प्रयागराज: स्वच्छ और स्वस्थ महाकुंभ 2025 का आयोजन कर प्रयागराज महाकुंभ मेला समिति ने पूरी दुनिया में वाहवाही लूटी. करोड़ों श्रद्धालुओं को महाकुंभ के दौरान शहर प्रदूषण मुक्त और सुंदर देखने को मिली. इसी क्रम को आगे भी बनाए रखने के लिए नगर निगम एक और बड़ी पहले करने जा रही है. निगम अब देश का दूसरा और उत्तर प्रदेश का पहला नगर निगम बन गया है, जहां 126 करोड़ रुपये की लागत से नैनी में तैयार बायो–CNG प्लांट से 600 टन सूखे–गीले कचरे से 21.5 मीट्रिक टन बायो सीएनजी गैस का उत्पादन करेगा. इससे न सिर्फ पर्यावरण को स्वच्छ बनाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि नगर निगम को हर साल 5 करोड़ की आमदनी भी होगी. अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक ये प्लांट बायो–सीएनजी गैस का उत्पादन शुरू कर देगा.
बायो गैस की उपयोगिता
जिले के शहरी इलाके में रोजना 600 टन सूखा और गीला कचरा निकलता है. इससे निगम क्षेत्र में जगह जगह कूड़े के पहाड़ बन रहे थे. कूड़े का प्रबंधन ठीक न होने से और उसके निस्तारण की सुविधा न होने से शहर की स्वच्छता रैंकिंग लगातार गिर रही थी. पिछले साल प्रयागराज की स्वछता रैंकिंग देश में 80 नंबर पर थी. जिसको सुधारने के लिए निगम के अधिकारियों और नगर आयुक्त ने देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का बायो सीएनजी प्लांट विजिट किया. उसके बाद योगी सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद गीले कचरे से बॉयो CNG के साथ खाद तैयार के मिशन में निगम जुट गई. महाकुंभ–2025 में 31 दिसंबर 2024 को इस बायो गैस प्लांट का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया. 26 मार्च 2025 से इसमें बायो गैस उत्पादन शुरू होना था पर कुछ तकनीकी कारणों से इसे अब अप्रैल 2025 के अंतिम सप्ताह से शुरू करने की तैयारी है.
प्लांट चालू होने से स्वच्छता रैंकिंग में सुधार
प्रयागराज नगर निगम के पर्यावरण अभियंता उत्तम कुमार ने बताया कि अभी रोज निकलने वाले 40 टन गीले कूड़े को रिलायंस इंडस्ट्रीज भेजा जा रहा. जब EVER ENVIRO कंपनी की ओर से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर तैयार किए गए बायो सीएमजी प्लांट में अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक उत्सादन शुरू हो जाएगा तो गीले के साथ ही साथ सूखे कूड़े को भी निस्तारित किया जा सकेगा. इससे स्वच्छता रैंकिंग में प्रयागराज जबरदस्त छलांग लगाएगा. शहर में कहीं भी इधर–इधर कूड़ा नहीं दिखाई देगा. कहीं भी गोबर नहीं दिखाई देगा. गोबर का भी इसी प्लांट में इस्तेमाल हो जाएगा.
कैसे कचरा सीएनजी में बदलेगा?
EVER ENVIRO प्रयागराज आरएनजी प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट हेड हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि प्रयागराज नगर निगम करीब 500 कचरा गाड़ियां चलवा रहा है. इनसे घर-घर जाकर गीला, सूखा कचरा कलेक्ट किया जाता है. बॉयो मेडिकल वेस्ट भी अलग-अलग लिया जाता है. यहां से नगर निगम के सब स्टेशनों पर अलग-अलग डंप कर दिया जाता है. सब स्टेशनों से बड़ी गाड़ियों में गीला कचरा लेकर बॉयो CNG प्लांट पर पहुंचाया जाएगा. सभी गाड़ियों का कचरा नैनी अरैल घाट पर शिवालय पार्क के पास बने सीएनजी बायो गैस प्लांट के डंपिंग यार्ड में डाल दिया जाएगा.
सीएनजी बायो गैस प्लांट के डंपिंग यार्ड में लाए गए इस गीले कचरे को हॉपर में डालेंगे. हॉपर में डालने के बाद कन्वेयर के जरिए ट्रॉमिल में जाएगा. इसके बाद 120 एमएम से छोटा कचरा नीचे गिरकर हैमर मिल की तरफ चला जाएगा और उससे बड़ा कचरा बायो ग्राइंडर में जाएगा, जिसको 3 एमएम का पल्प बनाकर फिर से हैमर मिल में भेजा जाएगा. हैमर मिल द्वारा स्लरी (लुग्दी) बनेगी. उसके बाद स्लरी पंप के जरिए फीड टैंक में जाएगा. इसके बाद फीड टैंक से पाइप लाइन के जरिए डाइजेस्टर में जाएगा, जहां एनोर्बिक डाइजेशन होगा और 20 से 25 दिन में रॉ बायो गैस तैयार होगी. रॉ बायोगैस में मीथेन का परसेंट (45 से 50%) कम होता है, जिसको अपग्रेड करने के लिए गैस क्लीनिंग सिस्टम में गैस जाएगी. यहां से गैस को एक बड़े बलून में स्टोर करके प्रोसेस शुरू कर देते हैं. यहां बाकी कॉर्बन डाइ ऑक्साइड (Co2) को मीथेन से अलग किया जाता है. क्लीनिंग के बाद मीथेन का प्रतिशत 90 से 95 प्रतिशत हो जाएगा. इसके बाद गैस कंप्रेस्ड करके CBG/CNG में तैयार हो जाएगी. इसकी सेलिंग इंडियन ऑयल अडानी गैस (IOAG) के जरिए शहर में की जाएगी.
