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हिमाचल में एक ऐसी जगह, जो हाथियों की बनी पसंद, कई एलिफेंट ने बनाया इसे स्थाई घर - HIMACHAL PROJECT ELEPHANT

हिमाचल प्रदेश में उत्तराखंड से हाथियों का आगमन होता है. मगर अब इन हाथियों को हिमाचल की घाटियां ज्यादा भाने लगी है.

Elephants in Forest Division Paonta Sahib
पांवटा साहिब में हाथियों का आगमन (Forest Department Paonta Sahib)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : March 31, 2025 at 10:06 AM IST

6 Min Read

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश में एक ऐसी जगह है, जो हाथियों को एक लंबे समय से रास आ रही है, लेकिन अहम बात ये है कि कुछ हाथियों ने यहां अपना स्थाई रूप से ठिकाना बना लिया है. जो पिछले करीब 1 साल से यहां से वापस नहीं लौटे हैं और इन्हें यहां के जंगल खूब भा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा पर स्थित जिला सिरमौर के पांवटा साहिब घाटी की. यहां के जंगलों में ये हाथी टहल रहे हैं.

पांवटा साहिब की घाटियां बनी हाथियों का निवास

दरअसल वन मंडल पांवटा साहिब के तहत आने वाले जंगल हाथियों को खूब पसंद आ रहे हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करीब 14 से 15 हाथियों ने पांवटा साहिब घाटी के जंगलों को ही अपना स्थाई घर बना लिया है. पिछले एक वर्ष से इन हाथियों ने उत्तराखंड का रुख नहीं किया है, बल्कि अब ये हाथी स्थायी रूप से यहीं के जंगलों में घूम रहे हैं. इससे पहले उत्तराखंड से पांवटा साहिब और पांवटा साहिब से उत्तराखंड में हाथियों का आवागमन होता रहता था.

अलग-अलग झुंड बनाकर घूम रहे हाथी

दरअसल पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से हिमाचल की सीमा में पांवटा साहिब के जंगलों में हाथियों के आने का सिलसिला पिछले करीब 2-3 दशक से चला आ रहा है, लेकिन पिछले 2-3 सालों में यहां हाथियों की मूवमेंट ज्यादा हो रही है. अब खास बात ये है कि इनमें से 14-15 हाथी यही के जंगलों में अपना स्थाई ठिकाना बना चुके हैं. ये सभी हाथी अब एक साथ न घूम अलग-अलग झुंड बनाकर जंगलों में चहलकदमी कर रहे हैं. पिछले 4 से 5 दिनों में बहराल और बातामंडी वन बीट में दो अलग-अलग जगहों पर 3-3 हाथियों की टोलियां क्षेत्र में उत्पात मचा चुकी है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 2024 में पहली बार प्रोजेक्ट एलीफेंट राज्य के रूप में भी नामित किया जा चुका है. इस योजना के तहत हाथियों से लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर कई कारगर कदम भी उठाए जा रहे हैं.

"यह सही है कि यहां के जंगलों को 14 से 15 हाथियों ने अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है, जो पिछले करीब एक साल से वापस उत्तराखंड का रुख नहीं कर रहे हैं. साथ ही ये अलग-अलग झुंड में घूम रहे हैं. प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत सुरक्षा के मद्देनजर कई कदम उठाए जा रहे हैं. गज गौशाला के माध्यम से अलग-अलग ब्लॉक के व्हाट्सएप समूह भी बनाए गए हैं, जिसमें वन कर्मियों के साथ लोगों को जोड़ा गया है, ताकि सूचना का आदान-प्रदान तुरंत हो सके." - ऐश्वर्य राज, डीएफओ, वन मंडल पांवटा साहिब

स्थाई आशियाना बनाने का ये बड़ा कारण

डीएफओ वन मंडल पांवटा साहिब ऐश्वर्य राज ने बताया कि हाथियों का यहां स्थाई आशियाना बनाने का एक बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि उत्तराखंड के राजा जी नेशनल पार्क की तर्ज पर पांवटा साहिब के जंगलों में भी हाथियों को अनुकूल वातावरण मिल रहा है. दूसरा हाथियों को शराब की गंध आकर्षित करती है और यह जगजाहिर है कि पांवटा साहिब के जंगलों में अवैध रूप से कच्ची शराब भी तैयार की जाती है, जिसका पुलिस और वन विभाग समय-समय पर खुलासा भी करते आ रहे हैं.

