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वाराणसी की सेवइयों की खाड़ी देशों तक होती है सप्लाई, 60 करोड़ है सालाना टर्नओवर - SEVAI OF VARANASI

वाराणसी में सेवइयां बनाने का इतिहास लगभग 100 साल से अधिक पुराना है. वाराणसी में लगभग 60-70 परिवार सेवई बनाने के उद्योग से जुड़े हैं.

काशी की सेवइयां.
काशी की सेवइयां. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : March 22, 2025 at 1:57 PM IST

Updated : March 23, 2025 at 12:02 PM IST

3 Min Read

वाराणसी : रमजान का समापन ईद के साथ होता है. ईद की जिक्र होते ही सेवईयों की मिठास जहन में उठना लाजिमी है. सेवइयां काशी की हो तो बात ही अलग है. दरअसल काशी की सेवइयों की डिमांड यूपी ही नहीं खाड़ी देशों तक है. वाराणसी में सेवइयां बनाने का इतिहास लगभग 100 साल से ज्यादा पुराना है. वाराणसी में लगभग 60-70 कारखाने हैं. जिनमें दो हजार से ज्यादा परिवार जुड़े हैं. 60 करोड़ के ज्यादा का टर्नओवर होता है.

देखें ; कैसे बनती हैं काशी की खास सेवइयां. (Video Credit : ETV Bharat)

वाराणसी का भदऊ चुंगी क्षेत्र सेवई उत्पादन के लिए मशहूर है. यहां 100 साल से ज्यादा समय से लोग सेवई बनाने का काम करते हैं. है. सेवई बनाने का काम मिश्रित आबादी (हिंदू-मुस्लिम) समुदाय के लोग करते हैं. ईद के मौके पर सेवइयों की डिमांड बढ़ जाती है. वाराणसी सेवई गृह उद्योग व्यवसायी संघ के अध्यक्ष सच्चे लाल अग्रहरि का कहना है कि उनका परिवार 100 साल से ज्यादा समय से सेवई उद्योग से जुड़ा है. महाकुंभ में वाहनों के आने जाने पर रोक लगी थी, इसके कारण बाजार प्रभावित हुआ था. हालांकि अब मार्केट में सेवई की डिमांड बढ़ी है. काशी की सेवइयों की डिमांड पूर्वांचल के साथ महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल, दिल्ली सहित खाड़ी देशों तक है.

काशी की खास सेवइयां.
काशी की खास सेवइयां. (Photo Credit : ETV Bharat)

अच्छेलाल अग्रहरि ने बताया कि हम लोगों के यहां 12 महीने सेवई बनाई जाती है. रमजान के महीने में खास तरह की सेवइयों की मांग होती है. जिसमें जीरो, डबल जीरो, ट्रिपल जीरो, दूध फेनी सेवई, किमामी सेवई काफी पसंद की जाती है. सेवई बनाने में मैदा एवं पानी के उचित मिश्रण के बाद मशीन से खास तरीके से गूंदा जाता है. इसके बाद सेवई बनाई जाती है. सूखाने के बाद सेवई भुनी भी जाती है. भदऊ क्षेत्र में 60 से ज्यादा सेवई उद्योग हैं. सबके पास एक दो सेवई बनाने का प्लांट है. सबकी प्रोडक्ट की क्षमता अलग-अलग है. ईद पर डिमांड बढ़ जाती है. सबका टर्नओवर मिला दिया जाए तो 60 करोड़ के ऊपर जाता है. रमजान महीने में 2 करोड़ से अधिक का व्यापार होता है. अच्छेलाल अग्रहरि के अनसुार पिछले साल की अपेक्षा मैदा और घी इस साल महंगा है. इसके बावजूद हम लोगों ने रेट नहीं बढ़ाया है.




सेवई उद्योग चलाने वाले सचिन ने बताया कि हम लोग 12 महीना सेवई बनाते हैं. मुस्लिम त्योहार बकरीद एवं ईद में सेवई की डिमांड बढ़ जाती है. इसके अलावा हिंदू तीज त्योहारों, होली, रक्षाबंधन, दीपावली एवं दशहरा आदि में खूब डिमांड रहती है. आम दिनों हम लोग 7-8 कारीगर से काम करते हैं. डिमांड बढ़ने पर 15 कारीगर हो जाते हैं. मशीन के माध्यम से एक घंटे में 80 किलो तक सेवई बनाई जा सकाती है.

