ETV Bharat / state

उद्योग मंत्री के गृह क्षेत्र में 45 छात्राओं ने छोड़ा था स्कूल, अब दोबारा शिक्षित और प्रशिक्षित होंगी ये बेटियां - SHILLAI DROP OUT GIRL STUDENTS

शिलाई की 45 बेटियां अब दोबारा स्कूल की राह पकड़ेंगी. ये बेटिया किन्हीं कारणों से स्कूल छोड़ चुकी थीं.

अब दोबारा स्कूल जाएंगी ड्रॉप आउट छात्राएं
अब दोबारा स्कूल जाएंगी ड्रॉप आउट छात्राएं (सांकेतिक तस्वीर)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : March 21, 2025 at 7:29 PM IST

3 Min Read

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के सबसे दुर्गम क्षेत्र शिलाई की 45 बेटियां अब दोबारा शिक्षा ग्रहण करेंगी, ये बेटियां गरीबी और अन्य कारणों से स्कूल छोड़ चुकी थी. उपमंडल शिलाई प्रशासन ने स्कूलों से ड्रॉप आउट हुई इन बेटियों की पहचान कर इन्हें शिक्षित और प्रशिक्षित करने का जिम्मा उठाया है.

इसके लिए बकायदा प्रशासन की ओर सर्वे कराया गया था. इन 45 बेटियों की उम्र 15 से 17 साल के बीच है. सर्वे में ये बात भी सामने आई कि माता-पिता के संसार छोड़ने के बाद वो अपने चाचा, ताऊ, दादा-दादी व रिश्तेदारों के यहां रह रही हैं. शिलाई उपमंडल प्रशासन ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर ये सर्वे करवाया. अब अप्रैल में शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से शिलाई उपमंडल प्रशासन इन बेटियों को स्कूल भेजने की तैयारी कर रहा है.

आत्मनिर्भर बनाने के लिए करवाए जाएंगे कोर्स

इन बेटियों को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय शिलाई भेजा जाएगा. इसके साथ साथ जो बेटियां स्कूल नहीं जाना चाहतीं, उन्हें कौशल विकास केंद्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए विभिन्न कोर्सों का प्रशिक्षण करवाया जाएगा. बता दें कि शिलाई विधानसभा क्षेत्र प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान का गृह निर्वाचन क्षेत्र है और वो यही से विधायक हैं. वहीं शिलाई विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं की शिक्षा की दर अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले काफी कम है. यहां पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी वोटिंग अकसर कम होती है. शिलाई उपमंडल प्रशासन ने आशा कार्यकर्ताओं को इन बेटियों से लगातार संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. यदि इन बेटियों को कोई समस्या होगी तो उपमंडल प्रशासन उनकी पूरी सहायता करेगा. वहीं, केंद्र और प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत इन बेटियों को हर संभव सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.

ऐसे पचा चला बेटियों का दर्द और फिर पकड़ी आगे की राह

दरअसल शिलाई विधानसभा क्षेत्र में एक माह पहले एसडीएम किसी एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस दौरान उनसे दो ऐसी बेटियों का परिचय हुआ, जो स्कूल छोड़ चुकी थीं. लिहाजा एसडीएम ने सीडीपीओ शिलाई से इस विषय पर विस्तार से चर्चा की और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से ऐसी और बेटियों की पहचान करने के निर्देश दिए. एक माह के सर्वे में 45 बेटियां ऐसी मिलीं, जिन्हें किसी न किसी मजबूरी के चलते अपनी पढ़ाई छोड़ने पड़ी.

क्या कहते हैं एसडीएम

उधर एसडीएम शिलाई जसपाल ने बताया कि, 'शिलाई विधानसभा क्षेत्र में 45 लड़कियों ने गरीबी व माता-पिता की मृत्यु होने के बाद स्कूल छोड़ दिया था, जिन्हें अप्रैल से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से स्कूल भेजा जाएगा. जो बेटियां स्कूल नहीं जाना चाहतीं, उन्हें कौशल विकास केंद्र भेजकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.'

