पंचकूला: हरियाणा के पहाड़ी क्षेत्र जिला पंचकूला के मोरनी में अब वर्षों पुराना जमीन विवाद सुलझता नजर आ रहा है. सालों से वन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी अपने-अपने विभाग के अंतर्गत जमीन के मामलों संबंधी काम को लेकर विवाद में उलझते रहे हैं. सोमवार को लंबे समय बाद अब दोनों विभागों के अधिकारी मोरनी में जमीन के डिमार्केशन के कार्य के लिए एकसाथ पहुंचे.
एसडीएम ने किया सर्वे कार्य का निरीक्षण: एसडीएम चंद्रकांत कटारिया ने गत दिवस मोरनी क्षेत्र में जारी राजस्व और वन विभाग की जमीन के सर्वे के कार्य का निरीक्षण किया. उन्होंने बताया कि मोरनी में राजस्व व वन विभाग की जमीन के डिमार्केशन का काम रोवर मशीन द्वारा चल रहा है. वन विभाग के अंतर्गत की जमीन कौन सी है और राजस्व विभाग की कौन सी जमीन है, इसके लिए डिमार्केशन का सर्वे किया जा रहा है. इस अवसर पर राज्यसभा वन विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे, जिन्होंने सर्वे के काम को देखा.
जमीन बेचने के लगते रहे हैं आरोप: मोरनी में जमीन के डिमार्केशन सर्वे का काम पूरा होना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि जमीन से जुड़े विवाद में विभागीय अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लगाते रहे हैं. वर्ष 2023 में वन विभाग के अधिकारियों पर नक्शे से छेड़छाड़ के बाद फर्जी कागजात तैयार करवाकर जंगलात की भूमि निजी व्यक्ति को बेचने के आरोप लगे.
शिकायत पर केस दर्ज कर हुई पुलिस जांच: थाना चंडीमंदिर पुलिस ने जिला परिषद के तत्कालीन सदस्य बलवंत सिंह भीवर की शिकायत पर केस दर्ज कर जांच शुरू की थी. बकौल पुलिस बलवंत सिंह ने शिकायत में बताया था कि मोरनी में भू माफिया द्वारा, वन विभाग की मिलीभगत से असली नक्शों से छेड़छाड़ करके फर्जी दस्तावेजों पर वन भूमि को बेच दिया गया है. बताया था कि भूमि पैमाइश का काम केवल राजस्व विभाग के चुनिंदा कर्मचारी ही कर रहे हैं, जोकि अधिकृत नहीं हैं.
फर्जी दस्तावेज तैयार करने का खेल: शिकायत में बताया गया था कि उक्त सभी मिलीभगत से जाली कागजात तैयार कर वन भूमि की खरीद-फरोख्त करते हैं. आरोप लगाए गए थे कि वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा किसी प्रकार के प्रलोभन में फर्जी निशानदेही के कागजात तैयार करके भू-माफिया का कब्जा करवाया गया है. तब भी पुलिस ने केस दर्ज किया था. मोरनी में विवादित जमीन संबंधी इस प्रकार के कई मामले लगातार बढ़ते रहे हैं, इसी कारण यहां जमीन की डिमार्केशन जरूरी हो गई है.