यह भी पढ़ें : अवध में खूब लुभा रही काशी की बनी सेवईयां - ईद 2019

यह भी पढ़ें : प्रयागराज संगम के जल से बन रही स्वादिष्ट सेवई; विदेश तक डिमांड, 6 महीने से जुटे हैं कारीगर - SEVAI IN SANGAM JAL

वाराणसी : रमजान का समापन ईद के साथ होता है. ईद की जिक्र होते ही सेवईयों की मिठास जहन में उठना लाजिमी है. सेवइयां काशी की हो तो बात ही अलग है. दरअसल काशी की सेवइयों की डिमांड यूपी ही नहीं खाड़ी देशों तक है. वाराणसी में सेवइयां बनाने का इतिहास लगभग 100 साल से ज्यादा पुराना है. वाराणसी में लगभग 60-70 कारखाने हैं. जिनमें दो हजार से ज्यादा परिवार जुड़े हैं. 60 करोड़ के ज्यादा का टर्नओवर होता है.

देखें ; कैसे बनती हैं काशी की खास सेवइयां. (Video Credit : ETV Bharat)

वाराणसी का भदऊ चुंगी क्षेत्र सेवई उत्पादन के लिए मशहूर है. यहां 100 साल से ज्यादा समय से लोग सेवई बनाने का काम करते हैं. है. सेवई बनाने का काम मिश्रित आबादी (हिंदू-मुस्लिम) समुदाय के लोग करते हैं. ईद के मौके पर सेवइयों की डिमांड बढ़ जाती है. वाराणसी सेवई गृह उद्योग व्यवसायी संघ के अध्यक्ष सच्चे लाल अग्रहरि का कहना है कि उनका परिवार 100 साल से ज्यादा समय से सेवई उद्योग से जुड़ा है. महाकुंभ में वाहनों के आने जाने पर रोक लगी थी, इसके कारण बाजार प्रभावित हुआ था. हालांकि अब मार्केट में सेवई की डिमांड बढ़ी है. काशी की सेवइयों की डिमांड पूर्वांचल के साथ महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल, दिल्ली सहित खाड़ी देशों तक है.

काशी की खास सेवइयां.
काशी की खास सेवइयां. (Photo Credit : ETV Bharat)

अच्छेलाल अग्रहरि ने बताया कि हम लोगों के यहां 12 महीने सेवई बनाई जाती है. रमजान के महीने में खास तरह की सेवइयों की मांग होती है. जिसमें जीरो, डबल जीरो, ट्रिपल जीरो, दूध फेनी सेवई, किमामी सेवई काफी पसंद की जाती है. सेवई बनाने में मैदा एवं पानी के उचित मिश्रण के बाद मशीन से खास तरीके से गूंदा जाता है. इसके बाद सेवई बनाई जाती है. सूखाने के बाद सेवई भुनी भी जाती है. भदऊ क्षेत्र में 60 से ज्यादा सेवई उद्योग हैं. सबके पास एक दो सेवई बनाने का प्लांट है. सबकी प्रोडक्ट की क्षमता अलग-अलग है. ईद पर डिमांड बढ़ जाती है. सबका टर्नओवर मिला दिया जाए तो 60 करोड़ के ऊपर जाता है. रमजान महीने में 2 करोड़ से अधिक का व्यापार होता है. अच्छेलाल अग्रहरि के अनसुार पिछले साल की अपेक्षा मैदा और घी इस साल महंगा है. इसके बावजूद हम लोगों ने रेट नहीं बढ़ाया है.




सेवई उद्योग चलाने वाले सचिन ने बताया कि हम लोग 12 महीना सेवई बनाते हैं. मुस्लिम त्योहार बकरीद एवं ईद में सेवई की डिमांड बढ़ जाती है. इसके अलावा हिंदू तीज त्योहारों, होली, रक्षाबंधन, दीपावली एवं दशहरा आदि में खूब डिमांड रहती है. आम दिनों हम लोग 7-8 कारीगर से काम करते हैं. डिमांड बढ़ने पर 15 कारीगर हो जाते हैं. मशीन के माध्यम से एक घंटे में 80 किलो तक सेवई बनाई जा सकाती है.

यह भी पढ़ें : अवध में खूब लुभा रही काशी की बनी सेवईयां - ईद 2019

यह भी पढ़ें : प्रयागराज संगम के जल से बन रही स्वादिष्ट सेवई; विदेश तक डिमांड, 6 महीने से जुटे हैं कारीगर - SEVAI IN SANGAM JAL

Last Updated : March 23, 2025 at 12:02 PM IST
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