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हिमाचल में 20 चुनाव चिन्ह पर मोहर लगाकर चुने जाएंगे प्रधान, पंचायत सदस्यों से लेकर जिला परिषद सदस्यों को 115 चुनाव चिन्ह अधिसूचित - HIMACHAL PANCHAYAT ELECTION 2025

हिमाचल में प्रधान, पंचायत सदस्यों और जिला परिषद सदस्यों को 115 चुनाव चिन्ह अधिसूचित किया गया है.

हिमाचल पंचायतीराज चुनाव 2025
हिमाचल पंचायतीराज चुनाव 2025 (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 25, 2025 at 2:01 PM IST

8 Min Read

शिमला: हिमाचल अब पंचायतीराज संस्थाओं के लिए होने वाले चुनाव की दिशा में आगे बढ़ रहा है. प्रदेश में इसी साल दिसंबर महीने में पंचायतीराज संस्थाओं के लिए चुनाव होने है. ऐसे में अब इन चुनाव के लिए अब करीब 6 महीने का समय शेष बचा है, जिसके लिए पंचायतीराज चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों ने गांव में अपनी रिश्तेदारी निकालकर जन संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया है.

वहीं, प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं के समय पर चुनाव कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग से भी अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिसके लिए पंचायतों में वार्ड सदस्यों से लेकर जिला परिषद सदस्यों के लिए 115 चुनाव चिन्ह अधिसूचित कर दिए है. पंचायतीराज संस्थाओं के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होते ही इन चुनाव चिन्ह को उम्मीदवारों को आवंटित किया जाएगा.

एक-एक पद के लिए कई उम्मीदवार जताते हैं दावेदारी

प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं के लिए होने वाले चुनाव को लेकर लोगों की सबसे अधिक दिलचस्पी रहती है. इसलिए लोगों में इन चुनाव को लेकर इंतजार रहता है. प्रदेश में अब 6 महीने बाद पंचायतीराज संस्थाओं के लिए चुनाव होने है. ऐसे इन चुनाव को लेकर अब सियासी हलचल शुरू हो गई है. वहीं, राज्य चुनाव आयोग ने भी पंचायत के वार्ड सदस्यों से लेकर जिला परिषद सदस्यों के लिए 20-20 चुनाव अधिसूचित किए हैं. लेकिन उम्मीदवारों की संख्या अधिक होने पर 15 अतिरिक्त चुनाव चिन्ह भी साथ ही में अधिसूचित किए गए हैं.

इन चुनाव चिन्ह पर चुने जाएंगे वार्ड सदस्य

हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा वार्ड सदस्यों पद के लिए चुनाव होता है. जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने कुल 20 चुनाव चिन्ह निर्धारित किए हैं. इसमें आम, लेटर बॉक्स, सिलाई मशीन, मेज, ट्रैक्टर, प्रेशर कुकर, चांद, बिजली का बल्ब, गुड़िया, अलमारी, कैमरा, बेंच, दो तबले, नाचती गुड़िया, ठेला गाड़ी, सब्जी की टोकरी, सारंगी, श्याम पट्ट, फसल काटता किसान व मशाल शामिल हैं.

टेलीविजन सहित इन चुनाव चिन्हों पर चुने जाएंगे उपप्रधान

हिमाचल प्रदेश में उपप्रधान के लिए भी एक पद के लिए औसतन 5 से 7 उम्मीदवार खड़े होते हैं. इसके लिए चुनाव चिन्ह तय किए गए हैं. जिसमें टेलीविजन, तारा, बस, पिलर हीटर, गैस सिलेंडर, नाव, पुस्तक, हैट, शीशे का गिलास, बल्लेबाज, बांसुरी, केतली, दरवाजा, बिजली का खंभा, मक्की, कांटा, फ्राई पैन, कीबोर्ड, अनाज पिछोरता हुआ किसान व हेलमेट पर मोहर लगाकर उपप्रधान चुने जाएंगे.

