की हवाएं भारत के भूभाग और आसपास के महासागरों के बीच तापमान के अंतर के कारण आगे बढ़ती हैं. भारतीय भूभाग गर्म होता है, जिससे हवा ऊपर उठती है और भूमि पर कम दबाव का क्षेत्र बनता है. ये कम दबाव महासागरों से नम हवा को खींचता है, जो कि भारत की ओर बहती है. इसके कारण ही बारिश होती है. मानसून सबसे पहले केरल में प्रवेश करता है और उसके बाद पूरे भारत में फैलता है.

मानसून के जल्दी और देरी से पहुंचने का कारण

मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि मानसून कभी जल्दी तो कई बार देरी से आता है, इसका कारण अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्र के तापमान में बदलाव है. जो कि मानसून के आगमन और प्रगति को प्रभावित कर सकता है. पश्चिमी विक्षोभ की लगातार उपस्थिति से भी मानसून की गति धीमी हो सकती है और मानसून आने में देरी हो सकती है.

Monsoon 2025
मानसून के जल्दी या देरी से आने के कारण (ETV Bharat GFX)

मानसून का पता कैसे चलता है?

मौसम वैज्ञानिक शोभित कटियार के अनुसार कुछ ऐसे बिंदु रखे गए हैं, जिससे पता लगता है कि मानसून आ गया है.

  1. केरल में मौसम विभाग के स्टेशन बने हुए हैं, यहां दो दिन तक हल्की या मध्यम बारिश होनी चाहिए.
  2. विक्टोरियल पर रेडिएशन 208 से कम होनी चाहिए.
  3. हवा का दबाव देखा जाता है.
  4. मानसून के आने और प्रगति पर अन्य कई कारकों का, जैसे- मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) और उच्च दबाव वाली प्रणालियों का भी प्रभाव पड़ता है.

क्या होता है मानसून ट्रफ?

  • मानसून ट्रफ एक कम दबाव वाला क्षेत्र है, जो दक्षिण-पश्चिमी मानसून के दौरान भारत के ऊपर बनता है.
  • यह एक लंबी, कम दबाव वाली पट्टी है, जो पाकिस्तान से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैली हुई है.
  • यह हिमालय की तलहटी के समानांतर चलती है और यह मानसून के दौरान बारिश के पैटर्न को प्रभावित करती है.
  • मानसून ट्रफ एक ऐसा क्षेत्र है, जहां वायुमंडलीय दबाव कम होता है, जिससे हवा ऊपर की ओर उठती है और बादल बनते हैं.
  • मानसून ट्रफ हिमालय की तलहटी के साथ-साथ चलती है. इस कारण से हिमालय के आसपास भारी बारिश होती है.
  • मानसून ट्रफ उत्तर और दक्षिण की ओर गति करती है.
  • जब यह उत्तर की ओर बढ़ती है, तो भारत में बारिश की तीव्रता कम हो जाती है और जब यह दक्षिण की ओर बढ़ती है, तो भारत में बारिश की तीव्रता बढ़ जाती है.

मानसून जून में ही क्यों आता है?

मानसून का जून में आना भारतीय उपमहाद्वीप के जलवायु और वायुमंडलीय परिस्थितियों से जुड़ा है. जून के महीने में भारत में मानसून का आगमन, समुद्र के गर्म होने, हवा के दबाव में अंतर और कुछ विशिष्ट हवाओं के कारण होता है. जून के महीने में हिंद महासागर और अरब सागर गर्म हो जाते हैं, जिससे नमी युक्त हवाएं बनती हैं. गर्म जमीन के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनता है, जो नमी युक्त हवाओं को खींचता है. दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं हिंद महासागर और अरब सागर से नमी लेकर भारत की ओर बढ़ती हैं, जो भारत के पश्चिमी तट से टकराकर भारी बारिश करती हैं.

Monsoon 2025
हिमाचल में मानसून (ETV Bharat)

मानसून के मजबूत होने के कारण

मानसून के कमजोर या मजबूत होने के कारण कई कारक होते हैं. जिनमें से कुछ मुख्य हैं-

  • भारतीय उपमहाद्वीप और हिंद महासागर के बीच तापमान अंतर जितना ज्यादा होगा, मानसून उतना ही मजबूत होगा.
  • हिंद महासागर में उत्पन्न होने वाली समुद्री-वायुमंडलीय घटना का मानसून पर गहरा प्रभाव पड़ता है.
  • जब निम्न दबाव क्षेत्र मजबूत होते हैं, तो वे मानसूनी हवाओं को अपनी ओर खींचते हैं, जिससे मानसून मजबूत होता है.

