हल्द्वानी (भावनाथ पंडित): पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना उत्तराखंड में गांवों की तस्वीर बदल रही है. नैनीताल जिले के हल्द्वानी ब्लॉक स्थित डूंगरपुर जग्गी गांव की महिला प्रधान ने लोगों को इस सौर ऊर्जा योजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया. अपनी ग्राम प्रधान की बात मानते हुए गांव के 80 फीसदी लोगों ने अपने घरों में सौर ऊर्जा पैनल लगा दिए हैं और मुफ्त बिजली का लाभ उठाने के साथ कमाई भी कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कैसे बदली डूंगरपुर जग्गी गांव की तस्वीर.
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने बदली तस्वीर: दरअसल केंद्र सरकार ने देश भर में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना चलाई है. इस योजना के तहत 2 किलोवाट क्षमता तक के पैनल के लिए सौर इकाई लागत का 60% और 2 से 3 किलोवाट क्षमता के बीच के पैनल के लिए अतिरिक्त प्रणाली लागत की 40 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है. पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से ग्रीन एनर्जी मिशन को बढ़ावा मिल रहा है. साथ ही पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में ये योजना मददगार साबित होने के साथ ही रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही है.
सौर ऊर्जा से चमक रही डूंगरपुर जग्गी ग्राम सभा: नैनीताल जिले के हल्द्वानी ब्लॉक स्थित डूंगरपुर जग्गी के गांव की महिला ग्राम प्रधान ने अपने गांव को मॉडल गांव बनाने की ठानी. उन्होंने करीब 250 की आबादी वाले अपने गांव वालों को पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सौर पैनल लगाने के लिए प्रेरित किया. अपनी ग्राम प्रधान के आह्वान को गांव के लोगों ने हाथों-हाथ लिया और बहुत कम समय में ही गांव के 80% घर सौर ऊर्जा की बिजली से चमकने लगे.

महिला ग्राम प्रधान ने लोगों को किया प्रेरित: डूंगरपुर जग्गी की ग्राम प्रधान मीना भट्ट का कहना है कि-
इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और गांवों को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाना है. ग्रामीणों ने पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के माध्यम से सौर पैनल लगाए. इससे न केवल उनकी बिजली की आपूर्ति हुई बल्कि बची हुई बिजली बेचकर पैसे भी कमा रहे हैं. भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही इस महत्वाकांक्षी योजना के चलते न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.
-मीना भट्ट, ग्राम प्रधान-
आदर्श गांव बनाना है लक्ष्य: ग्राम प्रधान मीना भट्ट ने बताया कि उनका मकसद इस गांव को आदर्श गांव बनाने के साथ-साथ सोलर गांव भी बनाना है. गांव के लोग ऊर्जा के क्षेत्र में काम करते हुए आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं. इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक भी कर रहे हैं. इसका नतीजा है कि उनके गांव में करीब 80% लोगों ने अपने घरों में सोलर पावर प्लांट लगाये हैं. आज वह अपनी विद्युत आवश्यकता की पूर्ति करने के साथ-साथ विद्युत विभाग को भी बिजली दे रहे हैं.

सौर ऊर्जा की बिजली से गांव वाले खुश: वहीं ग्रामीणों ने बताया कि-
पहले हमारे गांव में लो वोल्टेज और पावर कट की समस्या होती थी. सोलर पैनल लगने के बाद से ये समस्या भी खत्म हो गई है. हमारे गांव के एक युवक ने अपने खेत में में 400 किलोवाट का सोलर यूनिट भी लगाया है. इसके माध्यम से वह आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ सोलर पैनल के माध्यम से बिजली भी तैयार कर रहे हैं.
-ग्रामीण, डूंगरपुर जग्गी गांव-
बिजली का बिल आना हुआ बंद: ग्रामीणों ने बताया कि पहले उनका बिजली का बिल ₹400 से ₹500 तक आता था. सोलर पावर पैनल लगाने के बाद से उनके बिजली के बिल शून्य आ रहे हैं. यही नहीं अब अपनी खपत से अधिक बिजली का उत्पादन भी कर रहे हैं. सोलर पावर से उत्पादित एक्स्ट्रा यूनिट को विद्युत विभाग को दे देते हैं.

ये हैं मुफ्त बिजली योजना के लिए पात्र: ग्राम प्रधान मीना भट्ट ने बताया कि प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के लिए सिर्फ भारतीय नागरिक ही पात्र हैं. आपके घर की छत पर सोलर पैनल लगाने की जगह होनी चाहिए. इसके साथ ही परिवार पहले से ही सोलर पैनल से जुड़ी किसी योजना का लाभ न ले रहा हो. घर में वैध बिजली का कनेक्शन होना चाहिए. मकान या फ्लैट में रहने वाले या फिर छोटे बिजनेस संस्थान भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लोग इस योजना के लिए पात्र हैं.

ये प्रमाण पत्र हैं जरूरी: इस योजना का लाभ उठाने के लिए पहचान पत्र, आवास प्रमाण पत्र, बिजली का बिल, छत के मालिकाना हक का प्रमाण पत्र जरूरी दस्तावेज हैं. पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत सोलर पैनल लगवाने के लिए आप बैंक से लोन ले भी सकते हैं. आमतौर पर 3 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाने में करीब 1.45 लाख रुपये की लागत आती है. हालांकि राज्यों के हिसाब से यह लागत अलग-अलग हो सकती है. इस रकम पर सरकार की ओर से 78,000 रुपये तक सब्सिडी दी जाती है.
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना है. इस योजना के तहत स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और पारंपरिक बिजली के स्रोत पर निर्भरता कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
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