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नक्सल इलाके का अस्पताल! जहां एएनएम खुद करती हैं डिलीवरी और फार्मासिस्ट के भरोसे होता है इलाज - MANATU COMMUNITY HEALTH CENTRE

पलामू का मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फार्मासिस्ट और एएनएम के भरोसे चल रहा है. यहां डॉक्टर की तैनाती तो हैं, लेकिन वो नदारद रहते हैं.

Doctors absent in Manatu Community Health Center palamu
मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : June 10, 2025 at 5:23 PM IST

Updated : June 10, 2025 at 7:51 PM IST

3 Min Read

पलामू: एक ऐसा अस्पताल जहां एएनएम के भरोसे महिलाओं की डिलीवरी करवाई जाती है. फार्मासिस्ट के भरोसे मरीजों का इलाज किया जाता है. ऐसा नहीं है कि अस्पताल में डॉक्टर तैनात नहीं हैं, लेकिन इलाज के लिए डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं.

यह कहानी है झारखंड की राजधानी रांची से करीब 200 किलोमीटर और पलामू के मेदिनीनगर से करीब 60 किलोमीटर दूर मनातू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की है. यह इलाका बिहार और झारखंड के चतरा सीमा से सटा हुआ है.

संवाददाता नीरज कुमार की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

मनातू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हजारों की आबादी इलाज के लिए निर्भर है. ईटीवी भारत ने मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के हालातों का जायजा लिया है. इस दौरान अस्पताल में कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था. जबकि फार्मासिस्ट बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के मरीज को दवा दे रहे थे. वहीं, प्रसव कक्ष की जिम्मेवारी एएनएम और उनकी सहायक संभाल रही थी.

अस्पताल में डॉक्टरों को कभी देखा ही नहीं है. डॉक्टर इलाज के लिए नहीं पहुंचते हैं. मरीज को इलाज करवाने के लिए 60 किलोमीटर दूर डाल्टनगंज जाना पड़ता है. डॉक्टरों की मौजूदगी और इलाज करने के बाद लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा- विष्णुदेव सिंह, पूर्व मुखिया डुमरी पंचायत, मनातू

मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हजारों की आबादी निर्भर है. यह इलाका अति नक्सल प्रभावित माना जाता है. मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज नहीं होने पर लोगों को 60 से 65 किलोमीटर दूर मेदिनीनगर जाना पड़ता है. लोगों को शहर तक पहुंचाने के लिए बेहद ही कम संसाधन मौजूद हैं. इलाके में बेहद ही कम पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी मौजूद है.

जानकारी देते पूर्व मुखिया और सिविल सर्जन (ETV BHARAT)

ईटीवी भारत के कैमरे के समक्ष फार्मासिस्ट ने बताया कि यहां डॉक्टर मौजूद हैं. वह अभी नास्ता करने के लिए गए हैं, जिस वक्त डॉक्टर नाश्ता करने के लिए गए थे. वह ओपीडी का समय हो रहा था और मरीजों को दवा और इलाज फार्मासिस्ट ही कर रहे थे.

प्रसव केंद्र में तैनात एएनएम ने बताया कि वही सभी का प्रसव करवाती हैं और इलाज भी करती हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन 30 से 40 लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. डॉक्टर नहीं होने के कारण कई लोग निराश होकर लौट जाते हैं.

जिस वक्त की बात हो रही है, उस वक्त अस्पताल के एक डॉक्टर विभागीय बैठक में भाग ले रहे थे. जबकि प्रभारी डीके सिंह बीमार हैं. अगर अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं तो यह बेहद ही गंभीर मामला है. पूरे मामले में जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी. मनातू ही एक ऐसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, जो दो खंडहर कमरों में चल रहा है- डॉ अनिल कुमार सिंह, सिविल सर्जन पलामू

ये भी पढ़ें: ईटीवी भारत की खबर का असर, 24 घंटे के अंदर उपायुक्त ने मांगी रिपोर्ट, गर्भवती महिला के लिए अस्पताल ने नहीं खोला था दरवाजा

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पलामू: एक ऐसा अस्पताल जहां एएनएम के भरोसे महिलाओं की डिलीवरी करवाई जाती है. फार्मासिस्ट के भरोसे मरीजों का इलाज किया जाता है. ऐसा नहीं है कि अस्पताल में डॉक्टर तैनात नहीं हैं, लेकिन इलाज के लिए डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं.

यह कहानी है झारखंड की राजधानी रांची से करीब 200 किलोमीटर और पलामू के मेदिनीनगर से करीब 60 किलोमीटर दूर मनातू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की है. यह इलाका बिहार और झारखंड के चतरा सीमा से सटा हुआ है.

संवाददाता नीरज कुमार की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

मनातू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हजारों की आबादी इलाज के लिए निर्भर है. ईटीवी भारत ने मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के हालातों का जायजा लिया है. इस दौरान अस्पताल में कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था. जबकि फार्मासिस्ट बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के मरीज को दवा दे रहे थे. वहीं, प्रसव कक्ष की जिम्मेवारी एएनएम और उनकी सहायक संभाल रही थी.

अस्पताल में डॉक्टरों को कभी देखा ही नहीं है. डॉक्टर इलाज के लिए नहीं पहुंचते हैं. मरीज को इलाज करवाने के लिए 60 किलोमीटर दूर डाल्टनगंज जाना पड़ता है. डॉक्टरों की मौजूदगी और इलाज करने के बाद लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा- विष्णुदेव सिंह, पूर्व मुखिया डुमरी पंचायत, मनातू

मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हजारों की आबादी निर्भर है. यह इलाका अति नक्सल प्रभावित माना जाता है. मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज नहीं होने पर लोगों को 60 से 65 किलोमीटर दूर मेदिनीनगर जाना पड़ता है. लोगों को शहर तक पहुंचाने के लिए बेहद ही कम संसाधन मौजूद हैं. इलाके में बेहद ही कम पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी मौजूद है.

जानकारी देते पूर्व मुखिया और सिविल सर्जन (ETV BHARAT)

ईटीवी भारत के कैमरे के समक्ष फार्मासिस्ट ने बताया कि यहां डॉक्टर मौजूद हैं. वह अभी नास्ता करने के लिए गए हैं, जिस वक्त डॉक्टर नाश्ता करने के लिए गए थे. वह ओपीडी का समय हो रहा था और मरीजों को दवा और इलाज फार्मासिस्ट ही कर रहे थे.

प्रसव केंद्र में तैनात एएनएम ने बताया कि वही सभी का प्रसव करवाती हैं और इलाज भी करती हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन 30 से 40 लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. डॉक्टर नहीं होने के कारण कई लोग निराश होकर लौट जाते हैं.

जिस वक्त की बात हो रही है, उस वक्त अस्पताल के एक डॉक्टर विभागीय बैठक में भाग ले रहे थे. जबकि प्रभारी डीके सिंह बीमार हैं. अगर अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं तो यह बेहद ही गंभीर मामला है. पूरे मामले में जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी. मनातू ही एक ऐसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, जो दो खंडहर कमरों में चल रहा है- डॉ अनिल कुमार सिंह, सिविल सर्जन पलामू

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Last Updated : June 10, 2025 at 7:51 PM IST
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