रुद्रप्रयाग: गर्मी बढ़ते ही अलकनंदा व मंदाकिनी नदी के संगम पर बसे रुद्रप्रयाग नगर समेत जिले के ग्रामीण इलाकों में पानी का संकट गहराने लगा है. आलम यह है कि प्राकृतिक जल स्त्रोतों में पानी की कमी के चलते जल संस्थान विभाग को पेयजल आपूर्ति को लेकर टैंकरों का सहारा लेना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा समस्या ग्रामीण इलाकों में हो रही है, जहां पैदल चलकर ग्रामीणों को पीठ पर पानी ढोना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर जंगलों में लग रही आग भी पेयजल स्त्रोतों के सूखने का बड़ा कारण माना जा रहा है.
प्राकृतिक जल स्रोतों में पानी कम: गर्मी बढ़ते ही रुद्रप्रयाग शहर की आबादी के साथ ही ग्रामीण इलाकों की जनता भी परेशान होने लगी है. यहां पानी का गंभीर संकट छाने लगा है. प्राकृतिक स्त्रोत सूखने लगे हैं तो गाड़-गदेरों में भी पानी कम होने लगा है. जबकि ग्रामीण इलाकों में कई जगह अब टैंकरों से पानी की आपूर्ति होने लगी है. पानी के स्रोतों के सूखने की कगार पर होने से ग्रामीणों की चिंता सताने लगी हैं. मौसम की बेरुखी और अंधाधुंध निर्माण कार्यों से प्रकृति को हो रहे नुकसान के कारण प्राकृतिक जल स्रोतों में पानी कम होने लगा है.

गहराने लगा पेयजल संकट: जबकि जंगलों में लगी आग भी इसका बड़ा कारण माना जा रहा है. एक ओर बारिश नहीं हो रही है तो दूसरी ओर हर साल जंगलों में लगी आग से गर्मी की तपिश बढ़ती जा रही है. नगर क्षेत्र का पुनाड़ गदेरा धीरे-धीरे सूख रहा है, जहां से नगर की 25 हजार आबादी को पानी मिलता है. जबकि नगर क्षेत्र की आबादी वाला डांगसेरा और गुलाबराय में प्राकृतिक स्त्रोत का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है. इन दोनों स्रोतों पर गर्मी के सीजन में करीब दस हजार की आबादी निर्भर रहती थी. जहां बरसात में गंदा पानी आने के कारण लोग परेशान रहते हैं, जिससे गुलाबराय का प्राकृतिक स्त्रोत लोगों की परेशानी का हल था. मगर अब यह स्त्रोत पूरी तरह सूख चुका है और उपभोक्ताओं को पानी की विकराल समस्या से जूझना पड़ रहा है.
टैंकरों से जलापूर्ति: इसके अलावा डांगसेरा के लोग भी प्राकृतिक स्त्रोत के सूखने से परेशान हैं. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के कई इलाकों में जल संस्थान टैंकरों से जलापूर्ति करने में जुट गया है, पर यह नाकाफी साबित हो रहा है. जनपद में जल संस्थान की 294 पेयजल योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से लगभग 333 ग्राम पंचायतों और पांच निकायों में लगभग ढाई लाख आबादी को पानी आपूर्ति होती है. जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग नगर का ज्यादातर हिस्सा पेयजल संकटग्रस्त है. वहीं, तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि, तल्लानागपुर क्षेत्र, भरदार, धनपुर, रानीगढ़, बच्छणस्यूं, सिलगढ़, ऊखीमठ क्षेत्र में पानी की सबसे ज्यादा दिक्कत देखने को मिलती है.

इस वर्ष बर्फबारी और बारिश ज्यादा नहीं हुई है, जिस कारण पानी के स्रोत सूख रहे हैं. इसके अलावा गर्मी भी ज्यादा होने लगी है. जंगलों में आग भी लग रही है. जिन स्थानों पर पानी की समस्या आ रही है, वहां पेयजल टैंकरों से सप्लाई की जा रही है.
अनीश पिल्लई,अधिशासी अभियंता,जल संस्थान
पर्यावरण विशेषज्ञ क्या कह रहे: धनपुर, रानीगढ़, भरदार, जखोली, ऊखीमठ, मदमहेश्वर घाटी, बच्छणस्यूं पट्टी सहित जिले के कई इलाकों में आग की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा कि हर साल मौसम में परिवर्तन आ रहा है. समय पर बर्फबारी और बारिश नहीं हो रही है. जंगलों में आग लगने से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है, जबकि प्राकृतिक स्रोत भी सूख रहे हैं. पानी का संकट गहरा रहा है.
समय से चेतने की जरूरत: रुद्रप्रयाग नगर के गुलाबराय और डांगसेरा में वर्षों से बह रहे प्राकृतिक स्रोत पर रेलवे निर्माण की बुरी नजर लगी, जिससे यहां बहने वाला स्त्रोत बंद हो चुका है. इनका अस्तित्व ही खत्म हो चुका है. बताया कि जंगलों में लग रही आग से भी प्राकृतिक स्रोतों पर बुरा असर देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण को हो रहे भारी नुकसान को लेकर अधिक से अधिक मिश्रित पौधों के रोपण के साथ ही जंगलों में लगी आग को भी बुझाने का प्रयास करना चाहिए. समय रहते लोगों को सचेत होने की जरूरत है.
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