Elephants in Forest Division Paonta Sahib
फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हाथी (ETV Bharat)

हाथियों के आगमन पर क्या करें?

  • हाथी आने की सूचना निकटवर्ती वन कर्मचारी को तुरंत दें.
  • सभी घरों के बाहर पर्याप्त रोशनी करके रखें, ताकि हाथी की दस्तक से पहले ही दूर से पता चल सके.
  • हाथी से सामना होने की सूरत में ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाकर रखें.
  • पहाड़ी स्थानों पर सामना होने की स्थिति में पहाड़ी की ढलान की ओर दौड़े, न की ऊपर की तरफ.
  • हाथी ढलान में तेज गति से नहीं उतर सकता. जबकि चढ़ाई चढ़ने में वह दक्ष होता है.
  • वन विभाग के बताए गए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करें.
  • जन-धन हानि होने की सूरत में बदले की भावना से प्रेरित होकर हाथियों के पास न जाएं.
  • हाथी विचरण क्षेत्र में अपने गांवों के वृद्ध, अपाहिज व छोटे बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखें.

इन बातों का रखें ख्याल, भूल कर भी न करें ये काम

  • हाथी दिखने पर किसी भी प्रकार का शोरगुल न करें और उस क्षेत्र को तुरंत छोड़ दें.
  • सेल्फी एवं फोटो लेने की उत्सुकता से उनके नजदीक बिल्कुल भी न जाएं. यह कदम प्राणघातक साबित हो सकता है.
  • फसल लगे खेतों में होने की स्थिति में उन्हें खदेड़ने हेतु उनके पास न जाएं.
  • गुलेल, तीर, मशाल व पत्थरों से बिल्कुल न मारें. इससे यह आक्रामक हो सकते हैं.
  • शौच के लिए खुले खेत व जंगल में लगे स्थानों पर न जाएं.
  • हाथी विचरण क्षेत्रों में देशी शराब व महुआ से बनी शराब न बनाएं और न ही उसका भंडारण करें.
  • हाथियों को शराब की गंध आकर्षित करती है.
  • विचरण क्षेत्रों में तेंदूपत्ता, फुटु, बांस के संग्रहण के लिए एवं मवेशी चराने भी न जाएं.

काफी हद तक जागरूक हो चुके लोग

हालांकि वन विभाग आबादी वाले इलाकों में हाथियों की मूवमेंट को रोकने के इरादे से हर संभव कारगर कदम उठा रहा हैं, लेकिन अब भी कुछ इलाकों में हाथी खेत-खलियानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जो लोगों के लिए अब भी चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि लोग काफी हद तक अब इस दिशा में जागरूक भी हो चुके हैं, लेकिन जंगलों के आसपास ढेरा जमाने वाले भेड़ पालकों व गुज्जरों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.

Elephants in Forest Division Paonta Sahib
प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत उठाए जा रहे कई कदम (ETV Bharat)

प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत उठाए जा रहे ये कदम

प्रोजेक्ट एलीफेंट हिमाचल प्रदेश के तहत माजरा और गिरिनगर में पायलट आधार पर कई प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (एनाइडर) सिस्टम लगाए जा चुके हैं और कई लगाने जाने प्रस्तावित है. इसके कारगर परिणाम भी सामने आ रहे हैं. इसके अलावा हाथियों की आवाजाही वाले मार्गों पर समुदायों के साथ जागरुकता बैठकें, हाथियों के आक्रमण पर नियंत्रण के लिए वन गश्ती दल, स्थानीय समुदायों से गज मित्र की तैनाती, फील्ड स्टाफ के लिए वर्दी और महत्वपूर्ण उपकरण समुदायों के लिए मधुमक्खी पालन/मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वहीं, अलर्ट के लिए एसएमएस आधारित मोबाइल एप्लीकेशन, हाथी ट्रैकिंग-जीपीएस और कैमरा ट्रैप, साइनेज और पोस्टर-सड़कें और सीमांत वन क्षेत्र, विशेषज्ञों और शिक्षण दौरों के साथ फील्ड स्टाफ के लिए प्रशिक्षण आदि जैसी कई गतिविधियां चलाई गई हैं.

