नई दिल्ली: द्वारका सेक्टर-13 के शब्द अपार्टमेंट अग्निकांड हादसे में नए-नए खुलासे हो रहे हैं. इस हादसे का बाद जानकारी मिली है कि साथ सोसायटी के सुरक्षा इंतजामों में गंभीर खामियां थी, इमारत का फायर फाइटिंग सिस्टम बंद था. फायर एनओसी 2016 में ही एक्सपायर हो चुकी थी. इसके बाद से NOC को अब तक रिन्यूएल भी नहीं कराया गया था.
द्वारका सेक्टर-13 स्थित शब्द अपार्टमेंट में 10 जून को दिन में हुई आग की घटना में तीन लोगों की मौत और चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद सोसाइटी में आक्रोश का माहौल है और अब हादसे में लापरवाही को लेकर नया मोड़ सामने आया है. वहीं यहां रहने वाले लोगों ने सोसाइटी की पूरी पोल खोल कर रख दी है.
स्थानीय निवासियों ने सोसाइटी प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि आग जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए परिसर में पानी की मशीनें और अन्य अग्निशमन प्रबंध किए गए थे, लेकिन न तो उन मशीनों में पानी था और न ही वे चालू स्थिति में थीं. यदि यह व्यवस्था समय पर सक्रिय होती, तो फायर ब्रिगेड के पहुंचने से पहले ही राहत कार्य शुरू हो सकता था और जानें बचाई जा सकती थीं.
लापता हो गया था सोसाइटी का प्रबंधन
स्थानीय लोगों के मुताबिक घटना के करीब 25 से 30 मिनट बाद फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची. इस बीच जब सोसाइटी सचिव मुकेश और अन्य जिम्मेदार लोगों से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो किसी ने भी समय पर मौके पर पहुंचने की जिम्मेदारी नहीं निभाई. लोगों का आरोप है कि हादसे के समय प्रबंधन पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ.
यह कोई पहली घटना नहीं है जब दिल्ली या अन्य बड़े शहरों की हाउसिंग सोसायटीज में इस तरह की लापरवाही सामने आई हो. यह सवाल फिर उठता है कि क्या एमसीडी इन सोसाइटीज और हाउसिंग सोसाइटीज की जांच पड़ताल सही तरीके से नहीं करती, और अगर करती है तो इस तरीके की घटना की गुंजाइश देश की राजधानी दिल्ली और तमाम शहरों में क्यों है.
फिलहाल, इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों में शोक की लहर है और चार घायल अस्पताल में जिंदगी से जूझ रहे हैं. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और लापरवाही के आरोपों को लेकर समिति सदस्यों से पूछताछ की जा रही है. यह घटना हाउसिंग सोसायटी प्रबंधन और सरकारी निगरानी तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करती है.
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