प्रधान पद के निर्वाचन के लिए 20 चुनाव चिह्न

पंचायतीराज संस्थाओं के लिए प्रधान पद के लिए लोगों की सबसे अधिक रुचि रहती है. इसलिए इस पद के लिए सबसे अधिक दावेदारी जताई जाती है. आगामी समय में होने वाले पंचायतीराज संस्थाओं के लिए प्रधान पद के लिए हाथ की घड़ी, धनुष बाण, गैस का चूल्हा, गाजर, जग, समुद्री जहाज, रेल का इंजन, नारियल का पेड़, टेबल लैंप, ट्रक, पुल, कंघी, किला, गोंद की बोतल, हारमोनियम, दीवार घड़ी, रोड रोलर, ईंट, लिफाफा व अंगूर चुनाव चिन्ह अधिसूचित किए गए हैं.

BDC के लिए इन चुनाव चिन्ह पद लगेगी मोहर

हिमाचल प्रदेश में 91 BDC सदस्य चुने जाने हैं। जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव चिन्ह अधिसूचित किए हैं. इसमें सेब, चढ़ता सूरज, रेडियो, बल्ला, सीढ़ी, कार, कुर्सी, पतंग, वायुयान, छत का पंखा, नगाड़ा, मोमबत्ती, हॉकी और गेंद, शीशे का मर्तवान, ग्लोब, चम्मच, तरबूज, गुब्बारा, फावड़ा व मैच बॉक्स पर मोहर लगाकर BDC का चुनाव होगा.

जिला परिषद पद के लिए इतने चुनाव चिह्न

प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं के लिए सबसे अधिक संख्या में जिला परिषद सदस्यों के लिए होता है. जिला परिषद वार्ड के तहत कई पंचायतें पड़ती है. वहीं जिला परिषद सदस्य के लिए ताला और चाबी, मेज का पंखा, छाता, जीप, कप प्लेट, फुटबॉल, ढोलक, हैंडपंप, नाशपत्ती, संदूक, सिपाही, अंगूठी, मोटर साइकिल, सीटी, घंटी, कैंची, केला, पेंसिल, बाल्टी व हीरा चुनाव चिन्ह फाइनल किए गए हैं.

ये हैं अतिरिक्त चुनाव चिह्न

पंचायतीराज संस्थाओं के लिए अधिक उम्मीदवार होने की स्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग ने पहले ही 15 चुनाव चिन्ह अधिसूचित किए हैं. इसमें चारपाई, पेन, छड़ी, फूलों की टोकरी, फावड़ा और बेलचा, दो तलवारें और ढाल, खिड़की, ऊन, स्लेट, डोली, ब्रीफकेस, लेडी पर्स, फ्रॉक, ब्रशव नल शामिल हैं.

हिमाचल में 3,577 पंचायतें

हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल इस साल समाप्त हो रहा है. ऐसे में चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. वर्तमान में जिला परिषद के कुल वार्डों की संख्या 249 है, लेकिन सरकार ने एक नया जिला परिषद वार्ड बनाने की घोषणा की है. इससे अब जिला परिषद वार्डों की संख्या 250 हो जाएगी. इसके अलावा, 10 नए विकासखंड बनने से अब प्रदेश में विकास खंडों की कुल संख्या 91 हो गई है. हालांकि, नए नगर निगम और नगर पंचायतों के गठन के कारण कई पंचायतों को इनमें शामिल कर लिया गया है. परिणामस्वरूप, प्रदेश में पंचायतों की संख्या 3,616 से घटकर 3,577 रह गई है.

30 जून तक डिलिमिटेशन

हिमाचल प्रदेश राज्य चुनाव आयोग के आयुक्त अनिल कुमार खाची ने सरकार से 30 जून तक परिसीमन (डिलिमिटेशन) की प्रक्रिया पूरी करने का आग्रह किया है. इससे साल के अंत में प्रस्तावित पंचायती राज चुनावों की तैयारियां समय पर पूरी हो सकेगी. संभावना है कि दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में चुनाव की घोषणा हो सकती है. पिछली बार 21 दिसंबर, 2020 को चुनाव की घोषणा हुई थी, जिसके बाद 17, 19 और 21 जनवरी, 2021 को तीन चरणों में मतदान हुआ था.

प्रधान पद के लिए सबसे ज्यादा दावेदारी

हिमाचल में पंचायती राज चुनावों में लोगों की सबसे ज्यादा रुचि रहती है. आम जनता पंचायत प्रतिनिधियों को चुनने के लिए उत्साहपूर्वक हिस्सा लेती है. इन चुनावों को लेकर कई महीने पहले से ही सियासी हलचल शुरू हो जाती है. चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग पंचायत स्तर पर लोगों से संपर्क बढ़ाने में जुट जाते हैं. खासकर पंचायत का प्रधान और उपप्रधान बनना प्रतिष्ठा और प्रभाव का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि सबसे ज्यादा लोग इन पदों के लिए दावेदारी पेश करते हैं.