ये भी पढ़ें: पांवटा साहिब घाटी में हाथियों ने फिर मचाया उत्पात, किसानों की फसलें की बर्बाद

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश में एक ऐसी जगह है, जो हाथियों को एक लंबे समय से रास आ रही है, लेकिन अहम बात ये है कि कुछ हाथियों ने यहां अपना स्थाई रूप से ठिकाना बना लिया है. जो पिछले करीब 1 साल से यहां से वापस नहीं लौटे हैं और इन्हें यहां के जंगल खूब भा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा पर स्थित जिला सिरमौर के पांवटा साहिब घाटी की. यहां के जंगलों में ये हाथी टहल रहे हैं.

पांवटा साहिब की घाटियां बनी हाथियों का निवास

दरअसल वन मंडल पांवटा साहिब के तहत आने वाले जंगल हाथियों को खूब पसंद आ रहे हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करीब 14 से 15 हाथियों ने पांवटा साहिब घाटी के जंगलों को ही अपना स्थाई घर बना लिया है. पिछले एक वर्ष से इन हाथियों ने उत्तराखंड का रुख नहीं किया है, बल्कि अब ये हाथी स्थायी रूप से यहीं के जंगलों में घूम रहे हैं. इससे पहले उत्तराखंड से पांवटा साहिब और पांवटा साहिब से उत्तराखंड में हाथियों का आवागमन होता रहता था.

अलग-अलग झुंड बनाकर घूम रहे हाथी

दरअसल पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से हिमाचल की सीमा में पांवटा साहिब के जंगलों में हाथियों के आने का सिलसिला पिछले करीब 2-3 दशक से चला आ रहा है, लेकिन पिछले 2-3 सालों में यहां हाथियों की मूवमेंट ज्यादा हो रही है. अब खास बात ये है कि इनमें से 14-15 हाथी यही के जंगलों में अपना स्थाई ठिकाना बना चुके हैं. ये सभी हाथी अब एक साथ न घूम अलग-अलग झुंड बनाकर जंगलों में चहलकदमी कर रहे हैं. पिछले 4 से 5 दिनों में बहराल और बातामंडी वन बीट में दो अलग-अलग जगहों पर 3-3 हाथियों की टोलियां क्षेत्र में उत्पात मचा चुकी है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 2024 में पहली बार प्रोजेक्ट एलीफेंट राज्य के रूप में भी नामित किया जा चुका है. इस योजना के तहत हाथियों से लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर कई कारगर कदम भी उठाए जा रहे हैं.

"यह सही है कि यहां के जंगलों को 14 से 15 हाथियों ने अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है, जो पिछले करीब एक साल से वापस उत्तराखंड का रुख नहीं कर रहे हैं. साथ ही ये अलग-अलग झुंड में घूम रहे हैं. प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत सुरक्षा के मद्देनजर कई कदम उठाए जा रहे हैं. गज गौशाला के माध्यम से अलग-अलग ब्लॉक के व्हाट्सएप समूह भी बनाए गए हैं, जिसमें वन कर्मियों के साथ लोगों को जोड़ा गया है, ताकि सूचना का आदान-प्रदान तुरंत हो सके." - ऐश्वर्य राज, डीएफओ, वन मंडल पांवटा साहिब

स्थाई आशियाना बनाने का ये बड़ा कारण

डीएफओ वन मंडल पांवटा साहिब ऐश्वर्य राज ने बताया कि हाथियों का यहां स्थाई आशियाना बनाने का एक बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि उत्तराखंड के राजा जी नेशनल पार्क की तर्ज पर पांवटा साहिब के जंगलों में भी हाथियों को अनुकूल वातावरण मिल रहा है. दूसरा हाथियों को शराब की गंध आकर्षित करती है और यह जगजाहिर है कि पांवटा साहिब के जंगलों में अवैध रूप से कच्ची शराब भी तैयार की जाती है, जिसका पुलिस और वन विभाग समय-समय पर खुलासा भी करते आ रहे हैं.

