लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन पूर्वांचल और दक्षिणांचल के 42 जिलों का निजीकरण करने की दिशा में आगे कदम बढ़ा रहा है. वहीं बिजली विभाग के कर्मचारी प्रबंधन के इस फैसले से नाराज होकर काम से ही अपने कदम पीछे खींचने लगे हैं. बिजली कर्मचारियों के कदम अब जनसभा, रैली से लेकर आंदोलन और हड़ताल तक के लिए आगे बढ़ रहे हैं.
बुधवार को राणा प्रताप मार्ग स्थित फील्ड हॉस्टल कार्यालय पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे के नेतृत्व में बड़ी जनसभा हुई. प्रदेश भर से हजारों की संख्या में बिजली से जुड़े तमाम संगठनों के बैनर तले कर्मचारी यहां पर पहुंचे. उन्होंने निजीकरण के फैसले को लेकर विरोध जताया. जनसभा के बाद फील्ड हॉस्टल से शक्ति भवन तक रैली निकालने के लिए भी हजारों की संख्या में कर्मचारी आगे बढ़े.
बड़ी संख्या में तैनात पुलिसबल ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोकने का भरपूर प्रयास किया. इस दौरान बिजली कर्मियों और पुलिस कर्मियों के बीच नोक झोंक भी हुई. बड़ी तादाद में जमा हुए बिजली कर्मियों की रैली और जनसभा के चलते हजरतगंज का पूरा क्षेत्र ही जाम हो गया.
बिजली संगठनों के पदाधिकारी लखनऊ पहुंचे : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की तरफ से पहले से ही नौ अप्रैल को घोषित जनसभा और रैली में शामिल होने के लिए प्रदेश भर से बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारी पहुंचे. खासकर पूर्वांचल और दक्षिणांचल के उन जिलों के संविदा कर्मी पूरे जोश और उत्साह के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लेना पहुंचे जहां पर निजीकरण का खतरा मंडरा रहा है.
समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि प्रबंधन निजीकरण करने पर आमादा है जबकि बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण नहीं चाहते हैं. आज हमने जनसभा और रैली का कार्यक्रम रखा है. अगर प्रबंधन झुकता है तो ठीक, नहीं तो आगे बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी. आज उत्तर प्रदेश ही नहीं देशभर से बिजली संगठनों के पदाधिकारी लखनऊ पहुंचे हैं. निजीकरण को लेकर किस तरह से आगे विरोध करना है उस पर मंथन किया गया है.
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संगठन के पदाधिकारी अमिताभ सिन्हा का कहना है कि 125 दिन से आंदोलन चल रहा है लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है. अभी शक्ति भवन की तरफ कूच कर रहे हैं. फिर वापस यहां आएंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे. निजीकरण करके पावर कॉरपोरेशन एक बार फिर उत्तर प्रदेश को लालटेन युग में ले जाने का प्रयास कर रहा है. निजीकरण हुआ तो बड़ी संख्या में बिजली कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे.
निजीकरण हमें किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है. मरते दम तक निजीकरण का विरोध किया जाएगा किसी कीमत पर हम निजीकरण होने नहीं देंगे. संगठन के पदाधिकारी माया शंकर तिवारी का कहना है कि पहले भी हमने निजीकरण को लेकर आंदोलन किया और प्रबंधन को झुकने पर मजबूर किया. इस बार भी हम निजीकरण नहीं होने देंगे. हरहाल में सरकार और प्रबंधन को झुकना ही पड़ेगा.
ऊर्जा मंत्री और अध्यक्ष के खिलाफ लगे नारे : उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा और पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ आशीष गोयल के खिलाफ कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की. संयोजक शैलेंद्र दुबे ने पहले ही सभी को दिशा निर्देश दे दिए थे कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जिंदाबाद के नारे लगाने हैं और ऊर्जा मंत्री और अध्यक्ष के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए जाएंगे. उनके निर्देश के बाद कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे हजारों की संख्या में कर्मचारियों ने ऊर्जा मंत्री और अध्यक्ष के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए.
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