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शोपीस बना इलेक्ट्रिक शवदाह गृह, दिसंबर 2023 से अभी तक 410 शवों का हुआ दाह संस्कार - ELECTRIC CREMATION IN HALDWANI

हल्द्वानी में जागरूकता के अभाव में लोग इलेक्ट्रिक की जगह पारंपरिक तरीके से शवदाह संस्कार कर रहे हैं.

Haldwani Electric Crematorium
हल्द्वानी रानीबाग में इलेक्ट्रिक शवदाहगृह बना शोपीस (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 2, 2025 at 1:07 PM IST

3 Min Read

हल्द्वानी: सरकार वायु और जल प्रदूषण रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान के साथ ही दाह संस्कार के लिए इलेक्ट्रिक शवदाह गृह पर जोर दे रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी दाह संस्कार इलेक्ट्रिक शवदाह गृह से करने के आदेश दिए हैं. इसके बावजूद भी रानीबाग में लोग पारंपरिक तरीके से ही अपनों का दाह संस्कार कर रहे हैं. जिससे इलेक्ट्रिक शवदाह गृह शोपीस बना हुआ है.

पारंपरिक तरीके से शवदाह संस्कार करते हैं लोग: बात कुमाऊं के सबसे बड़े हल्द्वानी शहर की करें तो रानीबाग स्थित चित्रकला घाट पर रोजाना 12 से 15 मृत शरीर अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. लेकिन लोग इलेक्ट्रिक शवदाह गृह से अंतिम संस्कार करने के बजाय पारंपरिक तरीके (लकड़ी से) अंतिम संस्कार कर रहे हैं. जिसके चलते गार्गी नदी लगातार दूषित हो रही है. यही नहीं धुएं के चलते वायु प्रदूषण भी फैल रहा है.

इलेक्ट्रिक शवदाह गृह के लिए लोगों को करना होगा जागरूक (Video-ETV Bharat)

हल्द्वानी नगर निगम ने आम जनमानस की वर्षों की मांग पर रानीबाग में करीब 3 करोड़ों की लागत से विद्युत शवदाह गृह बनाया है. लेकिन लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में नहीं करवा रहे हैं. वो लकड़ी के माध्यम से अंतिम संस्कार नदी के किनारे कर रहे हैं. जिसके चलते जलवायु और पर्यावरण हो रहा है. नगर निगम की ओर से विद्युत शव दाह निशुल्क करने के बावजूद लोग इससे हिचक रहे हैं.
बीसी भट्ट, वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता

Haldwani Electric Crematorium
पारंपरिक तरीके से शवदाह कर रहे लोग (Haldwani Electric Crematorium)

करोड़ों की लागत से बना इलेक्ट्रिक शवदाह गृह: पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता बीसी भट्ट का कहना है कि शहरों की बढ़ती आबादी और घटते जंगल इस बात के लिए आगाह कर रहे हैं कि हमें परंपरागत साधनों के साथ बिजली और गैस आधारित शवदाह गृहों को अपनाने की आवश्यकता है. रानीबाग स्थित विद्युत शवदाह गृह को बने एक साल से अधिक समय हो गया, लेकिन जागरूकता के भाव में केवल लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. जबकि, आम आदमी अपने परिजनों का अंतिम संस्कार लकड़ी से कर रहे हैं. ऐसे में लोगों को चाहिए कि नदी को दूषित होने से बचाने के लिए अंतिम दाह संस्कार विद्युत शवदाह गृह में कराना चाहिए.

लोगों से अपील की गई है कि अंतिम संस्कार लकड़ी के बजाय इलेक्ट्रिक शवदाह गृह से करें. जिससे प्रदूषण को रोका जा सके. विद्युत शवदाह गृह बनने के बाद दिसंबर 2023 से अभी तक 410 शवों का ही अंतिम संस्कार हुआ है.
गजराज सिंह बिष्ट, मेयर

Haldwani Electric Crematorium
हल्द्वानी रानीबाग विद्युत शवदाह गृह (Haldwani Electric Crematorium)

लोगों को करना होगा जागरूक: जाहिर तौर पर नगर निगम व प्रशासन को विद्युत शवदाह गृह के लिए लोगों को जागरूक करना होगा. जिससे लोग अपने सगे संबंधियों का इलेक्ट्रिक तरीके से दाह संस्कार के लिए आगे आ सके.