प्रधान का पद न केवल सम्मानजनक होता है, बल्कि इससे सामाजिक प्रभाव भी बढ़ता है. प्रधान को गांव के विकास कार्यों, योजनाओं और संसाधनों के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है, जिससे उसे निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त होता है. इसके अलावा, यह पद स्थानीय राजनीति में पहला कदम माना जाता है। कई लोग इसे विधायक या सांसद बनने की सीढ़ी के रूप में देखते हैं.

स्थानीय स्वशासन की इकाई है पंचायती राज व्यवस्था

भारत में पंचायती राज संस्थाओं को देश की सबसे छोटी संसद माना जाता है. ये भारत में स्थानीय स्वशासन की एक त्रिस्तरीय प्रणाली है. इसके तहत ग्राम पंचायत (गांव स्तर), पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर), और जिला परिषद (जिला स्तर) शामिल हैं. ये प्रणाली 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से स्थापित की गई थी और इसे 1992 में लागू किया गया था. हर पांच साल में पंचायती राज चुनाव करवाए जाते हैं.

कौन लड़ सकता है चुनाव?

ग्राम पंचायत के लिए प्रधान, उपप्रधान और वार्ड सदस्यों के चुनाव होते हैं. प्रधान और उपप्रधान का चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी जताने वाला व्यक्ति संबंधित पंचायत का वोटर होना जरूरी है. इसी तरह से संबंधित पंचायत का वोटर अपने वार्ड से सदस्य का चुनाव लड़ सकता है. पंचायत समिति का चुनाव लड़ने वाला दावेदार संबंधित ब्लॉक के तहत किसी भी पंचायत का वोटर होना चाहिए. जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए दावेदार उस जिला परिषद वार्ड का वोटर होना चाहिए.

पंचायतीराज संस्थाओं का चुनाव लड़ने किए उम्मीदवार की आयु 21 साल होनी चाहिए. पंचायतीराज संस्थाओं का वार्ड सदस्य, उप प्रधान, प्रधान, पंचायत समिति सदस्य व जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता का कोई मापदंड तय नहीं है. निरक्षर व्यक्ति भी पंचायतीराज संस्थाओं का चुनाव लड़ सकता है.

ये भी पढ़ें: सीएम सुक्खू ने पीएम मोदी से की मुलाकात, तुर्की से सेब आयात और अन्य मुद्दों पर की चर्चा

शिमला: हिमाचल अब पंचायतीराज संस्थाओं के लिए होने वाले चुनाव की दिशा में आगे बढ़ रहा है. प्रदेश में इसी साल दिसंबर महीने में पंचायतीराज संस्थाओं के लिए चुनाव होने है. ऐसे में अब इन चुनाव के लिए अब करीब 6 महीने का समय शेष बचा है, जिसके लिए पंचायतीराज चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों ने गांव में अपनी रिश्तेदारी निकालकर जन संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया है.

वहीं, प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं के समय पर चुनाव कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग से भी अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिसके लिए पंचायतों में वार्ड सदस्यों से लेकर जिला परिषद सदस्यों के लिए 115 चुनाव चिन्ह अधिसूचित कर दिए है. पंचायतीराज संस्थाओं के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होते ही इन चुनाव चिन्ह को उम्मीदवारों को आवंटित किया जाएगा.

एक-एक पद के लिए कई उम्मीदवार जताते हैं दावेदारी

प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं के लिए होने वाले चुनाव को लेकर लोगों की सबसे अधिक दिलचस्पी रहती है. इसलिए लोगों में इन चुनाव को लेकर इंतजार रहता है. प्रदेश में अब 6 महीने बाद पंचायतीराज संस्थाओं के लिए चुनाव होने है. ऐसे इन चुनाव को लेकर अब सियासी हलचल शुरू हो गई है. वहीं, राज्य चुनाव आयोग ने भी पंचायत के वार्ड सदस्यों से लेकर जिला परिषद सदस्यों के लिए 20-20 चुनाव अधिसूचित किए हैं. लेकिन उम्मीदवारों की संख्या अधिक होने पर 15 अतिरिक्त चुनाव चिन्ह भी साथ ही में अधिसूचित किए गए हैं.