ये भी पढ़ें: विमल नेगी मौत मामले में CM ने सदन में दिया कार्रवाई का आश्वासन, नेता प्रतिपक्ष ने कानून व्यवस्था को लेकर उठाए सवाल

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के सबसे दुर्गम क्षेत्र शिलाई की 45 बेटियां अब दोबारा शिक्षा ग्रहण करेंगी, ये बेटियां गरीबी और अन्य कारणों से स्कूल छोड़ चुकी थी. उपमंडल शिलाई प्रशासन ने स्कूलों से ड्रॉप आउट हुई इन बेटियों की पहचान कर इन्हें शिक्षित और प्रशिक्षित करने का जिम्मा उठाया है.

इसके लिए बकायदा प्रशासन की ओर सर्वे कराया गया था. इन 45 बेटियों की उम्र 15 से 17 साल के बीच है. सर्वे में ये बात भी सामने आई कि माता-पिता के संसार छोड़ने के बाद वो अपने चाचा, ताऊ, दादा-दादी व रिश्तेदारों के यहां रह रही हैं. शिलाई उपमंडल प्रशासन ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर ये सर्वे करवाया. अब अप्रैल में शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से शिलाई उपमंडल प्रशासन इन बेटियों को स्कूल भेजने की तैयारी कर रहा है.

आत्मनिर्भर बनाने के लिए करवाए जाएंगे कोर्स

इन बेटियों को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय शिलाई भेजा जाएगा. इसके साथ साथ जो बेटियां स्कूल नहीं जाना चाहतीं, उन्हें कौशल विकास केंद्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए विभिन्न कोर्सों का प्रशिक्षण करवाया जाएगा. बता दें कि शिलाई विधानसभा क्षेत्र प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान का गृह निर्वाचन क्षेत्र है और वो यही से विधायक हैं. वहीं शिलाई विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं की शिक्षा की दर अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले काफी कम है. यहां पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी वोटिंग अकसर कम होती है. शिलाई उपमंडल प्रशासन ने आशा कार्यकर्ताओं को इन बेटियों से लगातार संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. यदि इन बेटियों को कोई समस्या होगी तो उपमंडल प्रशासन उनकी पूरी सहायता करेगा. वहीं, केंद्र और प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत इन बेटियों को हर संभव सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.

ऐसे पचा चला बेटियों का दर्द और फिर पकड़ी आगे की राह

दरअसल शिलाई विधानसभा क्षेत्र में एक माह पहले एसडीएम किसी एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस दौरान उनसे दो ऐसी बेटियों का परिचय हुआ, जो स्कूल छोड़ चुकी थीं. लिहाजा एसडीएम ने सीडीपीओ शिलाई से इस विषय पर विस्तार से चर्चा की और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से ऐसी और बेटियों की पहचान करने के निर्देश दिए. एक माह के सर्वे में 45 बेटियां ऐसी मिलीं, जिन्हें किसी न किसी मजबूरी के चलते अपनी पढ़ाई छोड़ने पड़ी.

क्या कहते हैं एसडीएम

उधर एसडीएम शिलाई जसपाल ने बताया कि, 'शिलाई विधानसभा क्षेत्र में 45 लड़कियों ने गरीबी व माता-पिता की मृत्यु होने के बाद स्कूल छोड़ दिया था, जिन्हें अप्रैल से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से स्कूल भेजा जाएगा. जो बेटियां स्कूल नहीं जाना चाहतीं, उन्हें कौशल विकास केंद्र भेजकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.'

ये भी पढ़ें: विमल नेगी मौत मामले में CM ने सदन में दिया कार्रवाई का आश्वासन, नेता प्रतिपक्ष ने कानून व्यवस्था को लेकर उठाए सवाल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.