क्यों होता है मानसून कमजोर?

मौसम विज्ञानी शोभित कटियार ने बताया कि मानसून का कमजोर होना या मजबूत होना मानसून ट्रफ के साथ होता है.

  • मानसून अपने गति से चलता है, लेकिन वह 4-5 दिन बाद मानसून ट्रफ के साथ डाइवर्ट हो जाता है.
  • जब ये मध्यभारत में जाता है तो वहां अच्छी बारिश देखने को मिलती है. जबकि कुछ दिनों के लिए पहाड़ों पर बारिश कम हो जाती है.
  • वहीं, जब मानसून ट्रफ पहाड़ों के ओर जाता है तो पहाड़ों पर अच्छी बारिश देखने को मिलती है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कब दस्तक देगा मानसून, इस बार सामान्य से ज्यादा होगी बारिश, जानें मौसम विभाग की भविष्यवाणी

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इस बार सामान्य से ज्यादा बरसेगा मानसून, आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने शुरू की तैयारियां

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 27 फीसदी कम बारिश, 16 सालों में सिर्फ 3 बार ही प्री मानसून रहा मेहरबान

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जल्द ही मानसून की एंट्री होने वाली है. मौसम विभाग की मानें तो इस साल मानसून प्रदेश में समय से पहले आ सकता है, क्योंकि केरल में भी इस बार मानसून ने जल्दी दस्तक दी है. बीते साल 27 जून को हिमाचल में मानसून का आगमन हुआ था. इस मानसून को दक्षिण-पश्चिमी मानसून भी कहा जाता है. आइए जानते हैं कि आखिर दक्षिण-पश्चिमी मानसून क्या है और किन कारणों से मानसून जल्दी या देरी से आता है? मानसून को लेकर ईटीवी भारत ने मौसम विभाग शिमला के मौसम वैज्ञानिक शोभित कटियार से बात की है.

शोभित कटियार, मौसम वैज्ञानिक, मौसम विभाग शिमला (ETV Bharat)

दक्षिण-पश्चिमी मानसून क्या है?

मौसम वैज्ञानिक शोभित कटियार ने बताया कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून एक मौसमी हवा का पैटर्न है. जो भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश लाता है. आमतौर पर मानसून जून से सितंबर महीने तक रहता है. ये हवा दक्षिण-पश्चिम दिशा से यानी हिंद महासागर और अरब सागर से आती है. जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा होती है, क्योंकि मानसून दक्षिण-पश्चिम से आता है, इसलिए इसे दक्षिण-पश्चिमी मानसून कहते हैं. ये मानसून मई महीने के अंत में प्रायद्वीप के दक्षिण-पश्चिम छोर पर आना शुरू होता है और जुलाई के अंत तक पूरे भारत को कवर कर लेता है.

Monsoon 2025
दक्षिण-पश्चिमी मानसून (ETV Bharat GFX)

मानसूनी हवाएं कैसे आगे बढ़ती है?

शोभित कटियार ने बताते हैं कि मानसून की हवाएं भारत के भूभाग और आसपास के महासागरों के बीच तापमान के अंतर के कारण आगे बढ़ती हैं. भारतीय भूभाग गर्म होता है, जिससे हवा ऊपर उठती है और भूमि पर कम दबाव का क्षेत्र बनता है. ये कम दबाव महासागरों से नम हवा को खींचता है, जो कि भारत की ओर बहती है. इसके कारण ही बारिश होती है. मानसून सबसे पहले केरल में प्रवेश करता है और उसके बाद पूरे भारत में फैलता है.

मानसून के जल्दी और देरी से पहुंचने का कारण

मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि मानसून कभी जल्दी तो कई बार देरी से आता है, इसका कारण अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्र के तापमान में बदलाव है. जो कि मानसून के आगमन और प्रगति को प्रभावित कर सकता है. पश्चिमी विक्षोभ की लगातार उपस्थिति से भी मानसून की गति धीमी हो सकती है और मानसून आने में देरी हो सकती है.

Monsoon 2025
मानसून के जल्दी या देरी से आने के कारण (ETV Bharat GFX)

मानसून का पता कैसे चलता है?

मौसम वैज्ञानिक शोभित कटियार के अनुसार कुछ ऐसे बिंदु रखे गए हैं, जिससे पता लगता है कि मानसून आ गया है.