पढ़ें-

हल्द्वानी: सरकार वायु और जल प्रदूषण रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान के साथ ही दाह संस्कार के लिए इलेक्ट्रिक शवदाह गृह पर जोर दे रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी दाह संस्कार इलेक्ट्रिक शवदाह गृह से करने के आदेश दिए हैं. इसके बावजूद भी रानीबाग में लोग पारंपरिक तरीके से ही अपनों का दाह संस्कार कर रहे हैं. जिससे इलेक्ट्रिक शवदाह गृह शोपीस बना हुआ है.

पारंपरिक तरीके से शवदाह संस्कार करते हैं लोग: बात कुमाऊं के सबसे बड़े हल्द्वानी शहर की करें तो रानीबाग स्थित चित्रकला घाट पर रोजाना 12 से 15 मृत शरीर अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. लेकिन लोग इलेक्ट्रिक शवदाह गृह से अंतिम संस्कार करने के बजाय पारंपरिक तरीके (लकड़ी से) अंतिम संस्कार कर रहे हैं. जिसके चलते गार्गी नदी लगातार दूषित हो रही है. यही नहीं धुएं के चलते वायु प्रदूषण भी फैल रहा है.

इलेक्ट्रिक शवदाह गृह के लिए लोगों को करना होगा जागरूक (Video-ETV Bharat)

हल्द्वानी नगर निगम ने आम जनमानस की वर्षों की मांग पर रानीबाग में करीब 3 करोड़ों की लागत से विद्युत शवदाह गृह बनाया है. लेकिन लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में नहीं करवा रहे हैं. वो लकड़ी के माध्यम से अंतिम संस्कार नदी के किनारे कर रहे हैं. जिसके चलते जलवायु और पर्यावरण हो रहा है. नगर निगम की ओर से विद्युत शव दाह निशुल्क करने के बावजूद लोग इससे हिचक रहे हैं.
बीसी भट्ट, वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता

Haldwani Electric Crematorium
पारंपरिक तरीके से शवदाह कर रहे लोग (Haldwani Electric Crematorium)

करोड़ों की लागत से बना इलेक्ट्रिक शवदाह गृह: पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता बीसी भट्ट का कहना है कि शहरों की बढ़ती आबादी और घटते जंगल इस बात के लिए आगाह कर रहे हैं कि हमें परंपरागत साधनों के साथ बिजली और गैस आधारित शवदाह गृहों को अपनाने की आवश्यकता है. रानीबाग स्थित विद्युत शवदाह गृह को बने एक साल से अधिक समय हो गया, लेकिन जागरूकता के भाव में केवल लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. जबकि, आम आदमी अपने परिजनों का अंतिम संस्कार लकड़ी से कर रहे हैं. ऐसे में लोगों को चाहिए कि नदी को दूषित होने से बचाने के लिए अंतिम दाह संस्कार विद्युत शवदाह गृह में कराना चाहिए.

लोगों से अपील की गई है कि अंतिम संस्कार लकड़ी के बजाय इलेक्ट्रिक शवदाह गृह से करें. जिससे प्रदूषण को रोका जा सके. विद्युत शवदाह गृह बनने के बाद दिसंबर 2023 से अभी तक 410 शवों का ही अंतिम संस्कार हुआ है.
गजराज सिंह बिष्ट, मेयर

Haldwani Electric Crematorium
हल्द्वानी रानीबाग विद्युत शवदाह गृह (Haldwani Electric Crematorium)

लोगों को करना होगा जागरूक: जाहिर तौर पर नगर निगम व प्रशासन को विद्युत शवदाह गृह के लिए लोगों को जागरूक करना होगा. जिससे लोग अपने सगे संबंधियों का इलेक्ट्रिक तरीके से दाह संस्कार के लिए आगे आ सके.

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