फिरोजाबाद : जिले में टूरिज्म को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने दो स्थलों को विकसित करने के साथ ही वहां तक संपर्क मार्ग और अधिक सुगम बनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए संबंधित विभाग को कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं.

जिलाधिकारी रमेश रंजन ने मंगलवार को दो महत्वपूर्ण स्थलों का जायजा लिया. इसमें सर्वप्रथम वह चंद्रवार के किले को देखने गए. इतिहासकारों के मुताबिक, इसका निर्माण चंद्रसेन के बेटे चंद्रपाल ने कराया था. खंडहर में तब्दील हुए इस किले पर आज भी ऐतिहासिक कलाकारी देखने को मिलती है. इसे देखने के लिए फिरोजाबाद से ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से लोग भारी संख्या में आते हैं.

जिलाधिकारी ने कहा कि इस विरासत को संजोने के लिए यह जरूरी है, कि यहां पर आवागमन के मार्ग को सहज और सरल बनाया जाए. साथ ही साथ यहां पर इस महत्वपूर्ण भवन को पुरातत्व विभाग की ओर से इसको सजोया और संवारा जाए. इस बात का प्रयास प्रशासन पूरी तरह से कर रहा है.
इसके बाद जिलाधिकारी दतौंजी नगर वन केंद्र भी गए. यहां पर भी उन्होंने यहां की आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिये संबंधित लोगों को निर्देशित किया. जिलाधिकारी ने वन केंद्र की साफ-सफाई पौधों की स्थिति और पर्यावरण गतिविधियों का मूल्यांकन भी किया.
उन्होंने कहा कि यह स्थल भी जनपद का एक महत्वपूर्ण पर्यटन का केंद्र बन सकता है, इसलिए जरूरी है कि इस स्थल पर आवागमन के साथ-साथ अन्य आधारभूत संरचनाओं को विकसित करते हुए इसे आकर्षक स्थल के रूप में विकसित किया जाए, जिससे यहां आकर लोग न केवल पर्यावरणीय सौंदर्य का लाभ उठा सकें, बल्कि सुख एवं शांति का अनुभव प्राप्त कर सकें.
जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी शत्रोहन वैश्य, डीएफओ विकास नायक, परियोजना निदेशक सुभाष चन्द्र त्रिपाठी, उप जिलाधिकारी शिकोहाबाद व सदर फिरोजाबाद अफसरों से कहा कि वह इस संबंध में आवश्यक कदम उठाते हुए कार्य योजना बनाएं और शासन को भेजें.
जानिए क्या है चंद्रवार का इतिहास? : फिरोजाबाद शहर को पहले चंद्रवार के नाम से ही जाना जाता था. योगी सरकार में ही इस जनपद का नाम चंद्रवार रखने की मुहिम भी चली थी. नगर निगम और जिला पंचायत इस शहर का नाम चंद्रवार किये जाने का प्रस्ताव भी पास कर चुकी है जो कि शासन में लंबित है. फिरोजाबाद शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में यमुना नदी के किनारे यह गांव आज भी स्थित है और यहां एक किला भी मौजूद है, जो अब खंडहर में तब्दील हो गया है.
शहर के इतिहासकार और एसआरके डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर एबी चौबे के मुताबिक, इस किले का निर्माण राजा चंद्रसेन के बेटे चंद्रपाल ने कराया था. 1193 में यहां राजा जयचंद्र और मोहम्मद गोरी के बीच युद्ध भी हुआ था. गांव में तमाम खंडहर नुमा मकान आज भी इस गांव के ऐतिहासिक होने की गवाही दे रहे हैं. यहां खुदाई के दौरान ऐतिहासिक साक्ष्य मिलते रहते हैं.
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