दुर्ग: साल 2021 में कोरोना काल में जब कई लोगों का रोजगार छिन गया. उस समय परिवार की आजीविका बढ़ाने घरों में रहने वाली और कम पढ़ी लिखी महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने स्व सहायता समूह के जरिए अलग अलग कामों का प्रशिक्षण दिया गया. इनमें सिलाई बुनाई, कलाकृति, पैरा आर्ट, जूट आर्ट, ढोकरा आर्ट और धान आर्ट के साथ ही कई शिल्प कला शामिल की गई. जिसका फायदा लगातार महिलाओं को मिल रहा है.
स्व सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं बनी आत्मनिर्भर: दुर्ग जिले के बोरसी में जीविका स्व सहायता समूह चल रहा है. पिछले 5 सालों में इस समूह से लगभग 10 हजार महिलाओं को प्रशिक्षण मिला. यहां से प्रशिक्षित होकर महिलाएं अब अपना खुद का रोजगार कर रही है और पैसे कमा रही है. इस समय 20 महिलाएं समूह से जुड़ कर काम कर रही है. ये महिलाएं पैरा आर्ट, जूट आर्ट, ढोकरा आर्ट, बेलमेटल, कोसा शिल्प, मट परई शिल्प, गोदना शिल्प सीख रही है और एक से बढ़कर एक कलाकृति बना रही है.
समूह में पांच साल से जुड़ी हूं. यहां आकर नई नई चीज सीखने को मिल रही है. हर सीजन में अलग अलग चीजें बनाते हैं. -देवकी टंडन, सदस्य, जीविका स्व सहायता समूह
पांच साल से समूह से जुड़ी हूं. धान आर्ट से कई अलग अलग चीजें बनाते हैं. धान आर्ट से बनाई कई चीजें हमने बनाकर बेचा. इससे हमारी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है.- सविता, सदस्य, जीविका स्व सहायता समूह
हटरी बाजार एंपोरियम में छत्तीसगढ़ की कलाकृति: इस समूह के जरिए बनाई हुई चीजों को महिलाएं हटरी बाजार में रखकर बेचती है. दुर्ग में ये हटरी बाजार आरके मार्ट स्कूल चौक बोरसी में स्थित है. यदि आप भी महिलाएं की बनाई हुई आकर्षक कलाकृति से अपना घर सजाना चाहती है तो वहां जरूर जाए. हमर हटरी में छत्तीसगढ़ की प्रमुख वस्तुओं का अद्भुत संग्रह है. पैरा आर्ट, बेल मैटल, कोसा सिल्क, बांस कला, छत्तीसगढ़ी ज्वेलरी के साथ-साथ बस्तर आर्ट, गोदना, छत्तीसगढ़ी वेशभूषा का अनूठा संग्रह यहां मौजूद है. भारतीय संस्कृति के सभी प्रकार के परिधान भी किराए पर दिए जाते हैं. जीविका स्व सहायता समूह द्वारा धान से की जा रही धान से बनाए गए बैच की मांग बहुत ज्यादा है.

हमर हटरी एंपोरियरम का संचालन किया जा रहा है. हम सभी इस हटरी में अपनी जीविकोपार्जन के लिए रोजगार की तलाश करते हुए काम कर रहे हैं. जो कलाकृति विलुप्त हो रही है वो यहां देखने को मिल जाएगी. -ललेश्वरी साहू, अध्यक्ष, जीविका स्व सहायता समूह
समाज सेवा के कार्य भी करती है स्व सहायता समूह की महिलाएं: हमर हटरी एंपोरियरम में वैवाहिक कार्यक्रम से संबंधित सजावटी सामग्री जैसे पर्रा, बिंझना कलशा, मड़वा, सजावटी टीपा, मौर सहित अन्य सामान भी मौजूद है, जिन्हें महिलाओं ने बनाया है. इन चीजों को खरीदने के लिए हमेशा यहां लोगों की भीड़ लगी रहती है. जीविका स्व सहायता समूह की अध्यक्ष ललेश्वरी साहू बताती है कि समूह की महिलाएं समय-समय पर रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच शिविर, स्कूल बच्चों को जागरूक करने, पौधारोपण करने का काम भी करती है. समूह द्वारा रक्तदान शिविर लगाकर अब तक 4500 यूनिट ब्लड डोनेट किया जा चुका है. कई स्कूलों में जाकर बच्चों को शिक्षा, संस्कार को लेकर भी जागरूक किया गया है.