इन चुनाव चिन्ह पर चुने जाएंगे वार्ड सदस्य

हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा वार्ड सदस्यों पद के लिए चुनाव होता है. जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने कुल 20 चुनाव चिन्ह निर्धारित किए हैं. इसमें आम, लेटर बॉक्स, सिलाई मशीन, मेज, ट्रैक्टर, प्रेशर कुकर, चांद, बिजली का बल्ब, गुड़िया, अलमारी, कैमरा, बेंच, दो तबले, नाचती गुड़िया, ठेला गाड़ी, सब्जी की टोकरी, सारंगी, श्याम पट्ट, फसल काटता किसान व मशाल शामिल हैं.

टेलीविजन सहित इन चुनाव चिन्हों पर चुने जाएंगे उपप्रधान

हिमाचल प्रदेश में उपप्रधान के लिए भी एक पद के लिए औसतन 5 से 7 उम्मीदवार खड़े होते हैं. इसके लिए चुनाव चिन्ह तय किए गए हैं. जिसमें टेलीविजन, तारा, बस, पिलर हीटर, गैस सिलेंडर, नाव, पुस्तक, हैट, शीशे का गिलास, बल्लेबाज, बांसुरी, केतली, दरवाजा, बिजली का खंभा, मक्की, कांटा, फ्राई पैन, कीबोर्ड, अनाज पिछोरता हुआ किसान व हेलमेट पर मोहर लगाकर उपप्रधान चुने जाएंगे.

प्रधान पद के निर्वाचन के लिए 20 चुनाव चिह्न

पंचायतीराज संस्थाओं के लिए प्रधान पद के लिए लोगों की सबसे अधिक रुचि रहती है. इसलिए इस पद के लिए सबसे अधिक दावेदारी जताई जाती है. आगामी समय में होने वाले पंचायतीराज संस्थाओं के लिए प्रधान पद के लिए हाथ की घड़ी, धनुष बाण, गैस का चूल्हा, गाजर, जग, समुद्री जहाज, रेल का इंजन, नारियल का पेड़, टेबल लैंप, ट्रक, पुल, कंघी, किला, गोंद की बोतल, हारमोनियम, दीवार घड़ी, रोड रोलर, ईंट, लिफाफा व अंगूर चुनाव चिन्ह अधिसूचित किए गए हैं.

BDC के लिए इन चुनाव चिन्ह पद लगेगी मोहर

हिमाचल प्रदेश में 91 BDC सदस्य चुने जाने हैं। जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव चिन्ह अधिसूचित किए हैं. इसमें सेब, चढ़ता सूरज, रेडियो, बल्ला, सीढ़ी, कार, कुर्सी, पतंग, वायुयान, छत का पंखा, नगाड़ा, मोमबत्ती, हॉकी और गेंद, शीशे का मर्तवान, ग्लोब, चम्मच, तरबूज, गुब्बारा, फावड़ा व मैच बॉक्स पर मोहर लगाकर BDC का चुनाव होगा.

जिला परिषद पद के लिए इतने चुनाव चिह्न

प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं के लिए सबसे अधिक संख्या में जिला परिषद सदस्यों के लिए होता है. जिला परिषद वार्ड के तहत कई पंचायतें पड़ती है. वहीं जिला परिषद सदस्य के लिए ताला और चाबी, मेज का पंखा, छाता, जीप, कप प्लेट, फुटबॉल, ढोलक, हैंडपंप, नाशपत्ती, संदूक, सिपाही, अंगूठी, मोटर साइकिल, सीटी, घंटी, कैंची, केला, पेंसिल, बाल्टी व हीरा चुनाव चिन्ह फाइनल किए गए हैं.

ये हैं अतिरिक्त चुनाव चिह्न

पंचायतीराज संस्थाओं के लिए अधिक उम्मीदवार होने की स्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग ने पहले ही 15 चुनाव चिन्ह अधिसूचित किए हैं. इसमें चारपाई, पेन, छड़ी, फूलों की टोकरी, फावड़ा और बेलचा, दो तलवारें और ढाल, खिड़की, ऊन, स्लेट, डोली, ब्रीफकेस, लेडी पर्स, फ्रॉक, ब्रशव नल शामिल हैं.

