भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर नहीं बैठे. जबलपुर में हुए कांग्रेस के जय हिंद सभा में दिग्विजय सिंह मंच पर नहीं बैठे, तो जबलपुर कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने उनके पैर तक छूकर उनसे मंच पर बैठने के लिए कहा, लेकिन दिग्विजय सिंह इसके लिए तैयार नहीं हुए. अब दिग्विजय सिंह ने मंच पर न बैठने की 7 वजहें गिनाई हैं. दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया साइट पर मंच पर न बैठने के बारे में विस्तार से लिखा है. पढ़िए आखिर पूर्व सीएम ने क्या बताई वजहें...
दिग्विजय सिंह ने लिखा, यह निर्णय अनुशासन, सेवा के लिए
दिग्विजय सिंह ने लिखा "मेरा मंच पर न बैठने का निर्णय केवल व्यक्तिगत विनम्रता नहीं बल्कि संगठन को विचारधारात्मक रूप से सशक्त करने की सोच को लेकर उठाया गया कदम है. यह निर्णय कांग्रेस की मूल विचारधारा, अनुशासन और सेवा का प्रतीक है. आज कांग्रेस का कार्य करते हुए कार्यकर्ताओं को नया विश्वास और हौसला चाहिए. इसके लिए संगठन में जितनी सादगी होगी उतनी सुदृढ़ता आएगी.

मैंने मध्य प्रदेश में 2018 में "पंगत में संगत" और 2023 में "समन्वय यात्रा" के दौरान भी मंच से परहेज किया. जिसका एकमात्र उद्देश्य रहा है कि कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच कोई दूरी न रहे और भेदभाव पैदा करने वालों को सामंजस्य की सीख दी जा सके. खुद राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहते हुए ऐसी मिसाल प्रस्तुत कर चुके हैं.
17 मार्च 2018 को दिल्ली में तीन दिवसीय कांग्रेस का पूर्ण राष्ट्रीय अधिवेशन इस बात का गवाह रहा है. उस अधिवेशन में राहुल, सोनिया गांधी सहित सभी वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मंच से नीचे दीर्घा में ही बैठे थे. यहां तक स्वागत-सत्कार भी मंच से नीचे उनके बैठने के स्थान पर ही हुआ. मैं समझता हूं, वह फैसला कांग्रेस पार्टी का सबसे सफलतम प्रयोग था.
मंच पर समर्थक कर लेते हैं अतिक्रमण
28 अप्रैल 2025 को ग्वालियर में कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर नहीं बैठने का निर्णय न तो मेरे लिए नया है और न ही कांग्रेस पार्टी के लिए. कांग्रेस पार्टी सदैव कार्यकर्ताओं की पार्टी रही है. केंद्र या राज्यों में जब-जब भी कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही है, तो वह कार्यकर्ताओं के ही बल पर रही है. संगठन के बल पर रही है. जब नेतृत्व को कार्यकर्ताओं का समर्थन मिला है, तभी पार्टी सत्ता में आई, लेकिन पिछले कुछ सालों में मैंने अनुभव किया है कि जिन्हें मंच मिलना चाहिए, वे उससे वंचित रह जाते हैं. नेताओं के समर्थक मंच पर अतिक्रमण कर लेते हैं.
जिससे बेवजह मंच पर भीड़ होती है, अव्यवस्था फैलती है और कई बार मंच टूटने जैसी अप्रिय घटनाएं भी हो जाती हैं. कांग्रेस पार्टी का जन्म स्वतंत्रता आंदोलन से हुआ है. इसके मूल विचार में सदैव समानता, स्वतंत्रता, न्याय, सहयोग और आम आदमी से जुड़ने की भावना और उसका कल्याण रहा है. कांग्रेस के लिए विचार प्रथम और सत्ता द्वितीय स्थान पर रही है.
दिग्विजय सिंह ने गिनाई 7 वजहें
समानता की भावना को बढ़ावा
कांग्रेस पार्टी में कार्यकर्ताओं की शिकायत बढ़ती जा रही है कि बड़े नेता उन्हें अपने समान नहीं समझते और उन्हें उतना महत्व नहीं देते. पार्टी में कोई छोटा या बड़ा नहीं है. जब वरिष्ठ नेता स्वयं मंच पर बैठने से परहेज करते हैं, तब यह संदेश जाता है कि पार्टी के लिए काम करने वाले सभी कांग्रेसजन एक समान महत्व रखते हैं. इससे संगठनात्मक एकता और सामूहिकता को बल मिलता है.
पद के प्रभाव की बजाय कार्य को प्राथमिकता
कांग्रेस पार्टी ने पद की बजाय काम के महत्व के आधार पर ही स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था. पार्टी में सदैव पद की बजाय कार्यकुशलता अधिक महत्वपूर्ण रहा है. इससे जमीनी कार्यकर्ताओं में यह सोच विकसित होती है कि पार्टी में पहचान अच्छे कार्य करने से बनेगी, न कि केवल मंच पर उपस्थिति से.
अनुशासन और स्पष्ट संरचना का निर्माण
मंच पर केवल मुख्य अतिथि, प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को बैठाने की नीति से कार्यक्रमों में स्पष्टता और अनुशासन आएगा. इससे अव्यवस्था, असमंजस और आंतरिक प्रतिस्पर्धा जैसी समस्याएं दूर होंगी. मंच टूटने जैसी घटनाओं से बचा जा सकेगा.
सम्मान की एक जैसी प्रक्रिया
गुलदस्ता और सम्मान केवल जिला अध्यक्ष द्वारा किए जाने की व्यवस्था से कार्यक्रमों की गरिमा बनी रहेगी और कार्यकर्ता अपने वरिष्ठों को सामूहिक रूप से सम्मान देने का अवसर पाएंगे. यह व्यक्तिगत प्रभाव के प्रदर्शन के बजाय सामुहिकता का प्रतीक होगा.
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नेतृत्व की सादगी से कार्यकर्ताओं को प्रेरणा
जब बड़े नेता सादगी और समानता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं तो कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा और समर्पण की भावना जागृत होती है. वे अपने नेताओं को दूर या अभिजात्य वर्ग का नहीं मानते, बल्कि संघर्षशील और सच्चा नेतृत्व मानते हैं. इससे पार्टी को वास्तविक शक्ति मिलती है. मेरी यही भावना है.
संगठनात्मक मजबूती और दीर्घकालिक प्रभाव
इस निर्णय में कांग्रेस पार्टी में विलुप्त होते जा रहे अपने मूल विचारों को पुनर्जीवित करने का भाव है, जो पद और दिखावे की राजनीति से हटकर सेवा और कार्य आधारित राजनीति को महत्व देता है. इससे पार्टी की जड़ें मजबूत होंगी.