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जो सांसों में फूंकता था जान, आज खुद पड़ा है बेजान! जानें, क्या है पूरा माजरा - PSA PLANT

लोहरदगा के सदर अस्पताल और कुडू प्रखंड के चिरी अस्पताल के पीएसए प्लांट की स्थिति जर्जर है.

Dilapidated condition of PSA plant of government hospitals of Lohardaga
लोहरदगा के अस्पताल में लगा पीएसए प्लांट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 4, 2025 at 5:29 PM IST

3 Min Read

लोहरदगा: कोविड-19 का भयावह समय, जब पूरी दुनिया पर मौत का खतरा मंडरा रहा था. ऐसे समय में ऑक्सीजन का महत्व लोगों को समझ में आया. सरकार ने टूटती सांसों को जिंदगी देने के लिए पीएसए प्लांट की स्थापना विभिन्न अस्पतालों में की थी. जिन पीएसए प्लांट के माध्यम से कभी दूसरों को जिंदगी मिलती थी, आज वह खुद बेजान पड़े हुए हैं. लाखों की संपत्ति बेकार पड़ी है.

नहीं हो पा रहा उपयोग, खराब हो रही मशीनें

लोहरदगा जिला के सदर अस्पताल और कुडू प्रखंड के चिरी अस्पताल में दो पीएसए प्लांट की स्थापना की गई थी. इनके माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन कर मरीजों को राहत देने का काम किया जाता था. सदर अस्पताल में स्थापित प्लांट के माध्यम से अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था हो पाती थी. जबकि कुडू के चिरी स्थित अस्पताल में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई थी.

लोहरदगा सदर अस्पताल और चिरी अस्पताल के पीएसए प्लांट की जर्जर स्थिति (ETV Bharat)

कोविड-19 संक्रमण के दौरान इनका कुछ उपयोग हुआ, परंतु इसके बाद उनकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है. वर्तमान समय में हालत ऐसी है कि दोनों ही प्लांट बेकार पड़े हुए हैं. यही नहीं ऑक्सीजन सिलेंडर भी काफी संख्या में खरीदे गए थे. इनका भी उपयोग नहीं हो पा रहा है. ऐसा ही कुछ हाल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का भी है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में से भी कुछ खराब पड़ चुके हैं. नियमित रूप से उपयोग नहीं हो पाने की वजह से मशीनों में खराबी आ रही है.

पीएसए प्लांट में टेक्निकल एरर की वजह से काम नहीं हो पा रहा है. इसको लेकर विभाग ने पत्राचार भी किया है. हालांकि अब तक दोनों ही प्लांट को बेहतर करने को लेकर कोई पहल नहीं हो पाई है. स्थिति यह है कि लाखों रुपये की लागत से लगाए गए पप्लांटआज कबाड़ बनते जा रहे हैं.

क्षमता अधिक और उपयोग कम

लोहरदगा में स्थापित दोनों ही पीएसए प्लांट की क्षमता काफी बेहतर है. सबसे जरूरी बात यह है कि क्षमता के अनुरूप इनका उपयोग संभव नहीं हो पाता है. इसके पीछे की वजह मरीजों की कम संख्या है. सदर अस्पताल में स्थापित पीएसए प्लांट की क्षमता 500 लीटर प्रति मिनट है. जबकि कुडू के चिरी में स्थापित पीएसए प्लांट की क्षमता 200 लीटर प्रति मिनट है. ऐसे में इनका उपयोग भी होना चाहिए. खर्च अधिक और उपयोग शून्य होने की वजह से भी इनका नियमित उपयोग नहीं हो पा रहा है. देखा जाए तो कोविड-19 के बाद से ही इनका उपयोग बंद पड़ गया है. जिसकी वजह से धीरे-धीरे मशीन खराब हो रही हैं.