हिमाचल में 3,577 पंचायतें

हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल इस साल समाप्त हो रहा है. ऐसे में चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. वर्तमान में जिला परिषद के कुल वार्डों की संख्या 249 है, लेकिन सरकार ने एक नया जिला परिषद वार्ड बनाने की घोषणा की है. इससे अब जिला परिषद वार्डों की संख्या 250 हो जाएगी. इसके अलावा, 10 नए विकासखंड बनने से अब प्रदेश में विकास खंडों की कुल संख्या 91 हो गई है. हालांकि, नए नगर निगम और नगर पंचायतों के गठन के कारण कई पंचायतों को इनमें शामिल कर लिया गया है. परिणामस्वरूप, प्रदेश में पंचायतों की संख्या 3,616 से घटकर 3,577 रह गई है.

30 जून तक डिलिमिटेशन

हिमाचल प्रदेश राज्य चुनाव आयोग के आयुक्त अनिल कुमार खाची ने सरकार से 30 जून तक परिसीमन (डिलिमिटेशन) की प्रक्रिया पूरी करने का आग्रह किया है. इससे साल के अंत में प्रस्तावित पंचायती राज चुनावों की तैयारियां समय पर पूरी हो सकेगी. संभावना है कि दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में चुनाव की घोषणा हो सकती है. पिछली बार 21 दिसंबर, 2020 को चुनाव की घोषणा हुई थी, जिसके बाद 17, 19 और 21 जनवरी, 2021 को तीन चरणों में मतदान हुआ था.

प्रधान पद के लिए सबसे ज्यादा दावेदारी

हिमाचल में पंचायती राज चुनावों में लोगों की सबसे ज्यादा रुचि रहती है. आम जनता पंचायत प्रतिनिधियों को चुनने के लिए उत्साहपूर्वक हिस्सा लेती है. इन चुनावों को लेकर कई महीने पहले से ही सियासी हलचल शुरू हो जाती है. चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग पंचायत स्तर पर लोगों से संपर्क बढ़ाने में जुट जाते हैं. खासकर पंचायत का प्रधान और उपप्रधान बनना प्रतिष्ठा और प्रभाव का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि सबसे ज्यादा लोग इन पदों के लिए दावेदारी पेश करते हैं.

प्रधान का पद न केवल सम्मानजनक होता है, बल्कि इससे सामाजिक प्रभाव भी बढ़ता है. प्रधान को गांव के विकास कार्यों, योजनाओं और संसाधनों के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है, जिससे उसे निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त होता है. इसके अलावा, यह पद स्थानीय राजनीति में पहला कदम माना जाता है। कई लोग इसे विधायक या सांसद बनने की सीढ़ी के रूप में देखते हैं.

स्थानीय स्वशासन की इकाई है पंचायती राज व्यवस्था

भारत में पंचायती राज संस्थाओं को देश की सबसे छोटी संसद माना जाता है. ये भारत में स्थानीय स्वशासन की एक त्रिस्तरीय प्रणाली है. इसके तहत ग्राम पंचायत (गांव स्तर), पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर), और जिला परिषद (जिला स्तर) शामिल हैं. ये प्रणाली 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से स्थापित की गई थी और इसे 1992 में लागू किया गया था. हर पांच साल में पंचायती राज चुनाव करवाए जाते हैं.

कौन लड़ सकता है चुनाव?

ग्राम पंचायत के लिए प्रधान, उपप्रधान और वार्ड सदस्यों के चुनाव होते हैं. प्रधान और उपप्रधान का चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी जताने वाला व्यक्ति संबंधित पंचायत का वोटर होना जरूरी है. इसी तरह से संबंधित पंचायत का वोटर अपने वार्ड से सदस्य का चुनाव लड़ सकता है. पंचायत समिति का चुनाव लड़ने वाला दावेदार संबंधित ब्लॉक के तहत किसी भी पंचायत का वोटर होना चाहिए. जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए दावेदार उस जिला परिषद वार्ड का वोटर होना चाहिए.

पंचायतीराज संस्थाओं का चुनाव लड़ने किए उम्मीदवार की आयु 21 साल होनी चाहिए. पंचायतीराज संस्थाओं का वार्ड सदस्य, उप प्रधान, प्रधान, पंचायत समिति सदस्य व जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता का कोई मापदंड तय नहीं है. निरक्षर व्यक्ति भी पंचायतीराज संस्थाओं का चुनाव लड़ सकता है.

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