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देहरादून में उत्तराखंड प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ से जुड़े डॉक्टरों का धरना, जानिये वजह - DEHRADUN DOCTORS STRIKE

तीन सूत्रीय मांगों को लेकर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य महानिदेशालय में दिया धरना

DEHRADUN DOCTORS STRIKE
प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ से जुड़े डॉक्टरों का धरना (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 11, 2025 at 5:38 PM IST

2 Min Read

देहरादून: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य संघ से जुड़े डॉक्टरों ने स्वास्थ्य महानिदेशालय में धरना दिया. धरना देने के लिए पूरे प्रदेश से बड़ी संख्या में चिकित्सक महानिदेशालय पहुंचे. चिकित्सकों ने डीजी हेल्थ मुख्यालय मे बैठक करके अपनी मांगों को लेकर लामबंद होने का आह्वान किया.

चिकित्सकों का कहना है कि सरकार को यह समझना होगा कि चिकित्सक वर्ग इतना आक्रोशित और हताश हो चुका है कि उन्हें अपना परिवार और काम छोड़कर देहरादून में धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज शर्मा का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में पूरे प्रदेश के डॉक्टरों को परेशान होकर देहरादून में एकत्र होना पड़ रहा है. उन्होंने कहा हम सदैव अपनी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते आए हैं, इसलिए जनहित में मरीजों के हितों को देखते हुए पूर्व में भी कई बार अपने आंदोलनों को वापस लिया है.

डॉ मनोज शर्मा ने कहा सरकार ने DPC और SDACP आंशिक रूप से कर दी गई थी, किंतु बहुत से डॉक्टर अभी भी पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं. उनका इंतजार लंबा होता जा रहा है. SDACP मे भी कुछ डॉक्टरों को शिथलीकरण का लाभ मिलना चाहिए था किंतु यह मसला भी पिछले कई महीनो से लटका हुआ है. इसका लाभ सरकार ने पूरा ना देकर कुछ रोक दिया, जो हैरानी की बात है. उन्होंने कहा संघ की तीन प्रमुख मांगे हैं

  • पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों को चिकित्सा शिक्षा के डॉक्टरों की तर्ज पर पूर्ण वेतन का 50% पर्वतीय भत्ता अनुमान्य किया जाये
  • एमबीबीएस और बीडीएस डॉक्टरों को पूर्व की भांति दुर्गम भत्ते की व्यवस्था की जाये
  • अल्मोड़ा, टिहरी ,नैनीताल और मसूरी को पहले की तरह सुगम से दुर्गम घोषित किया जाये

इन चारों जगहों को दुर्गम घोषित किए जाने पर सरकार के ऊपर कोई अतिरिक्त भार भी नहीं पड़ रहा है. इधर महासचिव डॉ रमेश कुंवर ने कहा इन सभी न्याय संगत मांगों पर सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. यह कहीं ना कहीं शासन की लचर कार्यप्रणाली और कार्मिकों की मनमानी को दर्शाता है. उन्होंने कहा संघ अपने अधिकारों के लिए अंत तक लड़ेगा. इसलिए हर वह उपाय और प्रयास किए जाएंगे, जो चिकित्सकों के हितों में होगा. प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि संघ हाई कोर्ट से भी न्याय के गुहार लगाने जा रहा है.

देहरादून: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य संघ से जुड़े डॉक्टरों ने स्वास्थ्य महानिदेशालय में धरना दिया. धरना देने के लिए पूरे प्रदेश से बड़ी संख्या में चिकित्सक महानिदेशालय पहुंचे. चिकित्सकों ने डीजी हेल्थ मुख्यालय मे बैठक करके अपनी मांगों को लेकर लामबंद होने का आह्वान किया.

चिकित्सकों का कहना है कि सरकार को यह समझना होगा कि चिकित्सक वर्ग इतना आक्रोशित और हताश हो चुका है कि उन्हें अपना परिवार और काम छोड़कर देहरादून में धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज शर्मा का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में पूरे प्रदेश के डॉक्टरों को परेशान होकर देहरादून में एकत्र होना पड़ रहा है. उन्होंने कहा हम सदैव अपनी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते आए हैं, इसलिए जनहित में मरीजों के हितों को देखते हुए पूर्व में भी कई बार अपने आंदोलनों को वापस लिया है.

डॉ मनोज शर्मा ने कहा सरकार ने DPC और SDACP आंशिक रूप से कर दी गई थी, किंतु बहुत से डॉक्टर अभी भी पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं. उनका इंतजार लंबा होता जा रहा है. SDACP मे भी कुछ डॉक्टरों को शिथलीकरण का लाभ मिलना चाहिए था किंतु यह मसला भी पिछले कई महीनो से लटका हुआ है. इसका लाभ सरकार ने पूरा ना देकर कुछ रोक दिया, जो हैरानी की बात है. उन्होंने कहा संघ की तीन प्रमुख मांगे हैं

  • पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों को चिकित्सा शिक्षा के डॉक्टरों की तर्ज पर पूर्ण वेतन का 50% पर्वतीय भत्ता अनुमान्य किया जाये
  • एमबीबीएस और बीडीएस डॉक्टरों को पूर्व की भांति दुर्गम भत्ते की व्यवस्था की जाये
  • अल्मोड़ा, टिहरी ,नैनीताल और मसूरी को पहले की तरह सुगम से दुर्गम घोषित किया जाये

इन चारों जगहों को दुर्गम घोषित किए जाने पर सरकार के ऊपर कोई अतिरिक्त भार भी नहीं पड़ रहा है. इधर महासचिव डॉ रमेश कुंवर ने कहा इन सभी न्याय संगत मांगों पर सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. यह कहीं ना कहीं शासन की लचर कार्यप्रणाली और कार्मिकों की मनमानी को दर्शाता है. उन्होंने कहा संघ अपने अधिकारों के लिए अंत तक लड़ेगा. इसलिए हर वह उपाय और प्रयास किए जाएंगे, जो चिकित्सकों के हितों में होगा. प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि संघ हाई कोर्ट से भी न्याय के गुहार लगाने जा रहा है.

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