नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के 16 औद्योगिक इलाकों में कचरे के उचित निपटारे के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स नहीं होने पर आश्चर्य व्यक्त किया है. जस्टिस प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये काफी गंभीर मामला है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स नहीं होने की वजह से यमुना का पानी प्रदूषित हो रहा है. हाईकोर्ट ने दिल्ली के 33 औद्योगिक इलाकों में कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स (सीईटीपी) लगाने की जरुरत बताई.
कोर्ट ने सीईटीपी पर दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (डीएसआईआईडीसी) की रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा कि ये काफ दुखद है कि दिल्ली के 16 औद्योगिक इलाके में कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है और यमुना में बिना शोधन के औद्योगिक कचरे वाला पानी बहाया जा रहा है.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दिल्ली के 37 घरेलू और रिहायशी इलाकों में भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है और इनकी स्थिति संतोषजनक नहीं है. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि औद्योगिक इलाकों में सीईटीपी लगाए जाएं.
हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली के सभी औद्योगिक इलाकों में सीईटीपी स्थापित होने चाहिए थे और उनकी रोजाना मानिटरिंग होनी चाहिए थी. हाईकोर्ट ने डीएसआईआईडीसी के यमुना में गिर रहे अनट्रिटेट पानी के बहाव को रोकने के उपायों पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने डीएसआईआईडीसी से ये भी पूछा कि क्या दिल्ली के सभी उद्योग उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं. बता दें कि हाईकोर्ट दिल्ली में जलजमाव के मामले पर सुनवाई कर रहा है.
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