  1. केरल में मौसम विभाग के स्टेशन बने हुए हैं, यहां दो दिन तक हल्की या मध्यम बारिश होनी चाहिए.
  2. विक्टोरियल पर रेडिएशन 208 से कम होनी चाहिए.
  3. हवा का दबाव देखा जाता है.
  4. मानसून के आने और प्रगति पर अन्य कई कारकों का, जैसे- मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) और उच्च दबाव वाली प्रणालियों का भी प्रभाव पड़ता है.

क्या होता है मानसून ट्रफ?

  • मानसून ट्रफ एक कम दबाव वाला क्षेत्र है, जो दक्षिण-पश्चिमी मानसून के दौरान भारत के ऊपर बनता है.
  • यह एक लंबी, कम दबाव वाली पट्टी है, जो पाकिस्तान से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैली हुई है.
  • यह हिमालय की तलहटी के समानांतर चलती है और यह मानसून के दौरान बारिश के पैटर्न को प्रभावित करती है.
  • मानसून ट्रफ एक ऐसा क्षेत्र है, जहां वायुमंडलीय दबाव कम होता है, जिससे हवा ऊपर की ओर उठती है और बादल बनते हैं.
  • मानसून ट्रफ हिमालय की तलहटी के साथ-साथ चलती है. इस कारण से हिमालय के आसपास भारी बारिश होती है.
  • मानसून ट्रफ उत्तर और दक्षिण की ओर गति करती है.
  • जब यह उत्तर की ओर बढ़ती है, तो भारत में बारिश की तीव्रता कम हो जाती है और जब यह दक्षिण की ओर बढ़ती है, तो भारत में बारिश की तीव्रता बढ़ जाती है.

मानसून जून में ही क्यों आता है?

मानसून का जून में आना भारतीय उपमहाद्वीप के जलवायु और वायुमंडलीय परिस्थितियों से जुड़ा है. जून के महीने में भारत में मानसून का आगमन, समुद्र के गर्म होने, हवा के दबाव में अंतर और कुछ विशिष्ट हवाओं के कारण होता है. जून के महीने में हिंद महासागर और अरब सागर गर्म हो जाते हैं, जिससे नमी युक्त हवाएं बनती हैं. गर्म जमीन के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनता है, जो नमी युक्त हवाओं को खींचता है. दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं हिंद महासागर और अरब सागर से नमी लेकर भारत की ओर बढ़ती हैं, जो भारत के पश्चिमी तट से टकराकर भारी बारिश करती हैं.

Monsoon 2025
हिमाचल में मानसून (ETV Bharat)

मानसून के मजबूत होने के कारण

मानसून के कमजोर या मजबूत होने के कारण कई कारक होते हैं. जिनमें से कुछ मुख्य हैं-

  • भारतीय उपमहाद्वीप और हिंद महासागर के बीच तापमान अंतर जितना ज्यादा होगा, मानसून उतना ही मजबूत होगा.
  • हिंद महासागर में उत्पन्न होने वाली समुद्री-वायुमंडलीय घटना का मानसून पर गहरा प्रभाव पड़ता है.
  • जब निम्न दबाव क्षेत्र मजबूत होते हैं, तो वे मानसूनी हवाओं को अपनी ओर खींचते हैं, जिससे मानसून मजबूत होता है.

क्यों होता है मानसून कमजोर?

मौसम विज्ञानी शोभित कटियार ने बताया कि मानसून का कमजोर होना या मजबूत होना मानसून ट्रफ के साथ होता है.

  • मानसून अपने गति से चलता है, लेकिन वह 4-5 दिन बाद मानसून ट्रफ के साथ डाइवर्ट हो जाता है.
  • जब ये मध्यभारत में जाता है तो वहां अच्छी बारिश देखने को मिलती है. जबकि कुछ दिनों के लिए पहाड़ों पर बारिश कम हो जाती है.
  • वहीं, जब मानसून ट्रफ पहाड़ों के ओर जाता है तो पहाड़ों पर अच्छी बारिश देखने को मिलती है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कब दस्तक देगा मानसून, इस बार सामान्य से ज्यादा होगी बारिश, जानें मौसम विभाग की भविष्यवाणी

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इस बार सामान्य से ज्यादा बरसेगा मानसून, आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने शुरू की तैयारियां

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 27 फीसदी कम बारिश, 16 सालों में सिर्फ 3 बार ही प्री मानसून रहा मेहरबान

Last Updated : June 5, 2025 at 2:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.