126 करोड़ की लागत से प्लांट का निर्माण
नैनी के जहांगीराबाद में स्थापित बायो सीएनजी प्लांट के प्रोजेक्ट हेड हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि कूड़े से सीएनजी तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंच गई है. पहले 26 मार्च को उत्पादन शुरू होना था पर एक पार्ट में खराबी आ जाने के कारण इसे रोक दिया गया. ये पार्ट जर्मनी से आना है. आर्डर हो गया है उम्मीद है कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह से उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा. घर, होटल-रेस्टोरेंट, मठ और मंदिरों से प्रतिदिन 600 टन कूड़ा निकल रहा है. इसमें से गीला कूड़ा करीब 40 मीट्रिक टन रहता है. गीला कूड़ा से 21.5 मीट्रिक टन बायो सीएनजी रोज तैयार होगी. बचे अपशिष्ट से 200 टन जैविक खाद भी बनाई जाएगी, जिसे सस्ते दामों में किसानों को दिया जाएगा. इस प्लांट से प्रयागराज नगर निगम को हर साल पांच करोड़ रुपए आय होगी.
निगम ने दी 12.49 एकड़ जमीन
प्रयागराज के नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने बताया कि पीपीपी माडल से तैयार इस बायो सीएनजी प्लांट के लिए 12.49 एकड़ जमीन नैनी के जहांगीराबाद के पास दी गई है. प्लांट का संचालन एवर एनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने किया है. इसके लिए प्रयागराज नगर निगम और कंपनी के बीच 25 साल के लिए अनुबंध हुआ है. इसके बाद कंपनी प्लांट का संचालन नगर निगम को सौंप देगी. इसे तैयार करने में केवल साढ़े छह महीने का समय लगा है. 126 करोड़ रुपए की लागत से इसे पीपीपी मॉडल में तैयार किया गया है.
दो चरणों में प्लांट होगा स्थापित
बायो सीएनजी प्लांट के प्रोजेक्ट हेड हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्लांट को दो चरणों में स्थापित किया जाएगा. पहले चरण के लिए दो डाइजेस्टर स्थापित किए गए हैं, जो केवल 200 टन प्रतिदिन गीले कचरे का उपयोग करके 8.9 टन प्रतिदिन बायो-सीएनजी का उत्पादन करेंगे. दूसरे चरण में रोजाना बांकी 13.2 टन बायो-सीएनजी का उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. दूसरे चरण में पराली और गोबर से गैस बनाई जाएगी. इसका भी निर्माण कार्य जोरों पर है. जल्द ही इसे भी तैयार कर लिया जाएगा. पहले चरण में तैयार प्लांट में 200 टन गीला कचरा से बायो सीएनजी तैयार किया जा सकेगा. दूसरे चरण में 90 टन शहर की पराली और 30 टन गोबर और 23 टन चिकन अपशिष्ट से कंपोज्ड बायोगैस तैयार होगी.
3500 CNG कारें और 45 हजार घरों में सप्लाई होगी PNG
प्रोजेक्ट हेड हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्लांट से हम इतनी बायो गैस का रोजाना उत्पादन कर पाएंगे जिससे 3500 कारों में सीएनजी और 45 हजार घरों को पीएनजी की सप्लाई की जा सकेगी. प्लांट केवल गैस का उत्पादन करेगा वितरण का जिम्मा इंडियन ऑयल अदानी गैस प्राइवेट लिमिटेड (IOAGPL) को दिया गया है.
109 मीट्रिक टन जैविक खाद का उत्पादन
हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्लांट से न सिर्फ बायो गैस का उत्पादन होगा बल्कि रोज 109 मीट्रिक टन नेचुरल खाद का भी उत्पादन करेगा. इस खाद काे आसपास के जिलों के किसानों को सस्ते दामों में सरकार देगी. इससे रोज का रोज शहर से निकलने वाले कचरे और कूड़े का बेहतर निस्तारण हो सकेगा.
56700 मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बॉटनी डिपार्टमेंट के पूर्व प्रोफेसर एनबी सिंह ने बताया कि पूरी दुनिया इस समय ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही है. पूरे विश्व का ये कंसर्न है कि कार्बन उत्सर्जन कम कैसे कम किया जाए. ये सभी की साझा चिंता है. इस प्लांट के शुरू होने से 56 हजार 700 मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा.
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