लखनऊ : उम्र के जिस पड़ाव में लोग भगवान का नाम जपते हैं और अपने नाती-पोतों के साथ खेलने में अपना समय बिताते हैं. उस उम्र में शहर के कुछ लोग विश्वविद्यालय में युवाओं के साथ पढ़ने आ रहे हैं. रिटायरमेंट के बाद कोई अपने शौक को पूरा करने आ रहा है, तो कोई अपने अध्यात्म और मन की शांति के साथ धर्म की राह को खोजने और सीखने समझने के लिए पढ़ाई कर रहा है. कई बुजुर्ग कोर्स पूरा करने के बाद सेकंड इनिंग्स के साथ नए पेशे की शुरुआत करने की तैयारी कर रहे हैं. आज हम आपको ऐसे ही कुछ बुजुर्ग लोगों के बारे में बता रहे हैं जो अपने रिटायरमेंट के बाद न केवल विश्वविद्यालय में पढ़ने के अपने सपने को पूरा कर रहे हैं. बल्कि ऐसे विषय और भाषा की पढ़ाई कर रहे हैं जिसे आज दुनिया में लगभग भुला दिया गया है.
एमए पाली विषय में बुजुर्ग सबसे ज्यादा दिखा रहे हैं रुचि : राजधानी लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र में स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में 4 साल पहले मास्टर में इन पाली विषय की शुरूआत की गयी थी. तब विश्वविद्यालय प्रशासन को उम्मीद थी कि इस विषय को पढ़ने के लिए युवा अधिक रुचि दिखाएंगे. पर इस कोर्स में ज्यादातर अपनी जिंदगी की एक इनिंग पूरी कर चुके बुजुर्ग जो भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार के कई संस्थानों में कार्यरत रह चुके हैं. वह इस कोर्स में प्रवेश ले रहे हैं.
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय बौद्ध दर्शन एवं पाली विभाग एसोसिएट डायरेक्टर प्रोफेसर गुरचरण सिंह नेगी ने बताया कि जब हमने इस कोर्स की शुरुआत की थी तो हमें उम्मीद थी कि युवा इस कोर्स प्रवेश में दिलचस्पी दिखाएंगे. पर आज हालात यह है कि युवाओं के साथ-साथ समाज के वह बुजुर्ग जो अपनी नौकरी की सेवाएं पूरी कर चुके हैं. वह युवाओं की अपेक्षा ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं. यहां मास्टर इन पाली में पढ़ने वाले बुजुर्ग लोगों में जल विभाग बीएसएनल, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, आरडीएसओ, रेल मंत्रालय और विभिन्न विभागों में कार्यरत रह चुके लोग आज पढ़ रहे हैं.
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भगवान बुद्ध को जानने का एक माध्यम बन सकती है पाली भाषा : केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से एमए पाली की पढ़ाई कर रहे जल निगम से सेवानिवृत हुए बीआर अंबेडकर ने बताया कि जब मैं रिटायर्ड हुआ तो मेरे पास ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं था. मैं कुछ करने के लिए सोच रहा था. तब मैंने भगवान बुद्ध को जानने और उनके दिए उपदेशों को समझना के लिए किताबों की ओर रुख किया पर ज्यादातर किताबें हिंदी या अंग्रेजी भाषा में अनुवादित है. भगवान बुद्ध का जो मूल संदेश पाली भाषा में लिखा है उसे पढ़ने में और समझने में दिक्कत हो रही थी. किसी ने मेरे अंदर पाली सीखने की उत्सुकता को बढ़ाया और मैंने विश्वविद्यालय के मास्टर में पाली विषय लिया.
पाली भाषा शांति का संदेश : बीएसएनल में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से सेवानिवृत्त हुए देवनारायण ने बताया कि आज देश में धर्म और भेदभाव काफी अधिक बढ़ गया है. जबकि भगवान बुद्ध हमेशा से इसके खिलाफ रहे हैं. उन्होंने प्रेम सौहार्द और शांति को सबसे ऊपर रखा. उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को जनमानस तक पहुंचाने के लिए मैंने पाली भाषा सीखने के लिए विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है. मेरा मानना है कि भगवान बुद्ध के दिए संदेश जितने अच्छे तरीके से इस भाषा में लिखे गए हैं, उसे किसी और भाषा में अनुवाद करके नहीं बताया जा सकता है.
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से रिटायर हुए हरिलाल बौद्ध ने कहा, आज जिस तरह से हिंदी अंग्रेजी उर्दू जैसी भाषा हमारे देश में बोली जाती हैं, वैसे ही 100 साल पहले पाली भी हमारी भाषा हुआ करती थी. पर धीरे-धीरे यह भाषा हमारे बीच से समाप्त होती चली गई. आज इस भाषा को बोलने और समझने वाले लोगों की संख्या बहुत सीमित है. मैं इस भाषा को इसलिए सीख रहा हूं ताकि मैं इसे अपने नाती पोटो को सिखा सकूं.
आरडीएसओ रेल मंत्रालय से रिटायर हुए सुरेंद्र सिंह वरुण बहुत साहित्य में आपको मन की शांति व प्रेम के बारे में बहुत कुछ पढ़ने को मिलता है. भगवान बुद्ध के उपदेशों को ठीक से समझने के लिए सबसे पहले उनके दिए गए उपदेशों को समझना होगा. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर मैंने पाली पढ़ना शुरू किया है. जिससे मैं भगवान बुद्ध के उपदेशों और उनके मूल भावनाओं को समझ प्रसारित करूं.