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आज जातियों के आधार पर मिलते हैं टिकट, मंत्रिमंडल बनाते वक्त भी उन्हें ही खुश करने की रहती है कोशिश: मंत्री मदन दिलावर - EDUCATION MINISTER MADAN DILAWAR

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पिंकसिटी प्रेस क्लब में समर कैंप में बच्चों से संवाद किया और उनके सवालों के जवाब दिए.

Education Minister Madan Dilawar
बच्चों के बीच शिक्षा मंत्री दिलावर (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 10, 2025 at 5:38 PM IST

4 Min Read

जयपुर: आज जातियों के आधार पर टिकट मिल जाते हैं और जब मंत्रिमंडल बनना होता है, तब भी राजनीतिक पार्टियों की कोशिश जातियों को खुश करने की रहती है. ये कहना है शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का. वे मंगलवार को पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित समर कैंप में बच्चों से संवाद कर रहे थे. एक बालिका के सवाल के जवाब में मंत्री मदन दिलावर ने ये बात कही.

जयपुर के पिंकसिटी प्रेस क्लब में ग्रीष्मकालीन बाल अभिरुचि शिविर चल रहा है. इसमें बच्चों को मार्शल आर्ट, योग और डांस जैसी गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है. यहां पत्रकारों के बच्चे भी बढ़-चढ़कर अपने स्किल डवलपमेंट के लिए पहुंच रहे हैं. इस बीच मंगलवार को प्रदेश के शिक्षा मंत्री बच्चों के बीच उनसे संवाद करने के लिए पहुंचे.

बच्चों से संवाद करते शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (ETV Bharat Jaipur)

बालिका ने पूछा- मंत्री कैसे बनें? समर कैंप में शामिल हुई एक बच्ची ने मंत्री दिलावर से पूछा कि यदि उसे भी मंत्री बनना हो तो क्या करना पड़ेगा. इस पर उन्होंने कहा कि मंत्री बनने से पहले एमएलए बनना पड़ता है. एमएलए बनने से पहले राजनीतिक पार्टी में जुड़कर उसके लिए काम करना पड़ता है. कई वर्षों तक काम करना पड़ता है. तब पार्टी सोचती है कि ये अच्छा वर्कर है. सेवा का काम भी करता है, और उन्हें लगता है कि चुनाव लड़ाना चाहिए, तो चुनाव लड़ा देते हैं. चुनाव लड़कर जीत गया और उनकी पार्टी की ज्यादा सीटें आई, तो उनकी सरकार बनती है. फिर उन एमएलए में से उन्हें लगा कि ये अच्छा एमएलए है, तो उनको मंत्री बना देते हैं. ये तो रही सैद्धांतिक बात, लेकिन कुछ बातें ऐसी भी होती है, जिसमें जातियों के आधार पर चलते हैं. किस जाति के ज्यादा वोट है, उसकी जाति के लोग तो उसे वोट दे ही देंगे इससे वो जीत जाएगा, ऐसा कई राजनीतिक पार्टियों में होता है. और जब मंत्रिमंडल बनता है, तब भी ये सोचते हैं कि इस जाति को खुश कर दो.

पढ़ें: शिक्षा मंत्री को घूस देने की कोशिश, सरकारी टीचर निलंबित, दिलावर बोले-डेढ़ साल पहले ऐसी ही परंपरा देखी होगी

अंग्रेजी स्कूलों से शिक्षक क्यों हटाए?: एक अन्य बच्ची ने पूछा कि उनके महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल से हाल ही में कई शिक्षकों को हटा दिया गया. जिससे उनके स्कूल में शिक्षकों की कमी हो गई है. इस पर मंत्री दिलावर ने कहा कि जब पूर्ववर्ती सरकार ने इन स्कूलों को हिंदी से इंग्लिश में परिवर्तित किया, तब सरकार ने स्कूल तो खोल दिया लेकिन मास्टरों की भर्ती नहीं की. अध्यापकों की भर्ती नहीं करने के चलते हिंदी मीडियम स्कूलों से अध्यापकों को लाया गया. ऐसे में जो डेपुटेशन पर लगे हुए थे, वो शिक्षक चले गए. सरकार ने 3 हजार शिक्षकों को गांव से लाकर वैसे ही बैठा रखा था, इसलिए उन्हें वापस भेज दिया गया है, क्योंकि शहर में भी अध्यापक होना चाहिए, लेकिन गांव भी खाली नहीं होना चाहिए. उन्होंने बच्ची को आश्वस्त किया कि अब शिकायत नहीं रहेगी. आने वाले एक दो महीनों में सब टीचर्स को सभी स्कूलों में लगाने वाले हैं. ऐसे में आगामी दिनों में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

बच्चों को बांधकर नहीं रखें: कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों ने समर कैम्प में कई सारी विधाओं को सीखा है. उनमें से प्रथम, द्वितीय, तृतीय रहने वाले छात्रों का चयन भी किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूलों में भी कई तरह के कैंप लगाते रहते हैं. लेकिन उनका मानना है कि बच्चों को हमेशा बांधकर नहीं रखना चाहिए. उनको स्वतंत्र रखना चाहिए, ताकि बच्चे अपने हिसाब से खेलें, क्योंकि बच्चे 9-10 महीने तक बंधे रहते हैं तो कुछ उछल-कूद करने की उनकी इच्छा रहती है. उन्हें उनका बचपन एंजॉय करने देना चाहिए.