Dilapidated condition of PSA plant of government hospitals of Lohardaga
बदहाल पीएसए प्लांट (ETV Bharat)

सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार को लेकर खर्चे तो काफी करती है, परंतु उनका उपयोग सुनिश्चित करने को लेकर जो आंकलन होना चाहिए, वह ठीक तरीके से नहीं हो पाता है, उपयोग से कहीं अधिक भारी भरकम मशीन लगा दिए जाने की वजह से भी यह बेकार पड़ जाती है. जहां मरीजों की संख्या कम है या फिर संबंधित बीमारियों के मरीज नहीं आते हैं, वहां पर भी अनावश्यक रूप से किए गए खर्च के कारण भी पैसा बर्बाद हो रहा है. कुछ ऐसी ही हालत लोहरदगा में पीएसए प्लांट की भी नजर आ रही है.

इसे भी पढ़ें- गढ़वा में सामुदायिक अस्पताल के पास भारी मात्रा में सरकारी दवाइयां फेंकी गईं, सीएस ने कहा- दोषियों पर होगा कार्रवाई

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नहीं हो पा रहा उपयोग, खराब हो रही मशीनें

लोहरदगा जिला के सदर अस्पताल और कुडू प्रखंड के चिरी अस्पताल में दो पीएसए प्लांट की स्थापना की गई थी. इनके माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन कर मरीजों को राहत देने का काम किया जाता था. सदर अस्पताल में स्थापित प्लांट के माध्यम से अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था हो पाती थी. जबकि कुडू के चिरी स्थित अस्पताल में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई थी.

लोहरदगा सदर अस्पताल और चिरी अस्पताल के पीएसए प्लांट की जर्जर स्थिति (ETV Bharat)

कोविड-19 संक्रमण के दौरान इनका कुछ उपयोग हुआ, परंतु इसके बाद उनकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है. वर्तमान समय में हालत ऐसी है कि दोनों ही प्लांट बेकार पड़े हुए हैं. यही नहीं ऑक्सीजन सिलेंडर भी काफी संख्या में खरीदे गए थे. इनका भी उपयोग नहीं हो पा रहा है. ऐसा ही कुछ हाल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का भी है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में से भी कुछ खराब पड़ चुके हैं. नियमित रूप से उपयोग नहीं हो पाने की वजह से मशीनों में खराबी आ रही है.

पीएसए प्लांट में टेक्निकल एरर की वजह से काम नहीं हो पा रहा है. इसको लेकर विभाग ने पत्राचार भी किया है. हालांकि अब तक दोनों ही प्लांट को बेहतर करने को लेकर कोई पहल नहीं हो पाई है. स्थिति यह है कि लाखों रुपये की लागत से लगाए गए पप्लांटआज कबाड़ बनते जा रहे हैं.

क्षमता अधिक और उपयोग कम

लोहरदगा में स्थापित दोनों ही पीएसए प्लांट की क्षमता काफी बेहतर है. सबसे जरूरी बात यह है कि क्षमता के अनुरूप इनका उपयोग संभव नहीं हो पाता है. इसके पीछे की वजह मरीजों की कम संख्या है. सदर अस्पताल में स्थापित पीएसए प्लांट की क्षमता 500 लीटर प्रति मिनट है. जबकि कुडू के चिरी में स्थापित पीएसए प्लांट की क्षमता 200 लीटर प्रति मिनट है. ऐसे में इनका उपयोग भी होना चाहिए. खर्च अधिक और उपयोग शून्य होने की वजह से भी इनका नियमित उपयोग नहीं हो पा रहा है. देखा जाए तो कोविड-19 के बाद से ही इनका उपयोग बंद पड़ गया है. जिसकी वजह से धीरे-धीरे मशीन खराब हो रही हैं.

Dilapidated condition of PSA plant of government hospitals of Lohardaga
बदहाल पीएसए प्लांट (ETV Bharat)

सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार को लेकर खर्चे तो काफी करती है, परंतु उनका उपयोग सुनिश्चित करने को लेकर जो आंकलन होना चाहिए, वह ठीक तरीके से नहीं हो पाता है, उपयोग से कहीं अधिक भारी भरकम मशीन लगा दिए जाने की वजह से भी यह बेकार पड़ जाती है. जहां मरीजों की संख्या कम है या फिर संबंधित बीमारियों के मरीज नहीं आते हैं, वहां पर भी अनावश्यक रूप से किए गए खर्च के कारण भी पैसा बर्बाद हो रहा है. कुछ ऐसी ही हालत लोहरदगा में पीएसए प्लांट की भी नजर आ रही है.

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