Elephants in Forest Division Paonta Sahib
फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हाथी (ETV Bharat)

हाथियों के आगमन पर क्या करें?

  • हाथी आने की सूचना निकटवर्ती वन कर्मचारी को तुरंत दें.
  • सभी घरों के बाहर पर्याप्त रोशनी करके रखें, ताकि हाथी की दस्तक से पहले ही दूर से पता चल सके.
  • हाथी से सामना होने की सूरत में ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाकर रखें.
  • पहाड़ी स्थानों पर सामना होने की स्थिति में पहाड़ी की ढलान की ओर दौड़े, न की ऊपर की तरफ.
  • हाथी ढलान में तेज गति से नहीं उतर सकता. जबकि चढ़ाई चढ़ने में वह दक्ष होता है.
  • वन विभाग के बताए गए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करें.
  • जन-धन हानि होने की सूरत में बदले की भावना से प्रेरित होकर हाथियों के पास न जाएं.
  • हाथी विचरण क्षेत्र में अपने गांवों के वृद्ध, अपाहिज व छोटे बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखें.

इन बातों का रखें ख्याल, भूल कर भी न करें ये काम

  • हाथी दिखने पर किसी भी प्रकार का शोरगुल न करें और उस क्षेत्र को तुरंत छोड़ दें.
  • सेल्फी एवं फोटो लेने की उत्सुकता से उनके नजदीक बिल्कुल भी न जाएं. यह कदम प्राणघातक साबित हो सकता है.
  • फसल लगे खेतों में होने की स्थिति में उन्हें खदेड़ने हेतु उनके पास न जाएं.
  • गुलेल, तीर, मशाल व पत्थरों से बिल्कुल न मारें. इससे यह आक्रामक हो सकते हैं.
  • शौच के लिए खुले खेत व जंगल में लगे स्थानों पर न जाएं.
  • हाथी विचरण क्षेत्रों में देशी शराब व महुआ से बनी शराब न बनाएं और न ही उसका भंडारण करें.
  • हाथियों को शराब की गंध आकर्षित करती है.
  • विचरण क्षेत्रों में तेंदूपत्ता, फुटु, बांस के संग्रहण के लिए एवं मवेशी चराने भी न जाएं.

काफी हद तक जागरूक हो चुके लोग

हालांकि वन विभाग आबादी वाले इलाकों में हाथियों की मूवमेंट को रोकने के इरादे से हर संभव कारगर कदम उठा रहा हैं, लेकिन अब भी कुछ इलाकों में हाथी खेत-खलियानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जो लोगों के लिए अब भी चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि लोग काफी हद तक अब इस दिशा में जागरूक भी हो चुके हैं, लेकिन जंगलों के आसपास ढेरा जमाने वाले भेड़ पालकों व गुज्जरों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.

Elephants in Forest Division Paonta Sahib
प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत उठाए जा रहे कई कदम (ETV Bharat)

प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत उठाए जा रहे ये कदम

प्रोजेक्ट एलीफेंट हिमाचल प्रदेश के तहत माजरा और गिरिनगर में पायलट आधार पर कई प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (एनाइडर) सिस्टम लगाए जा चुके हैं और कई लगाने जाने प्रस्तावित है. इसके कारगर परिणाम भी सामने आ रहे हैं. इसके अलावा हाथियों की आवाजाही वाले मार्गों पर समुदायों के साथ जागरुकता बैठकें, हाथियों के आक्रमण पर नियंत्रण के लिए वन गश्ती दल, स्थानीय समुदायों से गज मित्र की तैनाती, फील्ड स्टाफ के लिए वर्दी और महत्वपूर्ण उपकरण समुदायों के लिए मधुमक्खी पालन/मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वहीं, अलर्ट के लिए एसएमएस आधारित मोबाइल एप्लीकेशन, हाथी ट्रैकिंग-जीपीएस और कैमरा ट्रैप, साइनेज और पोस्टर-सड़कें और सीमांत वन क्षेत्र, विशेषज्ञों और शिक्षण दौरों के साथ फील्ड स्टाफ के लिए प्रशिक्षण आदि जैसी कई गतिविधियां चलाई गई हैं.

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