जयपुर: आज जातियों के आधार पर टिकट मिल जाते हैं और जब मंत्रिमंडल बनना होता है, तब भी राजनीतिक पार्टियों की कोशिश जातियों को खुश करने की रहती है. ये कहना है शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का. वे मंगलवार को पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित समर कैंप में बच्चों से संवाद कर रहे थे. एक बालिका के सवाल के जवाब में मंत्री मदन दिलावर ने ये बात कही.

जयपुर के पिंकसिटी प्रेस क्लब में ग्रीष्मकालीन बाल अभिरुचि शिविर चल रहा है. इसमें बच्चों को मार्शल आर्ट, योग और डांस जैसी गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है. यहां पत्रकारों के बच्चे भी बढ़-चढ़कर अपने स्किल डवलपमेंट के लिए पहुंच रहे हैं. इस बीच मंगलवार को प्रदेश के शिक्षा मंत्री बच्चों के बीच उनसे संवाद करने के लिए पहुंचे.

बच्चों से संवाद करते शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (ETV Bharat Jaipur)

बालिका ने पूछा- मंत्री कैसे बनें? समर कैंप में शामिल हुई एक बच्ची ने मंत्री दिलावर से पूछा कि यदि उसे भी मंत्री बनना हो तो क्या करना पड़ेगा. इस पर उन्होंने कहा कि मंत्री बनने से पहले एमएलए बनना पड़ता है. एमएलए बनने से पहले राजनीतिक पार्टी में जुड़कर उसके लिए काम करना पड़ता है. कई वर्षों तक काम करना पड़ता है. तब पार्टी सोचती है कि ये अच्छा वर्कर है. सेवा का काम भी करता है, और उन्हें लगता है कि चुनाव लड़ाना चाहिए, तो चुनाव लड़ा देते हैं. चुनाव लड़कर जीत गया और उनकी पार्टी की ज्यादा सीटें आई, तो उनकी सरकार बनती है. फिर उन एमएलए में से उन्हें लगा कि ये अच्छा एमएलए है, तो उनको मंत्री बना देते हैं. ये तो रही सैद्धांतिक बात, लेकिन कुछ बातें ऐसी भी होती है, जिसमें जातियों के आधार पर चलते हैं. किस जाति के ज्यादा वोट है, उसकी जाति के लोग तो उसे वोट दे ही देंगे इससे वो जीत जाएगा, ऐसा कई राजनीतिक पार्टियों में होता है. और जब मंत्रिमंडल बनता है, तब भी ये सोचते हैं कि इस जाति को खुश कर दो.

पढ़ें: शिक्षा मंत्री को घूस देने की कोशिश, सरकारी टीचर निलंबित, दिलावर बोले-डेढ़ साल पहले ऐसी ही परंपरा देखी होगी

अंग्रेजी स्कूलों से शिक्षक क्यों हटाए?: एक अन्य बच्ची ने पूछा कि उनके महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल से हाल ही में कई शिक्षकों को हटा दिया गया. जिससे उनके स्कूल में शिक्षकों की कमी हो गई है. इस पर मंत्री दिलावर ने कहा कि जब पूर्ववर्ती सरकार ने इन स्कूलों को हिंदी से इंग्लिश में परिवर्तित किया, तब सरकार ने स्कूल तो खोल दिया लेकिन मास्टरों की भर्ती नहीं की. अध्यापकों की भर्ती नहीं करने के चलते हिंदी मीडियम स्कूलों से अध्यापकों को लाया गया. ऐसे में जो डेपुटेशन पर लगे हुए थे, वो शिक्षक चले गए. सरकार ने 3 हजार शिक्षकों को गांव से लाकर वैसे ही बैठा रखा था, इसलिए उन्हें वापस भेज दिया गया है, क्योंकि शहर में भी अध्यापक होना चाहिए, लेकिन गांव भी खाली नहीं होना चाहिए. उन्होंने बच्ची को आश्वस्त किया कि अब शिकायत नहीं रहेगी. आने वाले एक दो महीनों में सब टीचर्स को सभी स्कूलों में लगाने वाले हैं. ऐसे में आगामी दिनों में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

बच्चों को बांधकर नहीं रखें: कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों ने समर कैम्प में कई सारी विधाओं को सीखा है. उनमें से प्रथम, द्वितीय, तृतीय रहने वाले छात्रों का चयन भी किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूलों में भी कई तरह के कैंप लगाते रहते हैं. लेकिन उनका मानना है कि बच्चों को हमेशा बांधकर नहीं रखना चाहिए. उनको स्वतंत्र रखना चाहिए, ताकि बच्चे अपने हिसाब से खेलें, क्योंकि बच्चे 9-10 महीने तक बंधे रहते हैं तो कुछ उछल-कूद करने की उनकी इच्छा रहती है. उन्हें उनका बचपन एंजॉय करने देना चाहिए.

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