मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में जिला उपभोक्ता आयोग ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल के विरुद्ध कड़ा एक्शन लिया है. जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष पीयूष कमल दीक्षित और सदस्य सुनील कुमार तिवारी की पीठ द्वारा आदेश दिया गया कि आई हॉस्पिटल पीड़िता को उसके शेष बचे जीवन व भरण-पोषण के लिए पांच लाख रुपये 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से 45 दिनों के अंदर दिया जाए.
मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल पर जुर्माना: दरअसल सारण जिले के पहलेजाघाट थाना क्षेत्र के खरिका गांव निवासी नीला देवी ने 14 नवंबर 2017 को उत्तर बिहार के चर्चित मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में अपने दाहिने आंख का ऑपरेशन करवाया था. ऑपरेशन के मद में हॉस्पिटल द्वारा पीड़िता से कूल सात सौ रूपये का शुल्क लिया गया था, लेकिन हॉस्पिटल द्वारा पीड़िता का सही से इलाज नहीं किया गया.
मोतियाबिंद का करवाया था ऑपरेशन: बता दें कि पीड़िता को मोतियाबिंद हो गया था. ऑपरेशन के बाद पीड़िता की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती चली गई, लेकिन आई हॉस्पिटल के द्वारा पीड़िता का उचित उपचार नहीं किया गया. इसके कारण पीड़िता नीला देवी के दाएं आंख की रोशनी हमेशा के लिए चली गई.
31 मार्च 2022 को शिकायत दर्ज: थक-हारकर पीड़िता ने मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एस.के.झा से मिलकर सारी बात बतायी. उसके बाद पीड़िता ने अधिवक्ता एस.के.झा के माध्यम से 31 मार्च 2022 को जिला उपभोक्ता आयोग मुजफ्फरपुर के समक्ष परिवाद दर्ज किया.
6 विरोधी पक्षकार : इसमें आई हॉस्पिटल के कुल 6 विरोधी पक्षकार बनाये गये. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव, डॉ. प्रवीण कुमार और ओटी असिस्टेंट इन सभी के विरुद्ध आयोग के समक्ष सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई के बाद आयोग ने इसबात को माना कि आई हॉस्पिटल द्वारा उपभोक्ता को सकारात्मक सेवा प्रदान नहीं की गई है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध है.
चिकित्सकों की टीम ने की जांच: हॉस्पिटल द्वारा पीड़िता का सही से इलाज नहीं किया गया और ऑपरेशन को त्रुटिपूर्ण तरीके से किया गया. आयोग के आदेश पर सिविल सर्जन मुजफ्फरपुर के द्वारा चिकित्सकों की टीम बनाकर भी जांच की गई, जिसमें यह पाया गया कि पीड़िता की आंख की रोशनी सदा के लिए समाप्त हो चुकी है.
आई हॉस्पिटल पर 5 लाख का फाइन: टीम की जांच में पाया गया कि पीड़िता की आंख की रोशनी अब दोबारा नहीं लौट सकती है. जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष पीयूष कमल दीक्षित और सदस्य सुनील कुमार तिवारी की पीठ द्वारा आदेश दिया गया कि आई हॉस्पिटल पीड़िता को उसके शेष बचे जीवन व भरण-पोषण के लिए पांच लाख रुपये 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से 45 दिनों के अंदर देना सुनिश्चित करें.
देना पड़ सकता है ब्याज: साथ ही 10,000 रुपये वाद खर्च भी अदा करने को कहा गया है. अगर 45 दिनों के अंदर आयोग द्वारा पारित निर्णय का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो आई हॉस्पिटल को कुल 5 लाख 10 हजार रुपये का भुगतान 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करना होगा. यह पूरी राशि पीड़िता नीला देवी को प्राप्त होगी.
निर्णय 13 मई को पारित: आयोग द्वारा यह निर्णय 13 मई 2025 को पारित किया गया, जिसकी सत्यापित प्रति 29 मई 2025 को पीड़िता को प्राप्त हुई. आई हॉस्पिटल ने इस मुकदमे में वकीलों की फौज खड़ी कर दी थी, लेकिन मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा अकेले ही सभी पर भारी पड़े.
"मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल के विरुद्ध एक परिवाद मुजफ्फरपुर में जिला उपभोक्ता आयोग में चल रहा था. जिसमें मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल पर जुर्माना लगाया गया है. मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल ने पीड़िता के आंख के इलाज में काफी लापरवाही बरती थी. आयोग द्वारा इसका काफी गंभीरता पूर्वक अवलोकन किया गया. आयोग द्वारा पारित निर्णय से हम संतुष्ट हैं, यह जीत कानून में आस्था और विश्वास रखने वाले सभी लोगों की जीत है."-एस.के.झा, मानवाधिकार अधिवक्ता, सिविल कोर्ट मुजफ्फरपुर
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